ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है. जैसे राज्य में राजा के कमजोर होने पर शासन व्यवस्था डगमगा जाती है, उसी प्रकार कुंडली में सूर्य के दुर्बल होने से व्यक्ति का जीवन संतुलन खोने लगता है. सूर्य आत्मा, पिता, सम्मान, प्रशासनिक शक्ति और जीवन ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है. सभी ग्रह सूर्य से ही प्रकाश ग्रहण करते हैं और सूर्य से उनकी दूरी या निकटता उन्हें अस्त अथवा प्रभावहीन भी कर सकती है. इसी कारण सूर्य को सृष्टि को चलाने वाले प्रत्यक्ष देवता के रूप में माना गया है.
कुंडली में सूर्य को पूर्वजों का प्रतिनिधि भी माना गया है. यदि सूर्य पर एक या एक से अधिक पाप ग्रहों का प्रभाव हो, तो पितृ दोष का निर्माण होता है, जिसका असर व्यक्ति की उन्नति, स्वास्थ्य और पारिवारिक शांति पर पड़ता है. आजीविका के संदर्भ में सूर्य सरकारी पद, प्रशासन, अधिकार और नेतृत्व का प्रतीक है. सूर्य प्रधान जातक कठोर अनुशासन में विश्वास रखने वाला, उच्च पदों पर आसीन, निरीक्षणकर्ता, निर्माता और समय के साथ प्रगति करने वाला होता है.
बारह राशियों में सूर्य मेष, सिंह और धनु में विशेष रूप से बलवान माना जाता है. मेष राशि में सूर्य उच्च का होता है, जबकि सिंह राशि उसकी स्वगृही स्थिति मानी जाती है. यदि कुंडली में सूर्य बलवान हो और पाप ग्रहों से मुक्त हो, तो जातक को जीवन में सम्मान, स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और स्थिर उन्नति प्राप्त होती है. ऐसा व्यक्ति शारीरिक रूप से भी चुस्त-दुरुस्त और मानसिक रूप से दृढ़ होता है.
कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य शुभ हो तो जातक आत्मविश्वासी, सत्यनिष्ठ और सरकारी स्रोतों से लाभ पाने वाला होता है. उसकी आय स्थिर रहती है और वह सुनी-सुनाई बातों पर नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष अनुभव पर विश्वास करता है. यदि यही सूर्य अशुभ हो जाए, तो पिता से संबंधित कष्ट, संतान बाधा और पारिवारिक अस्थिरता के योग बनते हैं.
दूसरे भाव में स्थित शुभ सूर्य व्यक्ति को आत्मनिर्भर, कला-कौशल में दक्ष और परिवार के प्रति उत्तरदायी बनाता है. अशुभ स्थिति में यही सूर्य लालच, विवाद और आर्थिक असंतुलन का कारण बन सकता है. तीसरे भाव का शुभ सूर्य साहस, बौद्धिक क्षमता और आत्मनिर्भरता देता है, जबकि पीड़ित सूर्य चोरी, भय और पड़ोस से जुड़े संकट उत्पन्न कर सकता है.
चौथे भाव में सूर्य यदि बलवान हो, तो जातक बुद्धिमान प्रशासक, संपत्ति-सम्पन्न और वंश के लिए विरासत छोड़ने वाला बनता है. सूर्य-चंद्र युति शोध और नवाचार से धन दिला सकती है. पांचवें भाव का शुभ सूर्य संतान सुख, परिवार की उन्नति और राजकीय संरक्षण देता है, जबकि पीड़ित सूर्य संतान कष्ट और वैवाहिक दुख का कारण बन सकता है.
छठे भाव में सूर्य शत्रु विजय और सरकारी सेवा के योग बनाता है, लेकिन अशुभ होने पर स्वास्थ्य और संतान से जुड़ी परेशानियां देता है. सातवें भाव में शुभ सूर्य उच्च पद, राजनीतिक प्रभाव और असीम आय का संकेत देता है, जबकि पीड़ित सूर्य गंभीर रोग, वैवाहिक कष्ट और आकस्मिक संकट उत्पन्न कर सकता है.
आठवें भाव में शुभ सूर्य दीर्घायु, साहस और शासन से संरक्षण देता है, जबकि अशुभ सूर्य आर्थिक अस्थिरता और मानसिक बेचैनी का कारण बनता है. नवें भाव का शुभ सूर्य भाग्य, धर्म और परोपकार से जोड़ता है, जबकि पीड़ित सूर्य प्रतिष्ठा हानि और भाई-बंधु कष्ट देता है.
दसवें भाव में सूर्य अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है. शुभ सूर्य सरकारी लाभ, उच्च पद और सामाजिक सम्मान देता है, जबकि अशुभ स्थिति में पिता हानि और करियर में अवरोध उत्पन्न करता है. ग्यारहवें भाव का शुभ सूर्य आय, संतान और नेतृत्व प्रदान करता है, लेकिन पीड़ित सूर्य आयु और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है.
बारहवें भाव में सूर्य यदि शुभ हो, तो विदेश, व्यापार और आध्यात्मिक उन्नति के योग बनते हैं. अशुभ सूर्य अवसाद, आर्थिक हानि और सरकारी दंड का कारण बन सकता है.
सूर्य को मजबूत रखने के लिए शास्त्रों में सूर्य अर्घ्य, यज्ञ, संयमित जीवन, सत्य, अनुशासन और अहंकार से दूरी को सबसे बड़ा उपाय माना गया है. सूर्य का सम्मान करना स्वयं के आत्मसम्मान और जीवन शक्ति का सम्मान करना है.

































