शनि–गुरु की बदलती चाल से बाजार में नई हलचल, सोना–चांदी व्यापारियों को सतर्क रहने की सलाह

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ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार वर्ष 2025 के अंतिम महीनों में ग्रहों की महत्वपूर्ण गतिविधियों ने बाजार की धाराओं को नए सिरे से प्रभावित करना शुरू कर दिया है। खासकर सोना–चांदी और बहुमूल्य धातुओं के व्यापार से जुड़े कारोबारियों के लिए यह समय निर्णायक माना जा रहा है, क्योंकि दो प्रमुख ग्रह—गुरु (बृहस्पति) और शनि—अपनी गति और स्थिति में उल्लेखनीय परिवर्तन कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन ग्रहों की चाल न सिर्फ निवेश के रुझान बदल सकती है, बल्कि आगामी महीनों में भावों में उतार–चढ़ाव की तीव्रता भी बढ़ा सकती है।

गुरुदेव बृहस्पति ने वर्ष 2025 के अप्रैल माह में मिथुन राशि में प्रवेश किया था। यह प्रवेश अपनी प्रकृति में अत्यंत प्रभावशाली माना गया, क्योंकि गुरु का मिथुन में आगमन बाजार और संचार से जुड़े क्षेत्रों में नई सक्रियता लेकर आता है। अप्रैल से अब तक गुरु मार्गी स्थिति में रहे, यानी उनकी गति सीधी रही और इसका प्रभाव कारोबार तथा लेन–देन में स्थिरता के रूप में माना गया। किंतु नवंबर माह की शुरुआत के साथ यह परिदृश्य बदलना शुरू हो रहा है, क्योंकि 11 नवंबर से बृहस्पति वक्री हो जाएंगे। वक्री होने का अर्थ है कि उनकी चाल उलटी दिशा में प्रतीत होगी, और इसी चरण को लेकर सबसे अधिक विश्लेषण हो रहा है।

दूसरी ओर, शनि की स्थिति भी इस समय उतनी ही महत्वपूर्ण है। मई महीने में शनिदेव मीन राशि में प्रवेश कर चुके हैं। शनि का मीन में संचरण पहले ही कई क्षेत्रों में अनुशासन, बाधाएं और धीमी गति के संकेत दे चुका है। इसके बाद जुलाई में शनिदेव वक्री हुए और यह अवधि एक तरह से बाजार की नब्ज़ को अस्थिर बनाए रखने वाली रही। अब नवंबर के अंतिम सप्ताह से शनि पुनः मार्गी होने वाले हैं। 28 नवंबर को उनकी वक्री चाल समाप्त होकर गति सीधी हो जाएगी, और इसी को लेकर आर्थिक–ज्योतिषीय विश्लेषणों में तेजी आ गई है।

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गुरु और शनि का एकसाथ चाल बदलना अपने आप में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है। 11 नवंबर से गुरु वक्री और 28 नवंबर से शनि मार्गी—इसका अर्थ है कि दोनों ग्रह लगभग दो सप्ताह के भीतर अपनी दिशा बदल चुके होंगे। ग्रहों की यह उलट–पलट अक्सर बाज़ार को अप्रत्याशित परिणामों की ओर ले जाती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जब गुरु वक्री होते हैं, तो निवेशकों का आत्मविश्वास थोड़ा प्रभावित होता है। निर्णय लेने में हिचकिचाहट बढ़ती है और बाजार पर मनोवैज्ञानिक दबाव दिखने लगता है। दूसरी ओर, शनि का मार्गी होना अनुशासन और स्थिरता लाने की प्रक्रिया शुरू करता है, लेकिन इसका प्रभाव धीरे–धीरे दिखता है। इसीलिए नवंबर–दिसंबर का समय मिश्रित संकेत देता हुआ दिखाई पड़ रहा है।

इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण बदलाव 5 दिसंबर से होने जा रहा है, जब गुरुदेव पुनः मिथुन राशि में आ जाएंगे। इस पुनः प्रवेश को 'आर’ शब्द से इंगित किया जाता है और इसका तात्पर्य है कि बृहस्पति 5 दिसंबर से अपनी पूर्व स्थिति में लौट आएंगे, जिससे बाजार की गतिविधियों में नई राहत और स्पष्टता मिलने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि इस स्पष्टता के पीछे एक महीना ऐसा रहेगा जिसमें उतार–चढ़ाव और अनिश्चितता की स्थिति एकसाथ बनी रहेगी।

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सोना–चांदी के व्यापार पर इसका असर सबसे अधिक होने की आशंका है। पारंपरिक रूप से देखा गया है कि जब गुरु की चाल बदलती है, तो बहुमूल्य धातुओं में अचानक तेजी या गिरावट दर्ज होती है। गुरु की वक्री स्थिति कई बार सोने के दामों को स्थिर रखने में असफल रहती है, जिससे भावों में असामान्य उछाल देखा जाता है। इसी बीच शनि का मार्गी चरण भावों को नियंत्रित करने का प्रयास करता है, लेकिन दोनों स्थितियों के बीच संघर्ष जैसा वातावरण पैदा हो सकता है। यही कारण है कि व्यापारी वर्ग को इस अवधि में अत्यधिक सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।

व्यापारियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में धातु बाजार में पहले ही तेजी की स्थिति बनी हुई है। त्योहारी सीजन के बाद मांग कुछ घटती जरूर है, लेकिन निवेशक विकल्प खोजने के दौरान सोना–चांदी को सुरक्षित माध्यम के रूप में देखते हैं। ऐसे में ग्रहों की चाल में परिवर्तन मांग–आपूर्ति और निवेश की मानसिकता—दोनों को प्रभावित कर सकता है। ब्रोकरों का मानना है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह से कीमतों में हलचल और बढ़ सकती है और यह स्थिति दिसंबर की शुरुआत तक बनी रह सकती है। 5 दिसंबर के बाद जब गुरु वापस मिथुन में आएंगे तो बाजार में नई दिशा मिलने की संभावना है, लेकिन तब तक की अवधि को जोखिमपूर्ण माना जा रहा है।

ज्योतिषियों का भी मानना है कि यह समय सोना–चांदी व्यापारियों को 'देख–भाल’ रणनीति अपनाने का होगा। सलाह दी जा रही है कि जोखिम उठाने की बजाय सुरक्षित खरीद–फरोख्त करें और बाजार के दैनिक संकेतों को ध्यान से पढ़ें। गुरु–शनि की चाल अक्सर बड़े निवेशीय निर्णयों को प्रभावित करती रही है, इसलिए जल्दबाज़ी और अनुमान–आधारित निवेश इस समय भारी नुकसान दे सकता है। कई विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि इस अवधि में किए गए निवेश, यदि उचित समय पर नियंत्रित न हों, तो उनके लाभ में कमी या जोखिम में वृद्धि हो सकती है।

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नवंबर से दिसंबर तक की इस ग्रह स्थिति को लेकर बाजार में पहले ही चर्चा तेज है। कारोबारियों की प्रतिक्रिया मिलीजुली है। कुछ इसे अवसर के रूप में देख रहे हैं, तो कुछ इसे चुनौती बताते हैं। एक तरफ जहां मूल्य के उछाल से लाभ कमाने की संभावनाएं बढ़ती हैं, वहीं अनिश्चितता की स्थिति जोखिम भी बढ़ाती है। ऐसे में बाजार का यह चरण पूरी तरह संकेत आधारित और मनोवैज्ञानिक दबाव से संचालित माना जा रहा है।

अंततः, 2025 के इस दौर में ग्रहों की चाल सोना–चांदी व्यापारियों के लिए चेतावनी और अवसर—दोनों लेकर आई है। निवेश और खरीद के लिए यह समय रणनीतिक समझ की मांग करता है। गुरु और शनि की चाल जितनी बदल रही है, बाजार के रुझान भी उतनी ही तेजी से मुड़ सकते हैं। इसलिए विस्तृत विश्लेषण, समय–समय पर समीक्षा और सतर्कता—यही इस अवधि में व्यापारियों के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा मानी जा रही है।

*पंडित चन्द्रशेखर नेमा हिमांशु*(9893280184)

मां कामाख्या साधक जन्म कुंडली विशेषज्ञ वास्तु शास्त्री

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