G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय कूटनीति, विकास के नए मानक और ड्रग-टेरर पर सख्त पहल का प्रस्ताव

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जोहांसबर्ग. G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वैश्विक नेतृत्व के बीच अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने नेसरेक एक्सपो सेंटर में उनका औपचारिक स्वागत किया, जिसके बाद प्रधानमंत्री ने इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा और अन्य देशों के शीर्ष नेताओं से अनौपचारिक और औपचारिक मुलाकातें कीं. सम्मेलन के दौरान साझा हुए कई वीडियो और तस्वीरों में पीएम मोदी नेताओं के साथ वार्तालाप करते, मुस्कुराते हुए अभिवादन करते और कूटनीतिक चर्चा में शामिल होते दिखाई दिए—जो भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव का संकेत देते हैं.

इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी के साथ उनकी गर्मजोशी भरी बातचीत और हाथ मिलाने के दृश्य विशेष रूप से चर्चा में रहे. दोनों नेता इस वर्ष जून में कनाडा में हुए G7 सम्मेलन में भी मिले थे. मोदी ने मेलोनी की आत्मकथा I Am Giorgia के भारतीय संस्करण की प्रस्तावना लिखी है, जिसमें उन्होंने उनके राजनीतिक सफर को “व्यक्तिगत कहानी से कहीं अधिक व्यापक और प्रेरक” बताया है.

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विश्व नेताओं के साथ लगातार संवाद के बीच प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा से गले मिलते भी नजर आए, जबकि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस के साथ उनकी ‘बेहद उपयोगी’ चर्चा ने वैश्विक मुद्दों पर भारत की प्रासंगिक भूमिका को फिर रेखांकित किया.

पहले सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया ऐसे दौर से गुजर रही है जहाँ विकास के मौजूदा पैमानों को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि “यह वह समय है जब दुनिया को विकास के उन मानकों पर फिर से विचार करना चाहिए जो समावेशी तथा सतत भविष्य की ओर ले जाएँ.” उन्होंने अफ्रीका द्वारा पहली बार G20 की मेजबानी को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि यह वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को और मजबूत करता है.

प्रधानमंत्री ने G20 के भीतर चार महत्वपूर्ण पहलों का प्रस्ताव रखा—जिनमें सबसे प्रमुख है ड्रग-टेरर नेक्सस से लड़ने के लिए वैश्विक तंत्र तैयार करना. उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों का कारोबार अब केवल अपराध नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय आतंक नेटवर्क का वित्तीय आधार बन चुका है. इस खतरे से निपटने के लिए G20 को संयुक्त रणनीति बनानी होगी.

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इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक हेल्थकेयर रिस्पॉन्स टीम की स्थापना का सुझाव दिया ताकि महामारी जैसी परिस्थितियों में दुनिया एकजुट होकर अधिक प्रभावी और तेज़ प्रतिक्रिया दे सके. मोदी ने ग्लोबल ट्रेडिशनल नॉलेज रिपॉजिटरी बनाने का भी आग्रह किया, जो पर्यावरण-सम्मत, सांस्कृतिक रूप से सम्मानजनक और सामाजिक सौहार्द को बढ़ाने वाले पारंपरिक ज्ञान को सुरक्षित रख सके. उन्होंने कहा कि भारत की सभ्यतागत धरोहर और उसके जीवन मूल्यों में वैश्विक चुनौतियों के समाधान की दिशा मौजूद है, जिसे दुनिया के साथ साझा करना समय की जरूरत है.

मोदी के इन प्रस्तावों को विश्व नेताओं ने गंभीरता से सुना, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि हाल के वर्षों में भारत ने स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, डिजिटल अर्थव्यवस्था और विकास अभियानों में वैश्विक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं. उनके भाषण में “सबका विकास” और “वैश्विक साझेदारी” की थीम प्रमुख रही, जिसे उन्होंने समावेशी विकास की अनिवार्यता के रूप में प्रस्तुत किया.

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सम्मेलन के इतर हुई उनकी द्विपक्षीय मुलाकातों में वैश्विक राजनीति का मानवीय पक्ष भी दिखा—चाहे वह लूला दा सिल्वा के साथ गर्मजोशी भरा आलिंगन हो या जॉर्जिया मेलोनी के साथ सहज बातचीत. इन दृश्यों ने सोशल मीडिया पर तेज़ी से जगह बनाई और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भारत की नई शैली—आत्मविश्वासी, संवादात्मक और मानवीय—को मजबूत किया.

जोहांसबर्ग में PM मोदी की सक्रिय तैयारी और वैश्विक मुद्दों पर उनकी सीधी और स्पष्ट नीति ने यह स्पष्ट कर दिया कि दुनिया जलवायु, स्वास्थ्य, आतंकवाद, आर्थिक असमानता और सांस्कृतिक विरासत जैसे मुद्दों पर भारत की भूमिका को निर्णायक रूप से देख रही है. सम्मेलन के अगले सत्रों में भारत किन साझेदारियों को आगे ले जाता है, इस पर भी अंतरराष्ट्रीय नज़रें टिकी हैं.

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