सोने से बना 101 किलो वजनी ‘अमेरिका’ टॉयलेट नीलामी में 12.1 मिलियन डॉलर में बिका, कला जगत दंग

4
Advertisement

कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि शौचालय जैसा साधारण प्रतीत होने वाला एक उपकरण कला जगत में ऐसी सनसनी पैदा कर देगा कि उसकी कीमत 12.1 मिलियन डॉलर—यानी लगभग ₹1070.92 करोड़—तक पहुंच जाएगी। लेकिन यह कोई साधारण टॉयलेट नहीं, बल्कि 18 कैरेट सोने से बना विश्वप्रसिद्ध कला-आइकन है, जिसे इटली के चर्चित और विवादों से घिरे कलाकार मौरिज़ियो कैटेलन ने ‘अमेरिका’ नाम से रचा था। 101.2 किलोग्राम वज़न वाले इस टॉयलेट ने 18 नवंबर को सोथेबी की नीलामी में वह कीमत हासिल की, जिसने आधुनिक कला बाज़ार को एक बार फिर चौंका दिया।

नीलामी की शुरुआत तकरीबन 10 मिलियन डॉलर से हुई, जो उस समय के सोने के बाज़ार मूल्य के बराबर मानी गई। लेकिन जब बोली आगे बढ़ी, तो कला प्रेमियों की दिलचस्पी ने इसे 12.1 मिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया। यह मूल्य न केवल उसकी कलात्मकता के कारण था, बल्कि उस तमाम सांस्कृतिक बहस का प्रतिबिंब भी था, जिसे यह कलाकृति जन्म से ही अपने साथ लेकर चली है। आज यह ‘अमेरिका’ कला जगत की सबसे चर्चित और उच्च मूल्य वाली समकालीन मूर्तियों में से एक है।

दरअसल, यह कृति अपनी उत्पत्ति से ही विवादों, प्रतीकों और व्यंग्य का केंद्र रही है। 2016 में इस टॉयलेट का एक संस्करण न्यूयॉर्क के सोलोमन आर गगनहाइम म्यूज़ियम में स्थापित किया गया था, जहां इसे आम लोगों के उपयोग के लिए उपलब्ध कराया गया। चारों ओर पहरेदारी के बावजूद, यह कलाकृति लोगों के लिए उतनी ही सुलभ थी जितना कि आधुनिक लोकतंत्र के किसी वादे की तरह खुला—और शायद यही इसका संदेश था। लोग इसे न सिर्फ देखते थे, बल्कि उपयोग भी करते थे, जिसके चलते म्यूज़ियम में लंबे कतारें लगती थीं।

यहां भी पढ़े:  दिल्ली धमाके के बाद अब लखनऊ पर भी खतरे के बादल!

कला समीक्षकों के अनुसार, कैटेलन का ‘अमेरिका’ एक व्यंग्य था—पूंजीवाद, उपभोगवाद और अमेरिकी सपने पर। सोने जैसी कीमती धातु का उपयोग करके एक बिल्कुल रोज़मर्रा की वस्तु को बनाना, और फिर उसे सार्वजनिक उपयोग में देना, उस असमानता, चमक-दमक और विरोधाभास को सामने लाता है, जिसे कैटेलन अक्सर अपनी कला के ज़रिए दिखाते रहे हैं। यही वजह है कि ‘अमेरिका’ को देखकर कई लोग ठहाके लगाते थे, कई असहज हो जाते थे, और कुछ इसे कला का सबसे साहसिक बयान मानते थे।

इस कलाकृति की दिलचस्प इतिहास में एक और अध्याय तब जुड़ा जब गगनहाइम म्यूज़ियम ने इसे तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उधार देने की पेशकश की थी। बताया जाता है कि ट्रंप ने म्यूज़ियम से विंसेंट वैन गॉग की एक पेंटिंग उधार मांगी थी। इसके जवाब में म्यूज़ियम ने एक औपचारिक पत्र भेजकर कहा था कि पेंटिंग उपलब्ध नहीं है, लेकिन वे चाहें तो कैटेलन का यह सोने का टॉयलेट उधार ले सकते हैं—एक प्रस्ताव, जिसने राजनीतिक और सांस्कृतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा की थीं।

यहां भी पढ़े:  ‘पति और रिश्तेदारों की ‘नो एंट्री’! पार्षद, प्रधान और जिला पंचायत सदस्यों के कामकाज में हस्तक्षेप पर रोक

हालांकि वर्तमान में नीलामी में बिका यह संस्करण 2017 में क्रेता द्वारा मैरियन गुडमैन गैलरी, न्यूयॉर्क से खरीदा गया था। इस गैलरी ने कैटेलन के कई महत्वपूर्ण कार्यों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थान दिलाया है। इस संस्करण की नीलामी ने साबित किया कि समकालीन कला में विचार, व्यंग्य और संदर्भ—सामग्री से कहीं अधिक मूल्यवान होते हैं, भले ही वह सामग्री 18 कैरेट सोना ही क्यों न हो।

कला जगत में यह बहस अब भी जारी है कि ‘अमेरिका’ जैसी कलाकृतियों का मूल्य उनकी कलात्मकता से आता है, या उनकी उकसाने वाली प्रकृति से। लेकिन इस बहस से परे, यह कृति जिस तरह से समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था के प्रतीकों को फ़ैशन, हास्य और चुटीले व्यंग्य के साथ जोड़ती है, वह इसे विशिष्ट बनाता है। कैटेलन स्वयं कहते हैं कि वे कला के ज़रिए “सत्ता और उपभोग के ढांचे को आईना दिखाने” में विश्वास रखते हैं। उनकी कई कृतियां—चाहे वह पोप जॉन पॉल की मूर्ति हो या नीले टेप से दीवार पर चिपकाया गया केला—हमेशा चर्चा का विषय रही हैं। लेकिन ‘अमेरिका’ ने चर्चाओं का वह स्तर हासिल किया, जिसकी तुलना कम ही कलाकृतियों से की जा सकती है।

यहां भी पढ़े:  क्या आपके बच्चे की मुस्कान अचानक गायब हो गई? जानिए 7 अचूक टोटके जो नजर को पलभर में मिटा देंगे!

नीलामी के दिन इस टॉयलेट का प्रदर्शन एक बार फिर लोगों में उत्सुकता का केंद्र बना। इसे देखने आए लोग न केवल इसकी चमक और भव्यता से प्रभावित थे, बल्कि उस प्रतीकवाद से भी, जो यह अपने भीतर छिपाए हुए था। कला बाज़ार के विशेषज्ञों के मुताबिक, इसे खरीदने वाले संग्रहकर्ता ने न केवल सोने की धातु में निवेश किया है, बल्कि एक ऐसी विचारधारा और सांस्कृतिक संवाद में भी हिस्सेदारी खरीदी है, जो आने वाले वर्षों में और भी मूल्यवान होती जाएगी।

आज जब दुनिया में कला लगातार प्रयोगों, प्रतीकों और सांस्कृतिक आलोचनाओं की ओर बढ़ रही है, ‘अमेरिका’ जैसे कार्य यह साबित करते हैं कि एक साधारण-सी वस्तु भी कैसे किसी सभ्यता का सबसे तेज़ आईना बन सकती है। सोने का यह टॉयलेट चाहे कितना भी अटपटा लगे, लेकिन यह आधुनिक समाज और उसकी प्राथमिकताओं पर उतनी ही धारदार टिप्पणी करता है, जितनी किसी गहन राजनीतिक लेख या दार्शनिक समीक्षा में होती है।

12.1 मिलियन डॉलर में बिका यह ‘अमेरिका’ केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि एक ऐसा कलात्मक दस्तावेज़ है, जिसमें समकालीन दुनिया की चमक, विरोधाभास, राजनीति, हास्य और कटाक्ष—सभी एक साथ पिघलकर एक ठोस रूप में ढल गए हैं। कला की दुनिया में ऐसे क्षण दुर्लभ होते हैं, और यही इसे इतना खास बनाते हैं।

Advertisement