भारतीय ज्योतिष और धार्मिक पंचांग के अनुसार, 24 नवंबर 2025 का दिन आध्यात्मिक दृष्टि से असाधारण और अत्यंत फलदायी सिद्ध होने जा रहा है। मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है, इस बार सोमवार के शुभ वार के साथ संयोग बना रही है। यह योग अपने आप में दुर्लभ है, क्योंकि यह एक ही दिन में विघ्नहर्ता भगवान गणेश और देवों के देव महादेव भगवान शिव, दोनों की आराधना का विशेष अवसर प्रदान करता है। ज्योतिषी और धर्मशास्त्र के जानकार इस संयोग को 'महा-सिद्धिदायक योग' मान रहे हैं, जिसमें की गई पूजा और व्रत सभी प्रकार की बाधाओं को दूर कर असाध्य कार्यों में भी सफलता दिलाते हैं। इस पवित्र दिन पर विशेष पूजा-पाठ और व्रत के लिए कौन से मुहूर्त सबसे अधिक फलदायी होंगे, इस पर देश भर के मंदिरों और ज्योतिष पीठों पर मंथन जारी है।
चतुर्थी और सोमवार का पावन संगम
पंचांग गणना के अनुसार, 24 नवंबर को शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि दिनभर प्रभावी रहेगी, जिसका समापन रात्रि लगभग 09:22 बजे होगा। यह चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है, जो बुद्धि, समृद्धि और शुभता के कारक माने जाते हैं। विनायक चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से दोपहर के समय गणेश जी की पूजा करने के बाद संपन्न होता है। वहीं, सोमवार का दिन भगवान शिव का प्रिय वार है। इस दिन शिवजी का अभिषेक करने और व्रत रखने से चंद्र दोष दूर होते हैं और आरोग्य की प्राप्ति होती है। जब गणेश जी (जिन्हें शिव परिवार का मुखिया माना जाता है) की प्रिय तिथि और शिव जी का प्रिय वार एक साथ आते हैं, तो पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन श्रद्धालु एक ही व्रत से गणेश जी की कृपा से सिद्धियाँ और शिव जी के आशीर्वाद से मोक्ष प्राप्त करने का अवसर पा सकते हैं। जबलपुर के धर्मज्ञों का मत है कि यह संयोग 'एक पंथ, दो काज' की धार्मिक अवधारणा को चरितार्थ करता है।
गणेश पूजा के लिए विशेष मुहूर्त
विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान दोपहर के समय होता है, जिसे मध्याह्न काल कहा जाता है। 24 नवंबर को गणेश जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय निम्नलिखित है:
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मध्याह्न गणेश पूजा का समय: सुबह 11:45 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक।
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महत्व: यह अवधि चतुर्थी तिथि के प्रभाव और दिन के मध्य भाग की ऊर्जा से भरपूर होती है। इस दौरान गणेश जी को दूर्वा, मोदक या लड्डू अर्पित करने से कार्यक्षेत्र और विद्या के क्षेत्र में विशेष सफलता मिलती है। चूंकि इस दिन अभिजीत मुहूर्त भी लगभग इसी समय के आसपास रहेगा, इसलिए इस समय की गई पूजा सभी दोषों का नाश कर देती है।
सोमवार शिव आराधना के लिए विशिष्ट काल
भगवान शिव की पूजा किसी भी समय शुभ होती है, लेकिन सोमवार को प्रदोष काल और सुबह के समय जलाभिषेक का विशेष महत्व है।
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प्रातःकाल रुद्राभिषेक/जलाभिषेक: सूर्योदय के साथ ही (लगभग सुबह 06:45 बजे से सुबह 08:30 बजे तक)।
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महत्व: इस अवधि में शिव जी को जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करने से चंद्रमा की शुभता प्राप्त होती है और मानसिक शांति मिलती है। सोमवार को गणेश चतुर्थी के दिन शिव परिवार की एक साथ पूजा करना पारिवारिक सामंजस्य और सुख-शांति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
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प्रदोष काल शिव पूजा (संध्या): शाम 05:35 बजे से शाम 07:15 बजे तक (स्थानीय समयानुसार)।
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महत्व: यह वह समय है जब भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न मुद्रा में होते हैं। हालांकि चतुर्थी रात्रि में 09:22 बजे तक है, प्रदोष काल में शिव और गणेश दोनों की आरती और स्तुति करने से धन-धान्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
व्रत और पूजा-पाठ के नियम
इस शुभ संयोग पर भक्तों को व्रत और पूजा के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए:
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संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद, हाथ में जल लेकर गणेश जी और शिव जी के नाम से व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
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चंद्र दर्शन: गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करना वर्जित माना जाता है, क्योंकि इससे दोष लगता है। इसलिए भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे चंद्रमा के दर्शन से बचें। यदि आवश्यक हो तो पूजन के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जा सकता है, लेकिन सामान्यतः इस दिन चंद्रमा को देखने से बचना चाहिए।
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भोग: गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं, जबकि शिव जी को पंचामृत, भांग और धतूरे का भोग लगाना श्रेष्ठ माना जाता है।
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मंत्र जप: इस दिन "ॐ गं गणपतये नमः" और "ॐ नमः शिवाय" मंत्रों का जाप करना सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है।
पुरोहितों ने भक्तों से आह्वान किया है कि वे इस दुर्लभ संयोग का लाभ उठाएँ और विधि-विधान से पूजा करके अपने जीवन को सुखमय बनाएँ। मंदिरों में भी इस विशेष दिन के लिए अतिरिक्त पूजा और अनुष्ठानों की व्यवस्था की जा रही है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है। यह संयोग न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि यह सिद्धियों और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति का एक महान अवसर भी होगा।

































