नया साल 2026 अपने साथ धार्मिक आस्था और उत्सवों की एक लंबी सौगात लेकर आ रहा है, जिसे लेकर आम जनता के बीच अभी से भारी उत्सुकता और जिज्ञासा बनी हुई है. साल के पहले ही महीने जनवरी में पंचांग के अनुसार व्रत और त्योहारों की ऐसी झड़ी लगने वाली है कि 31 दिनों में से 20 दिन किसी न किसी विशेष पर्व के नाम रहेंगे. लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल मकर संक्रांति की सही तारीख को लेकर था, जिसका समाधान ज्योतिषविदों ने कर दिया है. इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश और पुण्यकाल की गणना कुछ इस प्रकार है कि मकर संक्रांति का उत्सव एक नहीं बल्कि दो दिन यानी 14 और 15 जनवरी को मनाया जाएगा. विद्वानों का मत है कि 14 जनवरी को संक्रमण होने के बाद दान-पुण्य और पवित्र स्नान के लिए 15 जनवरी का दिन ही सर्वश्रेष्ठ रहेगा, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष फलदायी माना जा रहा है.
जनवरी का यह महीना हिंदू पंचांग के पौष और माघ मास के संगम का साक्षी बनेगा, जिसमें साल का सबसे बड़ा 'खरमास' भी समाप्त होगा. 14 जनवरी को जैसे ही सूर्य मकर राशि में कदम रखेंगे, वैसे ही मांगलिक कार्यों पर लगा एक महीने का विराम हट जाएगा और शहनाइयों की गूंज फिर से सुनाई देने लगेगी. महीने की शुरुआत ही 1 जनवरी को प्रदोष व्रत और 3 जनवरी को माघ स्नान-दान पूर्णिमा के साथ होगी, जो आध्यात्मिक शांति चाहने वालों के लिए बड़ा अवसर है. इसके साथ ही 6 जनवरी को आने वाली तिल चतुर्थी और संकटा चौथ का व्रत महिलाओं के बीच श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. उत्तर भारत का प्रसिद्ध लोहड़ी उत्सव 13 जनवरी को मनाया जाएगा, जिसके अगले दिन ही दक्षिण भारत में पोंगल की धूम रहेगी.
श्रद्धालुओं की जिज्ञासा का एक बड़ा केंद्र माघ मास की गुप्त नवरात्रि भी है, जो इस बार 19 जनवरी से शुरू होकर 27 जनवरी तक चलेगी. आमतौर पर लोग चैत्र और शारदीय नवरात्रि के बारे में जानते हैं, लेकिन तंत्र साधना और विशेष सिद्धियों के लिए प्रसिद्ध यह गुप्त नवरात्रि साधकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसमें महाकाली और भैरवी जैसी शक्तियों की पूजा का विधान है. इसके ठीक बाद 23 जनवरी को बसंत पंचमी का महापर्व आएगा, जो विद्या की देवी सरस्वती की आराधना और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है. जनवरी का आखिरी सप्ताह भी अचला सप्तमी, नर्मदा प्रकटोत्सव और जया एकादशी जैसे महत्वपूर्ण पर्वों से भरा रहेगा, जो इस महीने को पूरी तरह भक्तिमय बना देंगे.
नए साल के पहले महीने में त्योहारों की यह लंबी सूची न केवल बाजारों में रौनक लाएगी, बल्कि लोगों को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों से जुड़ने का भरपूर अवसर भी देगी. 18 जनवरी को पड़ने वाली मौनी अमावस्या पर प्रयागराज और अन्य पवित्र नदियों में होने वाले शाही स्नान को लेकर भी भक्तों में अभी से उत्साह देखा जा रहा है. कुल मिलाकर जनवरी 2026 का कैलेंडर आस्था, उल्लास और शुभ कार्यों की शुरुआत का एक अद्भुत मिश्रण साबित होने वाला है, जिसकी प्रतीक्षा हर सनातनी को है.

































