थाईलैंड–कंबोडिया संघर्ष के बीच भगवान विष्णु की मूर्ति तोड़े जाने पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जारी सीमा विवाद और सैन्य झड़पों के बीच एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने पूरे क्षेत्र में धार्मिक भावनाओं और कूटनीतिक संतुलन को झकझोर कर रख दिया है। सीमा विवाद से प्रभावित इलाके में भगवान विष्णु की एक प्रतिमा को कथित तौर पर ध्वस्त किए जाने पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे “असम्मानजनक कृत्य” बताते हुए कहा है कि इस तरह की घटनाएं दुनिया भर के श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत करती हैं और किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हैं।

भारत की यह प्रतिक्रिया उस समय आई है, जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें थाईलैंड की सेना के इंजीनियरों द्वारा बुलडोजर से भगवान विष्णु की प्रतिमा को गिराते हुए देखा गया। बताया जा रहा है कि यह प्रतिमा वर्ष 2014 में स्थापित की गई थी और यह थाईलैंड–कंबोडिया सीमा के पास स्थित थी। बीते करीब दो हफ्तों से दोनों देशों के बीच सीमा पर भीषण झड़पें चल रही हैं, जिनमें अब तक दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है और भारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। इसी तनावपूर्ण माहौल में इस धार्मिक प्रतीक को तोड़े जाने की खबर ने विवाद को और गहरा कर दिया।

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर स्पष्ट और संतुलित रुख अपनाते हुए कहा कि वह थाईलैंड–कंबोडिया सीमा तनाव से प्रभावित क्षेत्र में हाल ही में बनी एक हिंदू देवता की मूर्ति को गिराए जाने की खबरों से अवगत है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि हिंदू और बौद्ध देवी-देवता इस पूरे क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि विश्व भर में करोड़ों लोगों द्वारा श्रद्धा और आस्था के साथ पूजे जाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह साझा सभ्यतागत विरासत का हिस्सा हैं और किसी भी प्रकार के क्षेत्रीय या राजनीतिक विवाद के बीच धार्मिक प्रतीकों का अपमान नहीं होना चाहिए।

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भारत ने साफ शब्दों में कहा कि क्षेत्रीय दावों या सैन्य तनाव के बावजूद इस तरह के कृत्य श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं और इनसे बचा जाना चाहिए। साथ ही भारत ने थाईलैंड और कंबोडिया, दोनों से संयम बरतने और बातचीत व कूटनीति के रास्ते पर लौटने की अपील की है, ताकि शांति बहाल हो सके और जान-माल के साथ-साथ सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों को भी नुकसान से बचाया जा सके।

उधर, कंबोडिया की ओर से इस मामले में दावा किया गया है कि जिस स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित थी, वह उसका क्षेत्र है। कंबोडिया के प्रीह विहार प्रांत के एक सरकारी प्रवक्ता किम चानपन्हा ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा कि यह मूर्ति अन सेस क्षेत्र में स्थित थी, जो कंबोडिया के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने बताया कि यह प्रतिमा थाईलैंड की सीमा से करीब 100 मीटर की दूरी पर थी। हालांकि, कुछ डिजिटल मैपिंग प्लेटफॉर्म, जैसे गूगल मैप्स, इस स्थान को सीमा रेखा से लगभग 400 मीटर दूर दिखाते हैं, जिससे यह विवाद और उलझ गया है।

इस पूरी घटना की पृष्ठभूमि में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद है, जो औपनिवेशिक काल में खींची गई सीमाओं और सीमा पर स्थित प्राचीन मंदिरों व ऐतिहासिक धरोहरों को लेकर समय-समय पर भड़क उठता है। दोनों देशों की लगभग 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर कई ऐसे स्थल हैं, जिन पर दोनों ही पक्ष अपना दावा करते रहे हैं। हालिया झड़पों की शुरुआत 7 दिसंबर के आसपास हुई थी और इसके बाद से हिंसा लगातार बढ़ती चली गई। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इन संघर्षों में अब तक कम से कम 86 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें सैनिकों के साथ-साथ आम नागरिक भी शामिल हैं।

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धार्मिक प्रतिमा को गिराए जाने की घटना ने इस सैन्य संघर्ष को एक नया आयाम दे दिया है। सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आते ही हिंदू संगठनों और आम श्रद्धालुओं के बीच तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। कई लोगों ने इसे केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत पर हमला बताया। भारत सहित कई देशों में इस घटना को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है, खासकर इसलिए क्योंकि दक्षिण-पूर्व एशिया के इस क्षेत्र में हिंदू और बौद्ध परंपराओं का गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहा है।

इसी बीच राहत की बात यह है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की कोशिशें भी शुरू हो चुकी हैं। सैन्य अधिकारियों के स्तर पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो गई है और दोनों पक्षों ने संकेत दिए हैं कि वे संघर्ष विराम को लेकर गंभीर हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, बुधवार से दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की बैठकें शुरू हुई हैं, जो शनिवार तक चलने की संभावना है। थाईलैंड के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सुरासंत कोंगसीरी ने कहा है कि बैंकॉक को इन वार्ताओं से सकारात्मक नतीजों की उम्मीद है।

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अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। इससे पहले अमेरिका, चीन और मलेशिया की मध्यस्थता से एक अस्थायी संघर्ष विराम की कोशिश की गई थी, लेकिन वह ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई। अब एक बार फिर कूटनीतिक प्रयास तेज किए जा रहे हैं, ताकि हालात और न बिगड़ें।

भारत का रुख इस पूरे मामले में संतुलन और संवेदनशीलता को दर्शाता है। एक ओर उसने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली घटना पर स्पष्ट आपत्ति जताई है, तो दूसरी ओर उसने किसी एक पक्ष को सीधे तौर पर दोषी ठहराने के बजाय शांति और संवाद पर जोर दिया है। भारत ने यह भी रेखांकित किया है कि धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज की साझा धरोहर होती है, जिसकी रक्षा सभी की जिम्मेदारी है।

भगवान विष्णु की प्रतिमा को गिराए जाने की यह घटना सिर्फ एक मूर्ति के टूटने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि जब सैन्य संघर्ष लंबे खिंचते हैं, तो उसका असर केवल सीमाओं तक नहीं रहता, बल्कि वह आस्था, संस्कृति और मानवीय मूल्यों तक को प्रभावित करता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि थाईलैंड और कंबोडिया इस संवेदनशील मुद्दे को किस तरह सुलझाते हैं और क्या वे भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपीलों को गंभीरता से लेते हुए शांति की दिशा में ठोस कदम उठाते हैं।

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