रियल एस्टेट में नई रफ्तार, टॉप 7 शहरों में ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ी, मुंबई–हैदराबाद रहे पीछे

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देश का ऑफिस रियल एस्टेट बाजार एक बार फिर मजबूती के संकेत दे रहा है. आर्थिक अनिश्चितताओं और वर्क फ्रॉम होम जैसे ट्रेंड के बावजूद भारत के प्रमुख महानगरों में ऑफिस स्पेस को लीज पर लेने की मांग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2025 में देश के टॉप 7 शहरों में ‘ग्रेड ए’ ऑफिस स्पेस की कुल लीजिंग 7 प्रतिशत बढ़कर 7.15 करोड़ वर्ग फुट तक पहुंच गई है. यह आंकड़ा पिछले साल यानी 2024 में 6.72 करोड़ वर्ग फुट था. इस बढ़त ने यह साफ कर दिया है कि कॉरपोरेट इंडिया और विदेशी कंपनियां एक बार फिर फिजिकल ऑफिस स्पेस को लेकर भरोसा जता रही हैं.

रियल एस्टेट कंसल्टेंट कंपनी कोलियर्स इंडिया के अनुसार, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की सक्रियता के चलते ऑफिस मार्केट में यह उछाल देखने को मिला है. खासतौर पर टेक्नोलॉजी और बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस यानी BFSI सेक्टर की मजबूत मौजूदगी ने मांग को सहारा दिया है. कंपनी का मानना है कि यही रुझान अगले साल भी जारी रह सकता है और ऑफिस स्पेस की मांग और मजबूत हो सकती है.

हालांकि, यह तेजी सभी शहरों में एक जैसी नहीं रही. जहां बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे, कोलकाता और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों में जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली, वहीं मुंबई और हैदराबाद जैसे बड़े बाजारों में मांग में गिरावट दर्ज की गई. आंकड़ों के मुताबिक, हैदराबाद में ऑफिस लीजिंग 19 प्रतिशत घट गई. यहां 2024 में जहां 1.25 करोड़ वर्ग फुट ऑफिस स्पेस लीज पर दिया गया था, वहीं 2025 में यह घटकर करीब 1.1 करोड़ वर्ग फुट रह गया. मुंबई में भी 5 प्रतिशत की गिरावट आई और लीजिंग 1 करोड़ वर्ग फुट से घटकर 95 लाख वर्ग फुट पर सिमट गई.

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विशेषज्ञों का मानना है कि मुंबई और हैदराबाद में गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं. मुंबई में ऊंचे किराए और सीमित नई आपूर्ति कंपनियों के फैसलों को प्रभावित कर रही है, जबकि हैदराबाद में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से हुए विस्तार के बाद अब एक तरह का स्थिरीकरण देखने को मिल रहा है. इसके उलट, अन्य शहरों में तुलनात्मक रूप से किफायती किराए और बेहतर विकल्प उपलब्ध होने से कंपनियां वहां विस्तार को प्राथमिकता दे रही हैं.

देश के आईटी हब बेंगलुरु में ऑफिस स्पेस की मांग स्थिर लेकिन सकारात्मक बनी रही. यहां 2025 में लीजिंग 2 प्रतिशत बढ़कर 2.21 करोड़ वर्ग फुट पहुंच गई, जो पिछले साल 2.17 करोड़ वर्ग फुट थी. भले ही प्रतिशत के लिहाज से बढ़ोतरी कम दिखती हो, लेकिन कुल वॉल्यूम के हिसाब से बेंगलुरु अब भी देश का सबसे बड़ा ऑफिस मार्केट बना हुआ है.

चेन्नई ने इस साल सबको चौंकाते हुए सबसे तेज ग्रोथ दर्ज की. यहां ऑफिस स्पेस की लीजिंग में 41 प्रतिशत का उछाल आया और यह 68 लाख वर्ग फुट से बढ़कर 96 लाख वर्ग फुट हो गई. इंडस्ट्रियल बेस, आईटी सेवाओं और ग्लोबल कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी ने चेन्नई को निवेशकों और किरायेदारों दोनों के लिए आकर्षक बनाया है.

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दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी मजबूत रिकवरी देखने को मिली. यहां ऑफिस स्पेस की मांग 16 प्रतिशत बढ़कर 97 लाख वर्ग फुट से 1.13 करोड़ वर्ग फुट तक पहुंच गई. एनसीआर में इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, बेहतर कनेक्टिविटी और मल्टीनेशनल कंपनियों की वापसी ने इस बढ़त में अहम भूमिका निभाई है.

कोलकाता और पुणे जैसे शहरों ने भी इस रेस में खुद को मजबूती से स्थापित किया. कोलकाता में ऑफिस लीजिंग 38 प्रतिशत बढ़ी और यह 8 लाख वर्ग फुट से बढ़कर 11 लाख वर्ग फुट हो गई. वहीं पुणे में 37 प्रतिशत की छलांग के साथ मांग 57 लाख से बढ़कर 78 लाख वर्ग फुट पहुंच गई. खासतौर पर पुणे में आईटी, ऑटो और स्टार्टअप सेक्टर की गतिविधियों ने ऑफिस मार्केट को नई ऊर्जा दी है.

इस पूरे उछाल के पीछे एक बड़ा कारण ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स यानी GCC का तेजी से उभरना भी माना जा रहा है. रियल एस्टेट कंसल्टेंट्स के अनुसार, विदेशी कंपनियां भारत में अपने GCC स्थापित करने को लेकर काफी उत्साहित हैं. इसकी वजह है यहां उपलब्ध प्रतिभाशाली मानव संसाधन, तकनीकी दक्षता और अपेक्षाकृत कम लागत पर प्रीमियम ऑफिस स्पेस की उपलब्धता. यही कारण है कि भारत अब केवल बैक-ऑफिस डेस्टिनेशन नहीं रहा, बल्कि ग्लोबल ऑपरेशंस के लिए एक रणनीतिक केंद्र बनता जा रहा है.

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कोलियर्स इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर (ऑफिस सर्विस) अर्पित मेहरोत्रा का कहना है कि भारत का ऑफिस मार्केट लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है. उनके मुताबिक, कंपनियां हाइब्रिड वर्क मॉडल के बावजूद ऐसे ऑफिस स्पेस की तलाश में हैं, जो कर्मचारियों को बेहतर अनुभव, आधुनिक सुविधाएं और सहयोगी कार्य वातावरण दे सकें. यही वजह है कि ‘ग्रेड ए’ ऑफिस स्पेस की मांग सबसे ज्यादा बनी हुई है.

 2025 के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि भारतीय रियल एस्टेट का ऑफिस सेगमेंट मजबूती की राह पर है. कुछ शहरों में अस्थायी गिरावट के बावजूद, समग्र तस्वीर सकारात्मक नजर आती है. जिस तरह से टेक्नोलॉजी, BFSI और GCC जैसे सेक्टर भारत में निवेश बढ़ा रहे हैं, उससे यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में ऑफिस स्पेस की मांग और नई ऊंचाइयों को छू सकती है. यही वजह है कि निवेशकों, डेवलपर्स और कंपनियों की नजरें अब भी भारत के तेजी से बदलते ऑफिस रियल एस्टेट बाजार पर टिकी हुई हैं.

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