अशुभ योगों से मुक्ति के लिए कौन सा मुखी रुद्राक्ष है सर्वश्रेष्ठ उपाय

4
Advertisement

ज्योतिष शास्त्र में रुद्राक्ष को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है, जिसे साक्षात भगवान शिव का आशीर्वाद माना जाता है। मान्यता है कि सही मुखी रुद्राक्ष धारण करने से न केवल ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं, बल्कि जीवन में समृद्धि और स्थिरता भी आती है। विभिन्न मुखी रुद्राक्षों को अलग-अलग ग्रहों और विशिष्ट ज्योतिषीय योगों को शांत करने के लिए निर्धारित किया गया है।

नवग्रहों के अनुसार रुद्राक्ष का महत्व

हर ग्रह की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए एक विशेष मुखी रुद्राक्ष धारण करने का विधान है:

  • सूर्य (Sun): यश, सम्मान और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि के लिए एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है।

  • चंद्र (Moon): मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।

  • मंगल (Mars): साहस और पराक्रम बढ़ाने के लिए तीन मुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभकारी होता है।

  • बुध (Mercury): बुद्धि, वाणी और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के लिए चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

  • गुरु (Jupiter): ज्ञान, धर्म और समृद्धि के लिए पांच मुखी या दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है।

  • शुक्र (Venus): भौतिक सुख, प्रेम और कलात्मकता में वृद्धि हेतु छह मुखी अथवा तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक रहता है।

  • शनि (Saturn): करियर में स्थिरता और न्याय के देवता शनि को शांत करने के लिए सात मुखी अथवा चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

  • राहु (Rahu): आकस्मिक बाधाओं और भय से मुक्ति के लिए आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ माना जाता है।

  • केतु (Ketu): आध्यात्मिकता और आत्मज्ञान के लिए नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक रहता है।

कौन सा मुखी रुद्राक्ष देता किस बीमारी से मुक्ति

पौराणिक मान्यताओं और आधुनिक वैकल्पिक चिकित्सा के अनुसार, रुद्राक्ष केवल आध्यात्मिक लाभ ही नहीं देते, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विभिन्न मुखी रुद्राक्षों में विशिष्ट कंपन (vibrations) होते हैं जो मानव शरीर के चक्रों (Chakras) को संतुलित करते हैं और कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह जानना आवश्यक है कि किस मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से किन रोगों में विशेष लाभ मिल सकता है।मानसिक और हृदय रोगों में सहायक रुद्राक्ष

यहां भी पढ़े:  'एकला चलो' का दांव: बीएमसी चुनाव में कांग्रेस ने क्यों तोड़ी MVA की साझेदारी?

दो मुखी रुद्राक्ष: यह चंद्र ग्रह से संबंधित है और विशेष रूप से तनाव, चिंता (anxiety), अवसाद (depression) और मानसिक अस्थिरता को कम करने में सहायक माना जाता है। इसे धारण करने से हृदय गति संतुलित होती है, जिससे रक्तचाप (Blood Pressure) और हृदय संबंधी कुछ समस्याओं में लाभ मिल सकता है।

  • पांच मुखी रुद्राक्ष: इसे सबसे सामान्य और बहुमुखी रुद्राक्ष माना जाता है। यह रक्तचाप, मधुमेह (Diabetes) और किडनी से जुड़ी समस्याओं में राहत देने के लिए जाना जाता है। यह व्यक्ति की समग्र जीवन शक्ति (vitality) को बढ़ाता है।

 शारीरिक शक्ति और ऊर्जा के लिए

तीन मुखी रुद्राक्ष: यह अग्नि तत्व (मंगल ग्रह) से जुड़ा है और यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो पाचन संबंधी समस्याओं (Digestive Issues) या पेट के रोगों से पीड़ित हैं। यह शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाकर आलस्य को दूर करता है।

  • ग्यारह मुखी रुद्राक्ष: साहस और पराक्रम से जुड़ा यह रुद्राक्ष शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System) को मजबूत करने में सहायक माना जाता है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ने से बचता है।

संचार और तंत्रिका तंत्र के लिए

चार मुखी रुद्राक्ष: यह बुध ग्रह से संबंधित होने के कारण याददाश्त (Memory) और एकाग्रता (Concentration) में सुधार करता है। यह उन छात्रों या प्रोफेशनल्स के लिए बहुत उपयोगी है जिन्हें तंत्रिका तंत्र (Nervous System) से जुड़ी छोटी-मोटी समस्याएं हैं, जैसे कि नींद न आना या संवाद में कठिनाई।

  • आठ मुखी रुद्राक्ष: राहु के प्रभाव को शांत करने वाला यह रुद्राक्ष जोड़ों के दर्द (Joint Pain)स्किन की समस्याओं और फेफड़ों से जुड़ी कुछ पुरानी बीमारियों में राहत प्रदान करने के लिए जाना जाता है।

असाध्य रोगों और दीर्घायु के लिए

यहां भी पढ़े:  श्रावस्ती के दिकौली में बूंदाबांदी:छह महीने की धान फसल बर्बाद होने का डर

एक मुखी रुद्राक्ष: भगवान शिव का स्वरूप माना जाने वाला यह रुद्राक्ष गंभीर हृदय रोगों और जीवन शक्ति की कमी जैसी समस्याओं में अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह आत्म-विश्वास बढ़ाकर रोगों से लड़ने की आंतरिक शक्ति देता है।

  • चौदह मुखी रुद्राक्ष: इसे अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली माना जाता है। यह शनि के कारण होने वाले कष्टों और दीर्घकालिक रोगों में लाभ देता है। इसे धारण करने से व्यक्ति के आंतरिक अंगों और चेतना में संतुलन आता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रुद्राक्ष एक पूरक उपाय है और इसे किसी भी गंभीर बीमारी के लिए चिकित्सीय उपचार का विकल्प नहीं मानना चाहिए। इसे हमेशा श्रद्धा और सही विधि से धारण करना चाहिए, जैसा कि पहले बताया गया है, ताकि इसके अधिकतम स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किए जा सकें।

 पूर्ण लाभ के लिए इन बातों का रखें ध्यान

 रुद्राक्ष, जिसे भगवान शिव का आशीर्वाद माना जाता है, धारण करने के बाद व्यक्ति को एक पवित्र जीवन शैली का पालन करना आवश्यक है। ज्योतिष और धार्मिक ग्रंथों में कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने पर ही रुद्राक्ष अपनी पूरी शक्ति और सकारात्मक प्रभाव प्रदान करता है। रुद्राक्ष की पवित्रता बनाए रखने और उसका पूरा लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना अनिवार्य है:

पवित्रता और आचरण संबंधी नियम

मांसाहार और मदिरापान से बचें: रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को मांसाहार और मदिरापान से पूरी तरह बचना चाहिए। इसे तामसिक आहार माना जाता है, जो रुद्राक्ष की शुद्धता को भंग करता है।

  1. श्मशान या अंतिम संस्कार: रुद्राक्ष धारण करके श्मशान घाट या किसी अंतिम संस्कार में नहीं जाना चाहिए। यदि जाना अनिवार्य हो, तो रुद्राक्ष को उतारकर शुद्ध स्थान पर रखकर जाएं और वापस आकर उसे शुद्ध जल से धोकर ही धारण करें।

  2. नवजात के जन्म के समय: किसी घर में नवजात शिशु का जन्म होने पर सूतक काल शुरू हो जाता है। ऐसे में रुद्राक्ष को तुरंत उतार लेना चाहिए और सूतक समाप्त होने के बाद ही विधिपूर्वक शुद्ध करके पुनः धारण करना चाहिए।

  3. शौच या स्नान: शौच जाने से पहले रुद्राक्ष को उतार देना सबसे उत्तम माना जाता है। स्नान करते समय भी यदि साबुन या रसायन का प्रयोग कर रहे हैं तो इसे उतार दें, हालांकि शुद्ध जल से स्नान करते समय इसे धारण किया जा सकता है।

  4. अशुद्ध हाथों से न छुएं: रुद्राक्ष को कभी भी अशुद्ध हाथों से नहीं छूना चाहिए। यदि आप रुद्राक्ष को स्पर्श करते हैं, तो उससे पहले हाथ धोना आवश्यक है।

यहां भी पढ़े:  व्रत रखने से मिलता है फल

सोने से संबंधित नियम

  • सोते समय उतारें: रात में सोते समय रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए। ऐसा करने से दो लाभ होते हैं:

    • पहला, रुद्राक्ष खंडित होने से बच जाता है।

    • दूसरा, रुद्राक्ष को विश्राम मिलता है और उसकी ऊर्जा पुनः सक्रिय होती है। आप इसे रात में उतारकर पूजा स्थान पर रख सकते हैं।

देखरेख और रखरखाव संबंधी नियम

धातु या धागा: रुद्राक्ष को हमेशा सोने, चांदी, तांबे जैसी पवित्र धातु या लाल, पीले, या सफ़ेद रेशमी धागे में ही धारण करना चाहिए।

  • किसी को न दें: अपना धारण किया हुआ रुद्राक्ष कभी भी किसी अन्य व्यक्ति को पहनने के लिए नहीं देना चाहिए। यह व्यक्तिगत ऊर्जा से जुड़ जाता है, और इसका आदान-प्रदान वर्जित है।

  • साफ़-सफ़ाई: रुद्राक्ष को समय-समय पर साफ़ करते रहना चाहिए। इसे हल्के गर्म पानी या गंगाजल से धोकर शुद्ध करने के बाद साफ कपड़े से पोंछना चाहिए। यदि रुद्राक्ष के मुखों में गंदगी जमा हो जाए तो उसे किसी पतली नुकीली चीज (जैसे टूथपिक) से धीरे से साफ करें।

खंडित होने पर

खंडित रुद्राक्ष: यदि रुद्राक्ष किसी कारण से खंडित (टूट जाए या दरार आ जाए) हो जाता है, तो उसे तुरंत उतार देना चाहिए। खंडित रुद्राक्ष अशुभ माना जाता है। इसे किसी नदी या पवित्र वृक्ष के नीचे विसर्जित कर देना चाहिए।

इन नियमों का पालन करते हुए रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को ग्रहों की शांति और सकारात्मक ऊर्जा का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।

Advertisement