साल 2026 ज्योतिषीय दृष्टि से असाधारण महत्व लेकर आ रहा है। इस वर्ष देवगुरु बृहस्पति यानी गुरु ग्रह अपनी पूरी शक्ति, परिवर्तनशीलता और प्रभाव के साथ सामने होंगे। वर्ष के दौरान गुरु वक्री, मार्गी, उच्च राशि में प्रवेश, अस्त-उदय और पुनः वक्री जैसी सभी प्रमुख अवस्थाओं से गुजरेंगे। यही कारण है कि 2026 केवल ज्योतिष के विद्यार्थियों के लिए नहीं, बल्कि शेयर बाजार, सोना-चांदी, राजनीति, प्रशासन और आम जनता के फैसलों के लिए भी बेहद निर्णायक माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु के अनुसार गुरु की यह चाल केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्तर पर भी बड़े संकेत देने वाली है।
गुरु ग्रह 5 दिसंबर 2025 से ही मिथुन राशि में वक्री अवस्था में प्रवेश कर चुके हैं और इसका असर वर्ष 2026 के शुरुआती महीनों तक स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। मिथुन राशि बुद्धि, संवाद, व्यापार और सूचना का प्रतीक मानी जाती है। ऐसे में गुरु का वक्री होना बाजार में भ्रम, अफवाहों और अस्थिरता को जन्म दे सकता है। निवेशक दुविधा में रह सकते हैं, निर्णय लेने में देरी होगी और अचानक उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। आम लोगों के जीवन में भी यह समय विचारों के पुनर्मूल्यांकन का होगा। कई लोग पुराने निर्णयों पर दोबारा सोचते नजर आएंगे।
11 मार्च 2026 को गुरु मिथुन राशि में ही मार्गी होंगे। यह परिवर्तन बाजार और जनमानस के लिए राहत का संकेत माना जा रहा है। मार्गी होते ही गुरु की सकारात्मक ऊर्जा धीरे-धीरे प्रवाहित होने लगेगी। शेयर बाजार में सुधार के संकेत मिलेंगे और लंबे समय से रुके हुए निवेश में गति आएगी। हालांकि यह तेजी अचानक नहीं होगी, बल्कि सोच-समझकर आगे बढ़ने का समय होगा। सोने और चांदी की कीमतों में भी संतुलन देखने को मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौर में मुनाफा लेकर बाहर निकलना समझदारी भरा कदम हो सकता है। भावनाओं के बजाय विवेक से लिए गए निर्णय ही लाभकारी रहेंगे।
2 जून 2026 को गुरु अपनी उच्च राशि कर्क में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष में गुरु का कर्क राशि में होना अत्यंत शुभ माना जाता है। कर्क राशि भावनाओं, परिवार, सुरक्षा और स्थिरता का प्रतीक है। गुरु यहां पूर्ण बल में होते हैं और इसका असर समाज के हर वर्ग पर पड़ता है। इस समय गुरु की दृष्टि शनि ग्रह पर भी रहेगी, जिससे लंबे समय से अटकी योजनाओं में गति आ सकती है। शेयर बाजार में नई ऊर्जा का संचार होगा और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। वहीं सोना-चांदी की कीमतों में नरमी आ सकती है, जिससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। रियल एस्टेट, शिक्षा और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में भी सकारात्मक संकेत उभर सकते हैं।
हालांकि गुरु की यह शुभ स्थिति स्थायी नहीं रहेगी। 14 जुलाई से 12 अगस्त 2026 के बीच गुरु कर्क राशि में अस्त रहेंगे। ज्योतिषीय दृष्टि से गुरु का अस्त होना चेतावनी का समय माना जाता है। इस दौरान गुरु की शक्ति पृथ्वी पर कमजोर पड़ जाती है। इसका असर सीधे तौर पर बाजार और नीतिगत फैसलों पर पड़ सकता है। धातुओं, विशेषकर सोने और चांदी की कीमतों में अचानक तेजी देखने को मिल सकती है, जबकि शेयर बाजार में कमजोरी के संकेत मिलेंगे। निवेशकों के लिए यह समय सतर्कता का होगा। जल्दबाजी में लिए गए फैसले नुकसान का कारण बन सकते हैं। आम जनता के लिए भी यह समय खर्चों पर नियंत्रण रखने और जोखिम से बचने का संकेत देता है।
साल 2026 के अंतिम चरण में गुरु एक और बड़ा परिवर्तन करेंगे। 31 अक्टूबर 2026 को गुरु कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। सिंह राशि नेतृत्व, सत्ता, प्रशासन, राजनीति और प्रतिष्ठा का प्रतीक मानी जाती है। गुरु का यहां प्रवेश होते ही राजनीतिक हलचलों में तेजी आ सकती है। बड़े फैसले, नेतृत्व परिवर्तन और प्रशासनिक सख्ती के संकेत मिल सकते हैं। उच्च पदों पर बैठे लोगों का प्रभाव बढ़ेगा और नई नीतियों पर चर्चा तेज होगी। यह समय उन लोगों के लिए अनुकूल रहेगा जो नेतृत्व क्षमता रखते हैं और समाज में अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं।
लेकिन यह प्रभाव भी बिना चुनौती के नहीं रहेगा। 12 दिसंबर 2026 को गुरु सिंह राशि में ही वक्री हो जाएंगे। गुरु का सिंह में वक्री होना अहंकार, सत्ता संघर्ष और गलत सलाह के खतरे को बढ़ा सकता है। राजनीति और प्रशासन में टकराव की स्थिति बन सकती है। निर्णय लेने वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होगी। आम जनता के लिए यह समय अफवाहों और भ्रामक सूचनाओं से दूर रहने का संकेत देता है। गुरु का यह वक्री काल यह सिखाता है कि शक्ति के साथ विवेक और विनम्रता भी जरूरी है।
कुल मिलाकर वर्ष 2026 गुरु ग्रह की चाल के कारण अस्थिरता और अवसर दोनों लेकर आएगा। यह साल केवल भविष्यवाणियों का नहीं, बल्कि चेतना और सजगता का भी है। ज्योतिष संकेत देता है, लेकिन निर्णय मनुष्य को स्वयं लेने होते हैं। पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु के अनुसार जो लोग गुरु की चाल को समझकर धैर्य, विवेक और संतुलन बनाए रखेंगे, वे इस वर्ष न केवल आर्थिक रूप से बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी लाभ में रहेंगे। 2026 एक ऐसा वर्ष होगा, जो यह सिखाएगा कि परिवर्तन से डरने के बजाय उसे समझना और सही दिशा में उपयोग करना ही वास्तविक बुद्धिमत्ता है।
*पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु*(9893280184)
मां कामाख्या साधक, जन्म कुंडली विशेषज्ञ, वास्तु शास्त्री












