भाजपा के साथ जाना मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी, चुनाव से पहले बंगाली अभिनेत्री पारनो मित्रा ने थामा टीएमसी का दामन

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कोलकाता. पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर 'ग्लैमर और पॉलिटिक्स' का मेल एक नई करवट लेता दिखाई दे रहा है, जिसने राज्य के सियासी गलियारों में हलचल तेज कर दी है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की आहट के बीच बंगाली सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री पारनो मित्रा ने शुक्रवार को एक बड़ा उलटफेर करते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सदस्यता ग्रहण कर ली. कोलकाता में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य और वरिष्ठ नेता जयप्रकाश मजूमदार की उपस्थिति में उन्होंने ममता बनर्जी की विचारधारा में अपना विश्वास जताया. पारनो का टीएमसी में शामिल होना केवल एक दल-बदल नहीं है, बल्कि उनके द्वारा दिए गए बयानों ने भाजपा खेमे में एक नई बहस छेड़ दी है. पार्टी का झंडा थामते ही पारनो ने बेहद साफगोई और तल्खी के साथ कहा कि छह साल पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का उनका फैसला उनके जीवन की "एक बड़ी भूल" थी. उनके इस बयान ने न केवल राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है, बल्कि आम जनता के बीच भी यह उत्सुकता पैदा कर दी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि भगवा रंग में रंगा चेहरा आज हरा हो गया.

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पारनो मित्रा का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. साल 2021 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उस समय उन्हें हार का सामना करना पड़ा. चुनाव के बाद से ही पारनो राजनीति के मंच पर लगभग निष्क्रिय नजर आ रही थीं, जिससे उनके अगले कदम को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं. आज जब उन्होंने टीएमसी का दामन थामा, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अपनी गलती को सुधारने में विश्वास रखती हैं और उन्हें खुशी है कि उन्हें समय रहते ऐसा करने का मौका मिला. अभिनेत्री ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विकास कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वह अब अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व और ममता दीदी के मार्गदर्शन में राज्य की सेवा करना चाहती हैं. हालांकि, उन्होंने इस बात पर चुप्पी साधे रखी कि क्या वह आगामी 2026 के विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरेंगी या नहीं, लेकिन उनकी सक्रियता ने विरोधियों के कान खड़े कर दिए हैं.

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इस पूरे घटनाक्रम पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग भी शुरू हो गई है. टीएमसी की वरिष्ठ नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि पारनो ने खुद पार्टी से संपर्क किया था क्योंकि वह राज्य में हो रहे विकास से प्रभावित थीं. वहीं दूसरी ओर, भाजपा ने इस घटनाक्रम को तवज्जो न देते हुए इसे 'बेअसर' बताया है. भाजपा नेता और अभिनेता रुद्रनील घोष ने तंज कसते हुए कहा कि पारनो पिछले कई वर्षों से राजनीति में सक्रिय ही नहीं थीं, इसलिए उनके जाने से भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा और न ही टीएमसी को कोई बड़ा फायदा मिलने वाला है. राजनीति और सिनेमा के इस घालमेल ने बंगाल की जनता के बीच एक नई जिज्ञासा पैदा कर दी है कि क्या आने वाले दिनों में कुछ और बड़े चेहरे इसी तरह अपनी पुरानी 'गलतियों' को सुधारते हुए पाला बदलेंगे.

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पारनो मित्रा, जिन्होंने साल 2007 में टेलीविजन शो 'खेला' से अपने करियर की शुरुआत की थी और अंजन दत्त की फिल्म से घर-घर में पहचान बनाई, अब राजनीति की नई 'पिच' पर अपनी पारी खेलने को तैयार हैं. देव, सोहम चक्रवर्ती, राज चक्रवर्ती और जून मालिया जैसे फिल्मी सितारों की फेहरिस्त में अब उनका नाम भी टीएमसी के योद्धाओं के रूप में जुड़ गया है. जैसे-जैसे बंगाल चुनाव करीब आ रहे हैं, सितारों का यह दलबदल खेल और भी दिलचस्प होता जा रहा है. अब देखना यह होगा कि पारनो मित्रा का यह 'हृदय परिवर्तन' टीएमसी के वोट बैंक में कितना इजाफा करता है और क्या उनकी यह नई पारी उन्हें सफलता के उस शिखर तक ले जाएगी, जहाँ वह भाजपा में रहते हुए नहीं पहुंच सकी थीं.

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