हिंदू संस्कृति और वास्तु शास्त्र में 'जल' को पंचतत्वों में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। जल न केवल जीवन का आधार है, बल्कि यह धन, सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति का संवाहक भी है। वास्तु विज्ञान के अनुसार, जल का सीधा संबंध हमारे जीवन की आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य से होता है। अक्सर हम घर बनवाते समय सुंदरता पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन पानी के नल, टैंक या वाश बेसिन की दिशा को नजरअंदाज कर देते हैं। यही छोटी सी चूक घर में कलह, आर्थिक तंगी और बीमारियों का कारण बन सकती है। पंडित चंद्रशेखर नेमा "हिमांशु" के अनुभवों और वास्तु के प्राचीन सिद्धांतों के आधार पर, यहाँ जल से जुड़ी वस्तुओं के लिए सही दिशाओं का विस्तृत विवरण दिया जा रहा है:
ईशान कोण: जल स्थापना के लिए दैवीय स्थान वास्तु शास्त्र में उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) को जल का सबसे उत्तम स्थान माना गया है। भगवान शिव और जल के देवता वरुण का आधिपत्य होने के कारण, घर के इस कोने में जल का स्रोत होना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। यदि आप घर में नया निर्माण करा रहे हैं, तो पानी के नल, शावर और पीने के पानी की व्यवस्था इसी दिशा में करें। ईशान कोण में जल होने से घर के सदस्यों की बुद्धि प्रखर होती है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
उत्तर दिशा: धन के आगमन का मार्ग वाश बेसिन और हाथ धोने की जगह को हमेशा उत्तर या उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में ही बनाना चाहिए। उत्तर दिशा कुबेर की दिशा मानी जाती है। यदि यहाँ जल का प्रवाह सही दिशा में हो, तो घर में धन का आगमन निरंतर बना रहता है। वाश बेसिन लगाते समय ध्यान रखें कि उसका पानी उत्तर या पूर्व की ओर बहे। यह व्यवस्था व्यापार में उन्नति और नौकरी में प्रमोशन के मार्ग प्रशस्त करती है।
आग्नेय कोण: गीजर और हीटिंग उपकरणों का स्थान पानी को गर्म करने वाले उपकरण जैसे गीजर या बॉयलर के लिए वास्तु का नियम थोड़ा अलग है। चूंकि ये उपकरण जल और अग्नि के मेल से चलते हैं, इसलिए इन्हें घर के दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में लगाना सबसे उपयुक्त है। आग्नेय कोण अग्नि तत्व का स्थान है, यहाँ गीजर होने से घर की ऊर्जा संतुलित रहती है और बिजली से जुड़ी दुर्घटनाओं का खतरा कम होता है। कभी भी गीजर को ईशान कोण में न लगाएं, वरना यह वास्तु दोष पैदा कर सकता है।
बाथ टब और स्नान क्षेत्र की व्यवस्था नहाने के लिए उपयोग में आने वाला बाथ टब भी उत्तर या ईशान कोण में रखना श्रेष्ठ है। स्नान करते समय यदि आपका मुख उत्तर या पूर्व की ओर रहता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। इससे शरीर में ताजगी बनी रहती है और दिन भर सकारात्मक विचार आते हैं। बाथ टब को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह दिशा यम की मानी जाती है और यहाँ जल का संचय मानसिक तनाव बढ़ा सकता है।
निकासी व्यवस्था: नकारात्मकता को बाहर करने का रास्ता घर से गंदे पानी (ड्रेनेज) की निकासी की व्यवस्था हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में ही करवानी चाहिए। वास्तु के अनुसार, यदि घर का गंदा पानी दक्षिण या पश्चिम दिशा से निकलता है, तो यह संचित धन को धीरे-धीरे खत्म कर देता है और परिवार के मुखिया के मान-सम्मान में कमी लाता है। सुनिश्चित करें कि ड्रेनेज पाइप ढके हुए हों और पानी का बहाव बिना किसी रुकावट के उत्तर की ओर हो।
टपकता नल: धन हानि और दुर्भाग्य का संकेत वास्तु शास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण चेतावनी पानी के टपकते हुए नलों को लेकर दी गई है। यदि आपके घर के किसी भी कोने में नल या शावर से पानी लगातार टपक रहा है, तो इसे तुरंत ठीक करवाएं। टपकता हुआ पानी 'व्यर्थ बहते धन' का प्रतीक है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, इससे वरुण देव और चंद्र ग्रह दोनों नाराज होते हैं, जिससे घर में कर्ज बढ़ता है, बीमारियाँ पैर पसारती हैं और बेवजह के खर्चे बढ़ जाते हैं।
छत पर पानी की टंकी: पश्चिम और दक्षिण का मेल जहाँ घर के अंदर के नल उत्तर-पूर्व में होने चाहिए, वहीं छत पर रखी पानी की टंकी (Overhead Tank) के लिए दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) या पश्चिम दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है। छत पर ईशान कोण में भारी टंकी रखना वास्तु सम्मत नहीं है, क्योंकि यह कोना हल्का और खुला होना चाहिए। पश्चिम दिशा में भारी जल संचय परिवार के स्थायित्व और सुरक्षा को बढ़ाता है।
पीने के पानी का पात्र और रसोई का वास्तु रसोई घर में पीने के पानी का मटका, सुरही या वाटर प्यूरीफायर रखने के लिए उत्तर-पूर्व कोना ही चुनें। यदि वहां जगह न हो, तो पूर्व दिशा का उपयोग करें। ध्यान रखें कि पीने का पानी कभी भी रसोई के चूल्हे (आग) के बिल्कुल पास न रखा हो। आग और पानी का विरोध घर के सदस्यों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन और आपसी मतभेद पैदा कर सकता है।
अंत में, यह समझना आवश्यक है कि जल केवल एक भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि एक जीवंत ऊर्जा है। विद्वानों का भी यही मत है कि जो व्यक्ति जल का सम्मान करता है और उसे बर्बाद होने से बचाता है, उस पर ईश्वरीय कृपा सदैव बनी रहती है। जल के सही दिशा में प्रयोग से आप न केवल अपने घर का वास्तु सुधार सकते हैं, बल्कि अपनी किस्मत के बंद दरवाजों को भी खोल सकते हैं।

































