महाकाल का विधान: जब सितारे दिखाने लगें आँख तो इन अचूक उपायों से बदलें अपनी किस्मत

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मनुष्य का पूरा जीवन 9 ग्रहों और 27 नक्षत्रों की जटिल चाल और उनकी दृष्टि पर टिका हुआ है। सरल शब्दों में कहें तो जब ग्रहों की कृपा बरसती है, तो रंक भी राजा बन जाता है, लेकिन जब यही ग्रह नाराज हो जाएं, तो राजा को भिखारी बनते देर नहीं लगती। पंडित चंद्रशेखर नेमा "हिमांशु" के 32 वर्षों के अनुभव और 'महाकाल राशिफल 2026' के गूढ़ रहस्यों के आधार पर हम आपको बता रहे हैं कि किस ग्रह की नाराजगी को कैसे दूर करें और उन्हें अपना शुभचिंतक कैसे बनाएं:

1) शनि देव: कर्मफलदाता को ऐसे करें शांत शनि देव की नाराजगी जीवन में संघर्ष और विलंब लाती है। इन्हें मनाने के लिए 'दशरथ कृत शनि स्तोत्र' रामबाण है। जो व्यक्ति शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर शनि के दस नामों का जाप करता है, उसे शनि की पीड़ा नहीं सताती। शनिवार के दिन सरसों के तेल को अपने सिर से सात बार उतारकर शनि मंदिर में रख देना चाहिए (चढ़ाएं नहीं)। काले वस्त्रों का दान और नित्य दो बार हनुमान चालीसा का पाठ शनि को शांत करता है, क्योंकि शनि देव बजरंगबली के भक्तों पर सदैव दया दृष्टि रखते हैं।

2) राहु: मायावी ग्रह के प्रकोप से बचाएगी माँ दुर्गा राहु जब बिगड़ता है, तो मति भ्रष्ट कर देता है और जीवन में अचानक परेशानियाँ खड़ी करता है। राहु की शांति के लिए माँ दुर्गा की साधना से उत्तम कुछ नहीं है। 'दुर्गा सप्तशती' का विधि-विधान से पाठ कष्टों के द्वार बंद कर देता है। चींटियों को शक्कर डालना और मछलियों को आटे की गोलियां खिलाना राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है। किसी कोढ़ी या अपाहिज व्यक्ति की निस्वार्थ भाव से मदद करें और दान देकर उसके बारे में भूल जाएं।

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3) मंगल: अमंगल दूर करने के लिए थामें हनुमान जी का दामन मंगल की नाराजगी रक्त विकार, भूमि विवाद और अत्यधिक क्रोध देती है। मंगल को मजबूत और शांत करने के लिए हनुमान जी की उपासना ही सर्वोपरि है। मंगलवार का व्रत रखें और शराब व मांस से पूरी तरह परहेज करें। 'मंगल स्तोत्र' का पाठ करें और यदि कुंडली अनुमति दे, तो मूंगा धारण करें। हनुमान जी के चरणों का सिंदूर माथे पर लगाना भी मंगल को शुभ बनाता है।

4) केतु: आकस्मिक बाधाओं के लिए कुत्ते की सेवा केतु को मोक्ष और वैराग्य का कारक माना जाता है, लेकिन इसकी अशुभता झूठे आरोप और रहस्यमयी बीमारियाँ देती है। केतु की शांति के लिए काले-सफेद (चितकबरे) कुत्ते को रोटी खिलाना सबसे प्रभावी उपाय है। इसके अलावा, भगवान गणेश की पूजा और माँ दुर्गा की आराधना केतु के कुप्रभावों को नष्ट कर देती है। शास्त्रों के अनुसार, तिल और कंबल का दान भी केतु के लिए हितकारी है।

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5) चंद्रमा: मन की शांति के लिए ध्यान और चांदी का प्रयोग चंद्रमा मन का स्वामी है और इसकी नाराजगी मानसिक तनाव और एकाग्रता की कमी देती है। चंद्रमा को मनाने के लिए चांदी की अंगूठी या स्फटिक की माला धारण करना लाभकारी है। चूंकि यह एक सौम्य ग्रह है, इसलिए प्राणायाम, ध्यान, अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे योग अभ्यास चंद्रमा को तुरंत बल प्रदान करते हैं और मन को शीतलता देते हैं।

6) शुक्र: ऐश्वर्य और वैभव के लिए माँ दुर्गा की शरण शुक्र जीवन में सुख, विलासिता और सौंदर्य का प्रतिनिधि है। यदि शुक्र खराब हो, तो वैवाहिक जीवन और सुख-सुविधाओं में कमी आती है। इसे ठीक करने के लिए 'दुर्गा चालीसा' का नित्य पाठ करें। ओपल या हीरा धारण करना (परामर्श के बाद) शुक्र को बल देता है। साफ़-सफाई का विशेष ध्यान रखें और इत्र का प्रयोग करें। पुरुषों के लिए अश्विनी मुद्रा का अभ्यास भी शुक्र को मजबूती प्रदान करता है।

7) सूर्य: मान-सम्मान के लिए 'आदित्य हृदय स्तोत्र' का कवच सूर्य ग्रहों का राजा और आत्मा का कारक है। यदि सूर्य कमजोर हो, तो व्यक्ति सम्मान के लिए भटकता रहता है। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए तांबे के पात्र में गुड़ और लाल फूल डालकर नित्य अर्घ्य दें। 'आदित्य हृदय स्तोत्र' का श्रद्धापूर्वक पाठ सोए हुए भाग्य को जगाने की शक्ति रखता है। पिता का सम्मान करना सूर्य को प्रसन्न करने का सबसे सरल और श्रेष्ठ उपाय है।

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8) बुध: बुद्धि और व्यापार के लिए नारायण कवच का सहारा बुध बुद्धि, वाणी और व्यापार का स्वामी है। इसकी नाराजगी चर्म रोग और निर्णय लेने की क्षमता में कमी लाती है। बुध को शुभ बनाने के लिए 'विष्णु सहस्त्रनाम' और 'नारायण कवच' का नियमित पाठ करें। पन्ना रत्न धारण करना और छोटी कन्याओं को उपहार देना बुध को बलवान बनाता है। गाय को हरी घास खिलाना भी बुध की शांति का अचूक मार्ग है।

9) गुरु: भाग्य और ज्ञान के लिए बुजुर्गों का आशीर्वाद गुरु (बृहस्पति) देवताओं के गुरु हैं और इनकी नाराजगी से भाग्य साथ छोड़ देता है और विवाह में बाधा आती है। हर गुरुवार को गाय को भीगी हुई चने की दाल खिलाना और हल्दी की गांठ को पास रखना गुरु को शुभ करता है। वृद्धों और सदाचारी ब्राह्मणों को भोजन कराना और उनका आशीर्वाद लेना गुरु को मनाने का सबसे प्रभावी तरीका है। पीले वस्त्रों का दान और गुरुवार का व्रत आपके जीवन में ज्ञान और संपन्नता का उजाला भर देगा।

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