महाकाल में वीआईपी दर्शन पर रोक, अयोध्या में पास खत्म होने से नए साल पर बदले देश के बड़े मंदिरों के नियम

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नई दिल्ली/उज्जैन/अयोध्या :

साल 2025 अपनी विदाई की ओर है और दुनिया भर के साथ भारत भी वर्ष 2026 के स्वागत की तैयारियों में डूबा हुआ है। भारतीयों के लिए नए साल की शुरुआत अक्सर आध्यात्मिक और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ होती है, यही कारण है कि देश के प्रसिद्ध मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। श्रद्धालुओं की इसी अपार भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए देश के पांच सबसे बड़े और प्रमुख मंदिरों—महाकाल, अयोध्या राम मंदिर, तिरुपति बालाजी, शिर्डी और माता वैष्णो देवी—ने दर्शन के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। प्रशासन और मंदिर समितियों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आस्था का यह सैलाब किसी अव्यवस्था या दुर्घटना में न बदले, जिसके लिए वीआईपी संस्कृति को किनारे रखकर सामान्य भक्तों की सुविधा को प्राथमिकता दी जा रही है।

महाकालेश्वर मंदिर 

धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में नए साल के उपलक्ष्य में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं। मंदिर प्रबंधन समिति ने निर्णय लिया है कि 27 दिसंबर से लेकर 5 जनवरी तक वीआईपी दर्शन पूरी तरह से बंद रहेंगे। इस दौरान गर्भगृह में केवल अधिकृत पंडितों और पुजारियों को ही प्रवेश की अनुमति होगी, ताकि आम श्रद्धालुओं की कतारें सुचारू रूप से चलती रहें। हालाँकि, जो भक्त जल्दी दर्शन करना चाहते हैं, उनके लिए 250 रुपये की सशुल्क 'शीघ्र दर्शन' व्यवस्था जारी रहेगी। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव भस्म आरती को लेकर किया गया है। 25 दिसंबर से 5 जनवरी के बीच भस्म आरती के लिए कोई भी ऑनलाइन बुकिंग स्वीकार नहीं की जा रही है और 1 जनवरी को ऑफलाइन अनुमति भी बंद रहेगी। प्रशासन ने भक्तों को 'चलित भस्म आरती' के दर्शन करने की सलाह दी है, ताकि मंदिर के बाहर लंबी कतारों को नियंत्रित किया जा सके। उज्जैन प्रशासन का अनुमान है कि नए साल के पहले सप्ताह में लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकाल के दर पर मत्था टेकेंगे, जिसके लिए बैरिकेडिंग और पार्किंग के विशेष इंतजाम किए गए हैं।

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भगवान राम की नगरी अयोध्या

इसी तरह की स्थिति भगवान राम की नगरी अयोध्या में देखने को मिल रही है, जहाँ प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला का यह नया साल बेहद खास होने वाला है। अयोध्या में नए साल के आगमन से पहले ही उत्साह का माहौल है, लेकिन यहां दर्शन करना अब एक बड़ी चुनौती बन गया है। 1 जनवरी तक के लिए मंदिर में दर्शन के सभी पास पहले ही बुक हो चुके हैं। मंदिर समिति के अनुसार, दर्शन के लिए हर एक घंटे के स्लॉट में केवल 400 पास जारी किए जाते हैं, जो अब उपलब्ध नहीं हैं। अयोध्या के लगभग सभी होटल, धर्मशालाएं और होम-स्टे पूरी तरह से भर चुके हैं। अनुमान है कि 31 दिसंबर और 1 जनवरी को करीब 2 लाख से अधिक भक्त अयोध्या पहुँच सकते हैं। मंदिर प्रशासन का दावा है कि उन्होंने दर्शन की प्रक्रिया को इतना सुव्यवस्थित किया है कि भीड़ होने के बावजूद आधे से एक घंटे के भीतर रामलला के दर्शन सुगमता से हो पाएंगे, बशर्ते श्रद्धालु धैर्य बनाए रखें और सुरक्षा निर्देशों का पालन करें।

तिरुपति बालाजी मंदिर 

दक्षिण भारत के सबसे संपन्न और आस्था के बड़े केंद्र तिरुपति बालाजी मंदिर में भी कड़े नियम लागू किए गए हैं। आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में 30 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच केवल उन्हीं भक्तों को मंदिर में प्रवेश मिलेगा जिनके पास पहले से बुक किया गया वैध टोकन होगा। पिछले वर्षों में हुई भगदड़ जैसी दुखद घटनाओं से सबक लेते हुए मंदिर समिति ने पहले ही 1.89 लाख टोकन जारी करने के बाद सभी काउंटरों को बंद कर दिया है। समिति ने स्पष्ट किया है कि बिना टोकन के पहाड़ पर चढ़ने या दर्शन के लिए कतार में लगने का प्रयास न करें, क्योंकि सुरक्षाकर्मी बिना पास वाले किसी भी व्यक्ति को अनुमति नहीं देंगे। यहाँ भी वीआईपी दर्शन और विशेष पूजाओं को सीमित कर दिया गया है ताकि सामान्य जन को भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन का अधिक समय मिल सके।

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  शिर्डी में स्थित साईं बाबा मंदिर   

महाराष्ट्र के शिर्डी में स्थित साईं बाबा मंदिर ने भक्तों की सुविधा के लिए एक अनूठी पहल की है। नए साल पर यहाँ करीब 6 लाख श्रद्धालुओं के पहुँचने का अनुमान है। भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर समिति ने तय किया है कि 31 दिसंबर की पूरी रात मंदिर खुला रहेगा। हालाँकि, भक्तों की निरंतर आवाजाही बनी रहे, इसके लिए रात 10 बजे और सुबह 5:15 बजे होने वाली पारंपरिक आरती को स्थगित कर दिया गया है। शिर्डी में इस बार भक्तों को साईं बाबा के मुख दर्शन एक विशेष 'सोने की खिड़की' से कराए जाएंगे। मंदिर परिसर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं और चिकित्सा शिविरों की संख्या बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

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माता वैष्णो देवी

पहाड़ों पर स्थित माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाने वाले यात्रियों के लिए भी इस बार नियम काफी सख्त कर दिए गए हैं। कटरा प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि 31 दिसंबर और 1 जनवरी को यात्रा के लिए पहचान पत्र और 'रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन' (आरएफआईडी) कार्ड अनिवार्य होगा। बिना आरएफआईडी कार्ड के किसी भी भक्त को बाणगंगा से आगे जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक और महत्वपूर्ण नियम बनाया गया है, जिसके तहत कार्ड प्राप्त करने के 10 घंटे के भीतर यात्रा शुरू करनी होगी और दर्शन के बाद 24 घंटे के भीतर नीचे लौटना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य यह है कि यात्रा मार्ग और भवन (मुख्य मंदिर क्षेत्र) पर श्रद्धालु अनावश्यक रूप से भीड़ न बढ़ाएं।

देश के इन सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर किए गए ये बदलाव इस बात का संकेत हैं कि आधुनिक समय में धार्मिक पर्यटन और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना कितना आवश्यक हो गया है। प्रशासन की ओर से की गई इन सख्तियों का उद्देश्य केवल व्यवस्था बनाना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक भक्त का नया साल शांतिपूर्ण और भक्तिमय बीते। श्रद्धालुओं से भी यह अपील की जा रही है कि वे घर से निकलने से पहले संबंधित मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर नियमों की जाँच अवश्य कर लें और किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें। नए साल का स्वागत आस्था के साथ हो, लेकिन सतर्कता और अनुशासन के साथ, यही इन पांचों मंदिरों की व्यवस्था का मुख्य संदेश है।

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