हादी हत्याकांड के संदिग्धों के मेघालय भागने के दावों को भारत ने किया पूरी तरह खारिज

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नई दिल्ली. बांग्लादेश के चर्चित इस्लामी युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच एक बार फिर बयानबाजी तेज हो गई है. बांग्लादेश पुलिस द्वारा लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए भारतीय आधिकारिक सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि हादी हत्याकांड से जुड़े संदिग्धों के भारत में प्रवेश या मेघालय भागने के दावे निराधार और तथ्यहीन हैं. भारतीय पक्ष की यह प्रतिक्रिया ढाका पुलिस के उस बयान के तुरंत बाद आई, जिसमें कहा गया था कि हत्या के दो मुख्य आरोपी भारत की सीमा पार कर मेघालय पहुंच गए हैं.

दरअसल, 12 दिसंबर 2025 को ढाका में इस्लामी युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह घटना बांग्लादेश में व्यापक चर्चा और आक्रोश का कारण बनी. हादी की गिनती उन युवाओं में होती थी, जो सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर मुखर राय रखते थे और जिनकी लोकप्रियता खासतौर पर युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रही थी. उनकी हत्या के बाद हजारों लोगों ने ढाका में उनके जनाजे में हिस्सा लिया था, जिससे इस मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है.

रविवार को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त एस.एन. नजऱुल इस्लाम ने दावा किया कि इस हत्याकांड में शामिल दो संदिग्ध, फैसल करीम मसूद और आलमगीर शेख, वारदात के बाद बांग्लादेश से भागकर भारत के मेघालय राज्य में दाखिल हो गए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इन आरोपियों को सीमा पार कराने में कुछ स्थानीय लोगों ने मदद की और ऐसे दो स्थानीय सहयोगी भारतीय एजेंसियों की हिरासत में हैं. इस बयान के सामने आते ही दोनों देशों के मीडिया में हलचल मच गई और मामला अंतरराष्ट्रीय ध्यान का केंद्र बन गया.

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हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने इन आरोपों को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि बांग्लादेश पुलिस के पास अपने दावों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं है. भारतीय सूत्रों के अनुसार, भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं और किसी भी तरह की अवैध घुसपैठ या संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाती है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मेघालय में किसी भी ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिसे हादी हत्याकांड से जोड़ा जा सके.

भारतीय पक्ष का कहना है कि सीमा प्रबंधन को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही सहयोग की व्यवस्था मौजूद है. यदि बांग्लादेश को किसी संदिग्ध के भारत में होने की आशंका है, तो इसके लिए स्थापित राजनयिक और कानूनी प्रक्रियाएं हैं. सीधे तौर पर सार्वजनिक बयान देकर आरोप लगाना दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग की भावना के विपरीत है. भारतीय अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया कि इस तरह के बयान बिना पुष्टि के दिए जाने से अनावश्यक तनाव पैदा हो सकता है.

इस पूरे घटनाक्रम के बीच यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत और बांग्लादेश के संबंध हाल के वर्षों में काफी मजबूत रहे हैं. सीमा सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग और अपराध नियंत्रण के क्षेत्र में दोनों देशों ने मिलकर कई सफल कदम उठाए हैं. ऐसे में हादी हत्याकांड जैसे संवेदनशील मामले में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को लेकर कूटनीतिक हलकों में भी चिंता जताई जा रही है.

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बांग्लादेश पुलिस के बयान के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह मामला सिर्फ एक आपराधिक जांच तक सीमित है या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक या वैचारिक संदर्भ भी जुड़ा हुआ है. शरीफ उस्मान हादी की पहचान एक इस्लामी युवा नेता के रूप में थी और उनकी हत्या को लेकर बांग्लादेश के भीतर भी अलग-अलग तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि जांच के दबाव और घरेलू जनाक्रोश के बीच पुलिस ने सीमा पार भागने का दावा कर जांच को एक नया मोड़ देने की कोशिश की है.

भारत के मेघालय राज्य की बात करें तो यह इलाका पहले भी सीमा पार अपराधों और अवैध आवाजाही के मामलों में चर्चा में रहा है. हालांकि, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था को काफी मजबूत किया गया है. सीमा पर आधुनिक तकनीक, अतिरिक्त बलों की तैनाती और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय के चलते अवैध गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण रखा जा रहा है. ऐसे में किसी हाई-प्रोफाइल हत्या के आरोपी का आसानी से सीमा पार कर भारत में शरण लेना बेहद मुश्किल है.

भारतीय सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि बांग्लादेश सरकार औपचारिक रूप से किसी संदिग्ध के भारत में होने की जानकारी साझा करती है, तो भारत अंतरराष्ट्रीय कानून और द्विपक्षीय समझौतों के तहत सहयोग के लिए तैयार है. लेकिन सार्वजनिक मंच पर बिना पुख्ता जानकारी के आरोप लगाना न तो जांच के हित में है और न ही द्विपक्षीय रिश्तों के लिए उचित.

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इस बीच, बांग्लादेश में हादी के समर्थकों और परिजनों में अभी भी गहरा आक्रोश है. वे जल्द से जल्द दोषियों की गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग कर रहे हैं. ढाका में हुए उनके अंतिम संस्कार में उमड़ी भारी भीड़ इस बात का संकेत है कि यह मामला वहां की राजनीति और समाज दोनों पर गहरा असर डाल रहा है. ऐसे में बांग्लादेशी प्रशासन पर भी दबाव है कि वह जांच में तेजी दिखाए और ठोस नतीजे सामने लाए.

कुल मिलाकर, शरीफ उस्मान हादी हत्याकांड अब केवल एक आपराधिक मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह भारत-बांग्लादेश संबंधों के संदर्भ में भी एक संवेदनशील मुद्दा बनता जा रहा है. भारत द्वारा आरोपों के सख्त खंडन के बाद अब निगाहें बांग्लादेश पुलिस के अगले कदम पर टिकी हैं. यह देखना अहम होगा कि क्या ढाका अपने दावों के समर्थन में ठोस सबूत पेश करता है या फिर यह मामला राजनयिक स्तर पर बातचीत और सहयोग के जरिए सुलझाया जाता है. दोनों देशों के हित इसी में हैं कि जांच निष्पक्ष और तथ्यों के आधार पर आगे बढ़े, ताकि सच सामने आ सके और दोषियों को कानून के दायरे में लाया जा सके.

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