हिंदू पंचांग के अनुसार नए साल की पहली पूर्णिमा के रूप में आने वाली पौष पूर्णिमा को लेकर देशभर में श्रद्धा और आस्था का विशेष वातावरण बनता जा रहा है। 3 जनवरी 2026, शनिवार को मनाई जाने वाली इस पूर्णिमा को धर्मग्रंथों में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन किए गए व्रत, पूजा और दान से न केवल इस जन्म बल्कि पूर्व जन्मों के संचित पापों का भी क्षय होता है। यही कारण है कि पौष पूर्णिमा को ‘मोक्षदायनी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्यों और धर्माचार्यों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी, चंद्र देव और सूर्य देव की संयुक्त आराधना का विशेष महत्व होता है।
पौष पूर्णिमा की तिथि का प्रारंभ 2 जनवरी 2026 की शाम 6 बजकर 53 मिनट पर होगा और इसका समापन 3 जनवरी 2026 को दोपहर 3 बजकर 32 मिनट पर होगा। चूंकि 3 जनवरी की सुबह सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि विद्यमान रहेगी, इसलिए धार्मिक दृष्टि से इसी दिन पौष पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। यह दिन न केवल धार्मिक कर्मकांडों के लिए बल्कि आध्यात्मिक साधना के लिए भी विशेष माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में होता है, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसी कारण इस रात को ‘सिद्धियों की रात’ भी कहा गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों के कष्टों को हरती हैं। इसी विश्वास के चलते इस दिन प्रदोष काल में विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा की जाती है। घर-घर में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं, शुद्धता और सात्विकता का विशेष ध्यान रखा जाता है तथा धन-धान्य की वृद्धि के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यदि इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाए तो पूरे वर्ष आर्थिक संकट नहीं आता और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पारंपरिक उपायों में 11 पीली कौड़ियों का प्रयोग विशेष रूप से उल्लेखनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्णिमा की रात इन कौड़ियों पर हल्दी का तिलक लगाकर उन्हें माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित किया जाता है और फिर ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद’ मंत्र का 108 बार जाप किया जाता है। इसके बाद इन कौड़ियों को लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी या धन रखने के स्थान पर सुरक्षित रखने की परंपरा है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि यह उपाय धन की स्थिरता और निरंतरता के लिए किया जाता है तथा इससे वर्षभर आर्थिक संतुलन बना रहता है।
इसके अलावा पौष पूर्णिमा की रात खीर बनाने की परंपरा भी प्रचलित है। श्रद्धालु खीर को चांदी के पात्र या कांच के कटोरे में भरकर ऐसी जगह रखते हैं, जहां उस पर चंद्रमा की सीधी रोशनी पड़ सके। माना जाता है कि चंद्रमा की शीतल किरणों से खीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मध्यरात्रि के बाद इस खीर को प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को ग्रहण कराया जाता है। धार्मिक विश्वास है कि इससे घर के लोगों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और आर्थिक तंगी दूर होती है।
कुछ श्रद्धालु पौष पूर्णिमा की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा भी निभाते हैं। विशेष रूप से जिन लोगों का मन अशांत रहता है या व्यापार में लगातार हानि हो रही हो, वे चांदी के लोटे में जल, कच्चा दूध, चीनी और सफेद फूल डालकर चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार इससे मानसिक शांति मिलती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है, इसलिए इस दिन की गई चंद्र पूजा को मानसिक संतुलन और भावनात्मक स्थिरता के लिए लाभकारी माना जाता है।
पौष पूर्णिमा के अवसर पर गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है। कई स्थानों पर श्रद्धालु तड़के ही स्नान कर दान-पुण्य करते हैं। अन्न, वस्त्र और धन का दान इस दिन विशेष पुण्यदायी माना गया है। साधु-संतों और धर्माचार्यों का कहना है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है और इससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
हालांकि विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि किसी भी धार्मिक उपाय का वास्तविक उद्देश्य आत्मशुद्धि और सकारात्मक सोच है। आस्था के साथ किए गए कर्म व्यक्ति के मनोबल को मजबूत करते हैं और उसे अनुशासन व संयम की ओर प्रेरित करते हैं। पौष पूर्णिमा जैसे पर्व समाज में आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत करने के साथ-साथ सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का भी माध्यम हैं।
पौष पूर्णिमा 2026 न केवल एक धार्मिक तिथि है, बल्कि यह श्रद्धा, विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी है। नए साल की शुरुआत में आने वाली यह पूर्णिमा लोगों के लिए आशा और समृद्धि का संदेश लेकर आती है। यही कारण है कि हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रद्धालु पूरे विश्वास और आस्था के साथ माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पौष पूर्णिमा के व्रत, पूजा और उपायों में जुटे नजर आएंगे।

































