जयपुर. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने शनिवार को उस वीडियो को पूरी तरह फर्जी बताकर खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनियन में भारतीय और पाकिस्तानी वक्ताओं के बीच होने वाली डिबेट के अचानक रद्द होने के विवाद पर बोलते हुए दिखाया गया था. पायलट ने सोशल मीडिया पर इस क्लिप को शेयर करते हुए साफ तौर पर कहा कि "नकली एआई वीडियो को अभी लंबा सफर तय करना है."
दरअसल, यह विवाद उस समय खड़ा हुआ जब भारतीय और पाकिस्तानी वक्ताओं के बीच होने वाली एक निर्धारित बहस को ऑक्सफोर्ड यूनियन द्वारा अंतिम समय में रद्द कर दिया गया था, जिस पर दोनों देशों के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में काफी चर्चा हुई थी. इसी संदर्भ में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके सचिन पायलट का एक वीडियो बनाया गया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया, जिसमें उन्हें इस घटना पर अपनी राय व्यक्त करते हुए दिखाया गया था.
पायलट ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर एक स्प्लिट-स्क्रीन वीडियो साझा किया. इस वीडियो में एक तरफ वह फर्जी क्लिप थी जो वायरल हो रही थी, और दूसरी तरफ वह वास्तविक वीडियो था जिसके फुटेज का उपयोग करके यह AI डीपफेक क्लिप बनाई गई थी.
वीडियो साझा करते हुए, कांग्रेस नेता ने स्पष्ट और संक्षिप्त कैप्शन लिखा: “यह वीडियो मैं यहाँ डाल रहा हूँ. नकली AI वीडियो को अभी लंबा सफर तय करना है..!” यह उनकी ओर से अपने नाम का इस्तेमाल करके फैलाई जा रही गलत सूचना को तुरंत खारिज करने का एक तरीका था.
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब भारत सहित दुनिया भर में राजनीतिक हस्तियों और प्रमुख व्यक्तित्वों के डीपफेक वीडियो का प्रसार एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है. AI तकनीक जहां कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है, वहीं इसका दुरुपयोग करके बनाए जा रहे अत्यधिक विश्वसनीय फर्जी वीडियो चुनाव और सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. सचिन पायलट द्वारा समय पर इस फेक वीडियो को उजागर करना, जनता के बीच एआई से जनित गलत सूचनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह दिखाता है कि राजनेता भी अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी छवि और बयानों की सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं.

































