2 या 3 जनवरी, कब है साल 2026 की पहली पूर्णिमा? जाने महत्व, शुभ मुहूर्त और किन चीजों का दान करें

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हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है और साल 2026 की पहली पूर्णिमा पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाएगी. इस दिन चंद्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है और पवित्र नदी में स्नान-दान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बतलाया गया है. शास्त्रों में बताया गया है कि पौष मास में किए गए धार्मिक कर्मकांड की पूर्णता पूर्णिमा के स्नान करने के बाद ही सार्थक मानी जाती है. साथ ही पौष पूर्णिमा से ही माघ मेले का आयोजन भी शुरू हो जाएगा. माघ मेला भारत के प्रमुख धार्मिक आयोजन में से एक है, जो प्रयागराज में पौष पूर्णिमा से शुरू होता है. आइए जानते हैं कब है पौष पूर्णिमा, महत्व और मुहूर्त…
पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का खास धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत, स्नान और दान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इस दिन गंगा, यमुना, सरस्वती या किसी भी पवित्र नदी में स्नान, भगवान विष्णु की पूजा और जरूरतमंदों को दान करना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा करने से जीवन की हर समस्या दूर हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. 3 जनवरी 2026 को साल 2026 की पहली पूर्णिमा पड़ रही है. पौष पूर्णिमा का व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्ट और नकारात्मकता दूर होती है, मानसिक शांति और आत्मबल बढ़ता है. साथ ही धन, अन्न और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
पौष पूर्णिमा से माघ मेले का आयोजन
पौष पूर्णिमा से ही माघ स्नान की शुरुआत मानी जाती है. धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है. साधु-संत और श्रद्धालु इस दिन से कल्पवास भी शुरू करते हैं. कल्पवास एक आध्यात्मिक अनुष्ठान और साधना होती है. इस दौरान साधु-संत या श्रद्धालु एक महीने तक प्रयागराज के संगम के तट ही पर रहते हैं और हर दिन संगम में पवित्र स्नान करते हैं. ये स्नान एक बार नहीं बल्कि दिन भर में तीन बार किया जाता है. कहा जाता है कि पौष पूर्णिमा पर किया गया स्नान और दान, साल भर किए गए पुण्य कर्मों के बराबर फल देता है. इसी वजह से यह पूर्णिमा खास मानी जाती है. माना जाता है कि माघ मेले में स्नान करने से व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.

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3 जनवरी को साल 2026 की पहली पूर्णिमा
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 2 जनवरी 2026 को शाम 6 बजकर 53 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन 3 जनवरी को दोपहर 3 बजकर 32 मिनट पर होगा. उदया तिथि को मानते हुए पौष पूर्णिमा का व्रत 3 जनवरी 2026 दिन शनिवार को रखना ही उचित होगा. 3 जनवरी को चंद्रमा का उदय शाम 05 बजकर 28 मिनट पर होगा.

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पौष पूर्णिमा व्रत पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा पर दान-स्नान का ब्रह्म मुहूर्त 3 जनवरी 2026 दिन शनिवार को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 20 तक रहेगा, इसके अलावा आप चाहें तो दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में भी दान-धर्म के कार्य कर सकते हैं

पौष पूर्णिमा 2026 पूजन विधि
पौष पूर्णिमा पर सवेरे-सवेरे पवित्र नदी में स्नान के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें. इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें, अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव के मंत्रों का जप करें. फिर भगवान विष्णु की पीले फूल, भोग, चंदन, अक्षत, वस्त्र तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और तुलसी की माला से ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. इसके बाद गाय के घी के दीपक से आरती करें और भोग लगाएं. फिर दिन में एक बार सात्विक भोजन करें या फलाहार लें और गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान दें. पौष पूर्णिमा की रात को चंद्रमा को भी अर्घ्य देना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए. मान्यता है कि पूर्णिमा की रात की गई आराधना शीघ्र फल प्रदान करती है.

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पूर्णिमा पर इन चीजों का करें दान
पौष पूर्णिमा 2026 पर दान करने का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और ग्रह-नक्षत्र के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है. पूर्णिमा तिथि पर सफेद रंग की चीजें, जैसे- दूध, चावल, चीनी, चांदी, सफेद वस्त्र, सफेद चंदन इत्यादी का दान करना चाहिए. साथ ही खीर का प्रसाद के रूप में वितरण किया जा सकता है. इस दिन खास तौर पर कंबल, गर्म कपड़े, चावल, गेहूं, तिल और गुड़, घी और दूध का दान करने का विशेष महत्व बताया गया है.

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