
10 सितंबर, 2025 को बहराइच के मंझारा तौकली गांव में 4 साल की बच्ची ज्योति को भेड़िया खा गया। 2 दिन बाद बगल के गांव की 4 साल की संध्या को उठा ले गया। 20 सितंबर को अंकेश, 24 सितंबर को सोनी, 30 सितंबर को खेदन और उनकी पत्नी मनकी को मार दिया। 20 दिन के ही अंदर 6 मौतें। वन विभाग हाथ-पांव मारता रहा, लेकिन भेड़िए पकड़ में नहीं आए। बाहर से शूटर मंगाए गए। शासन की तरफ से आदेश मिला कि आदमखोर भेड़ियों को देखते ही गोली मार दी जाए। वन विभाग की टीम लगी, भेड़िए खोजे जाने लगे। एक के बाद एक 3 भेड़ियों का एनकाउंटर किया गया। चौथे भेड़िए के पैर में गोली लगी, लेकिन वह भाग गया। इन कार्रवाई के बाद लगा कि अब हमला बंद हो जाएगा। अक्टूबर में भेड़िए बस्तियों से दूर रहे, लेकिन जैसे ही नवंबर शुरू हुआ फिर से हमला शुरू कर दिया। एक के बाद एक 4 और बच्चों को मार दिया। इस तरह से 2 महीने के अंदर अब तक 10 लोगों को आदमखोर अपना शिकार बना चुके हैं। इन हमलों को लेकर कई सवाल खड़े हुए। माना जाता था कि बाढ़ आने पर भेड़ियों की मांद में पानी भर जाता है। इसलिए वो मानव बस्तियों की तरफ आते हैं। लेकिन, बाढ़ तो 2 महीने पहले खत्म हो गई। सर्दियों में पहले हमला नहीं करते थे, फिर इस बार क्यों? ज्यादातर हमलों में इस बार दो भेड़िए साथ देखे गए, ऐसा क्यों? क्या वन विभाग को नहीं पता चल पा रहा कि कितने भेड़िए हैं? आखिर अब शहर के लोग क्यों चिंतित हैं? सब कुछ एक तरफ से जानते हैं… 8 घंटे में 2 बच्चों का शिकार, जोड़े में आए भेड़िए
बहराइच जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर कैसरगंज थाना क्षेत्र में मल्लहनपुरवा गांव है। 28 नवंबर की शाम करीब साढ़े 4 बजे 5 साल का स्टार घर के बाहर खेल रहा था। तभी गन्ने के खेत की तरफ से 2 भेड़िए आए। एक खड़ा रहा और दूसरे ने स्टार की गर्दन दबोची और ले भागा। गांव में हल्ला मचा, लोग लाठी-डंडा लेकर गन्ने के खेतों की तरफ भागे। कुछ देर बाद स्टार लहूलुहान हालत में मिला। उसकी दोनों हथेलियों को भेड़िए खा गए थे। घर के लोग बहराइच अस्पताल लेकर गए। वहां कुछ देर इलाज चला। फिर लखनऊ रेफर किया गया। रास्ते में ही स्टार की मौत हो गई। इस घटना के करीब 8 घंटे बाद रात के डेढ़ बजे खोरिया शफीक गांव में हमला हुआ। यह गांव श्रावस्ती सीमा पर बसा है। बहराइच शहर से महज 5 किलोमीटर ही दूर है। यहां रामचंद्र की पत्नी रामादेवी 4 दिन पहले अपने मायके आई थी। तीनों बच्चों के साथ घर में सो रही थीं। तभी भेड़िया आया और 10 महीने की बेटी सुनीता को गोद से उठाकर भाग गया। बच्ची की चीख सुनने पर घर के लोग जागे और भेड़िए के पीछे भागे। लाठी-डंडों के साथ गांव के लोग इधर-उधर भागे। करीब डेढ़ घंटे बाद घर से 800 मीटर की दूरी पर बच्ची का छत-विक्षत शव मिला। भेड़िया उसे नोच रहा था। शहर से महज 5 किलोमीटर दूरी पर अटैक
खोरिया शरीफ कोतवाली देहात इलाके में आता है। शहर से इस गांव की दूरी महज 5 किलोमीटर है। यह पहला मौका है, जब शहर से इतना करीब भेड़िए ने अटैक किया। इस हमले के बाद इलाके में डर की स्थिति है। शाम होते ही लोग बच्चों को घरों में कैद कर दे रहे। खेतों की तरफ भी अकेले नहीं जा रहे। इसके पहले भेड़िए के जो भी हमले हुए वह कैसरगंज थाना क्षेत्र और महसी के इलाके में हुए। दोनों ही जगह शहर से 30 से 40 किलोमीटर दूर रहे। पिछले साल भेड़ियों ने महसी तहसील को अपना ठिकाना बनाया था। उस वक्त 9 बच्चों को अपना शिकार बनाया था। इस साल महसी इलाके में भेड़ियों का आतंक नहीं रहा। सभी करीब 40 किलोमीटर दूर कैसरगंज तहसील की तरफ शिफ्ट हो गए। पिछले साल जुलाई-अगस्त में ज्यादातर हमला किया, लेकिन इस साल सितंबर से हमला शुरू किया। जबकि माना जाता है कि सर्दियों में भेड़िए अपनी मांद की तरफ वापस चले जाते हैं। इन हमलों को लेकर हमारे मन में कई सवाल उपजे, जैसे… इन सारे सवालों के जवाबों के लिए हमने वाइल्ड लाइफ से जुड़े कुछ एक्सपर्ट से बात की। भेड़ियों का भोजन खत्म हो रहा
इन सवालों को लेकर हमने 22 साल से वाइल्ड लाइफ से जुड़े अजय दुबे से बात की। अजय कहते हैं- भेड़ियों का मुख्य शिकार खरगोश, हिरण, नीलगाय के बच्चे हैं। भेड़िए समूह में मिलकर इन्हें अपना शिकार बना लेते हैं। कई बार जब इन्हें नहीं मार पाते, तो इनके छोटे बच्चों को उठा लेते हैं। लेकिन, अब वन विभाग को देखना चाहिए कि क्या भेड़ियों के ये भोजन उस इलाके में खत्म हो रहे? क्योंकि जो भी जंगली जानवर मांसाहारी होता है, वो इंसानों से बहुत बचता है। इंसानों की तरफ तभी आता है, जब वह बीमार हो गया हो या फिर उसे शिकार नहीं मिल रहा हो। अजय कहते हैं- हमने भेड़िए के हमलों को बारीकी से देखा और समझा। यह बात समझ आती है कि उनका फूड साइकल बदल रहा है। अब भेड़िए रात के बजाय दिन में हमला कर रहे हैं। इसका मतलब है वह इस बात से अभ्यस्त हो रहे हैं कि बच्चा ही उनका भोजन है। उनको इसकी आदत लग गई है। बिना किसी प्रतिरोध उन्हें अपना भोजन मिल जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों को इस पूरे मामले पर अध्ययन की जरूरत है। अजय लगातार बदलती भौगोलिक परिस्थिति को भी एक कारण मानते हैं। कहते हैं- हमें इस चीज को भी देखना होगा कि क्या जंगल लगातार कट रहे हैं? क्या जंगल की तरफ खेती बढ़ रही? क्या जहां जंगल हैं, वहां की जमीनों को पट्टा किया जाने लगा? ये सब भी कारण हैं। हमने कहा- क्या भेड़ियों को मारना इस समस्या का समाधान है?
अजय कहते हैं- न इनका मरना उचित है, न इंसानों का मरना उचित है। सीएम योगी ने जब गोली मारने का आदेश दिया, तो मुझे अजीब लगा। क्योंकि ऐसा कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। वन विभाग के जो अधिकारी ड्यूटी पर लगे हैं, उन्हें इस पूरे मामले पर अध्ययन करने की जरूरत है। प्रशासन ने 4 भेड़ियों का एनकाउंटर किया, 3 की मौत
बहराइच में भेड़ियों के अटैक की खबर जैसे ही सामने आई, वन विभाग एक्टिव हो गया। जहां हमला होता, वहां जाल लगाते, पिंजरा लगाते। बड़ी संख्या में कर्मचारियों की तैनाती होती। इन सबके चलते भेड़िए गांव बदलकर हमला करते। कई बच्चों की जान जाने के बाद प्रशासन ने दूसरी जगहों से शूटर बुलाए। आदमखोर भेड़ियों को देखते ही गोली मारने का आदेश हुआ। 28 सितंबर को एक भेड़िए के पैर में गोली लगी, वह लंगड़ाते हुए भाग गया। 15 अक्टूबर को भिरगू पुरवा में एक भेड़िया मारा गया। 2 नवंबर को बभननपुरवा और 15 नवंबर को लोधन पुरवा में शूटर्स ने एक-एक भेड़िए का एनकाउंटर किया। भेड़िए बदला ले रहे
जंग बहादुर सिंह उर्फ जंग हिंदुस्तानी बहराइच में ही कतर्निया घाट वाइल्ड लाइफ में 20 साल से जानवरों पर काम कर रहे हैं। वह कहते हैं- भेड़िए इंसानों से भी ज्यादा संवेदनशील होते हैं। वो तो इंसानों को देखकर भागते हैं, लेकिन अब हमला कर रहे हैं। इसके पीछे बदले की भावना है। इसके 2 कारण हैं, एक तो साथ के भेड़िए मारे जा रहे, दूसरा उनके वैकल्पिक ठिकाने कम हो रहे। पहले वो गन्ने के खेतों में ठिकाना बनाते थे। लेकिन इस वक्त गन्ने की कटाई शुरू हो रही, इससे भागकर हमला कर रहे। हमने कहा कि अब भेड़िए समूह में हमला करते हुए दिख रहे हैं? जंग हिंदुस्तानी कहते हैं- भेड़िए समूह में ही हमला करते हैं। जिस तरह से आदमी प्लानिंग करता है, ठीक उसी तरह से उनकी प्लानिंग होती है। जानवरों में यह गुण हाथी और भेड़िए के ही पास होता है। ये अलग-अलग भी अगर निकलें, तो शिकार मिलने पर आवाज देकर बुला लेते हैं। एक शिकार करता है और सभी मिलकर खाते हैं। जंग हिंदुस्तानी भेड़ियों के फूड चेन को लेकर कहते हैं- भेड़ियों के लिए चूहों का शिकार करना सबसे आसान रहता था। लेकिन, इस वक्त ज्यादातर चूहे अपनी बिलों में बैठ गए हैं। वहीं धान जमा कर लिया है। अब खाने के लिए बाहर नहीं निकल रहे। खरगोश की इस वक्त बहुत कमी है। हिरण और नीलगाय को भेड़िए शिकार नहीं बना पा रहे। इसी कारण मनुष्य के बच्चों का शिकार कर रहे। फिलहाल 30 नवंबर तक भेड़ियों ने 8 बच्चों समेत 10 लोगों को अपना शिकार बना लिया है। 40 लोग भेड़ियों के हमलों में घायल हो चुके हैं। वन विभाग की 28 अलग-अलग टीमें लगी हैं। 12 से ज्यादा जगहों पर पिंजरे लगाए गए हैं। थर्मल ड्रोन के जरिए भेड़ियों को खोजा रहा। लेकिन, भेड़ियों के हमलों को अब तक रोका नहीं जा सका है। ये कब तक रुकेगा, इस पर भी कोई कुछ नहीं कह सकता। —————————— ये खबर भी पढ़ें… भेड़िया 8 घंटे में 2 बच्चों को खा गया, बहराइच में बच्चे के दोनों हाथ चबाए, बच्ची को मां की गोद से ले गया यूपी के बहराइच में भेड़िए खूंखार हो गए हैं। 8 घंटे के अंदर 2 बच्चों को खा गए। शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे 5 साल के मासूम को 2 आदमखोर भेड़िए घर से उठा ले गए। एक ने मासूम की गर्दन दबोची, दूसरे ने पैर। लोगों ने देखा तो लाठी-डंडे लेकर पीछे भागे। 500 मीटर दूर खेत में मासूम खून से लथपथ मिला। पढ़िए पूरी खबर…














