डुमरियागंज क्षेत्र के बयारा गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान सोमवार रात सुदामा चरित्र का वर्णन किया गया। कथावाचक ने सुदामा और भगवान कृष्ण की मित्रता का प्रसंग सुनाया। कथावाचक ने बताया कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। महल के द्वार पर द्वारपालों ने उन्हें भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। सुदामा ने स्वयं को कृष्ण का मित्र बताया, जिसके बाद द्वारपाल ने महल में जाकर प्रभु को सूचना दी। सुदामा का नाम सुनते ही भगवान कृष्ण तेजी से द्वार की ओर भागे। उन्होंने अपने सखा सुदामा को देखते ही गले लगा लिया। सुदामा ने भी ‘कन्हैया-कन्हैया’ कहते हुए कृष्ण को गले लगाया। भगवान कृष्ण ने सुदामा को अपने राजसिंहासन पर बैठाया और उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। कथावाचक ने कहा कि जब भी भक्तों पर विपदा आती है, प्रभु उनका तारण करने अवश्य आते हैं। इस दौरान अखिलेश अग्रहरि, उमेश, विजय सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहे।
श्रीमद्भागवत कथा में सुदामा चरित्र का वर्णन:डुमरियागंज के बयारा गांव में चल रही कथा, क्षेत्र में भक्ति का माहौल
डुमरियागंज क्षेत्र के बयारा गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान सोमवार रात सुदामा चरित्र का वर्णन किया गया। कथावाचक ने सुदामा और भगवान कृष्ण की मित्रता का प्रसंग सुनाया। कथावाचक ने बताया कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। महल के द्वार पर द्वारपालों ने उन्हें भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। सुदामा ने स्वयं को कृष्ण का मित्र बताया, जिसके बाद द्वारपाल ने महल में जाकर प्रभु को सूचना दी। सुदामा का नाम सुनते ही भगवान कृष्ण तेजी से द्वार की ओर भागे। उन्होंने अपने सखा सुदामा को देखते ही गले लगा लिया। सुदामा ने भी ‘कन्हैया-कन्हैया’ कहते हुए कृष्ण को गले लगाया। भगवान कृष्ण ने सुदामा को अपने राजसिंहासन पर बैठाया और उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। कथावाचक ने कहा कि जब भी भक्तों पर विपदा आती है, प्रभु उनका तारण करने अवश्य आते हैं। इस दौरान अखिलेश अग्रहरि, उमेश, विजय सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहे।









































