बलरामपुर में केंद्रीय कॉमन रिव्यू मिशन (सीआरएम) की टीम ने सोमवार को बलरामपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। टीम के निरीक्षण में जिला अस्पतालों की दशा चिंताजनक पाई गई। मशीनें खराब, रिकॉर्ड अधूरे और सफाई व्यवस्था लचर। निरीक्षण के दौरान टीम के अधिकारी स्पष्ट रूप से असंतुष्ट दिखाई दिए। निरीक्षण दल का नेतृत्व एडीजी (टीबी) डॉ. रघुराम राव कर रहे थे। उन्होंने कहा कि “मेडिकल कॉलेज शुरू होने से पहले जिला अस्पताल की सभी सेवाएं मानक स्तर पर होनी चाहिए। मरीजों को किसी भी स्थिति में परेशानी नहीं होनी चाहिए।” ओपीडी बंद होने के बाद भी चला निरीक्षण शाम करीब 4:15 बजे टीम संयुक्त जिला चिकित्सालय पहुंची, जब ओपीडी का समय समाप्त हो चुका था। इसके बावजूद अधिकारियों ने एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, ओटी और डायलिसिस यूनिट जैसे विभागों का गहन निरीक्षण किया।टीम को कई मशीनें बंद या मानक से नीचे हालत में मिलीं। रिकॉर्ड अधूरे पाए गए, और आयुष्मान भारत वार्ड को अलग से संचालित करने पर आपत्ति जताई गई। मेडिकल कॉलेज का बहाना नहीं चलेगा- एडीजी जांच के दौरान जब स्थानीय अधिकारियों ने यह कहकर पल्ला झाड़ा कि “अस्पताल अब मेडिकल कॉलेज के अधीन है”, तो डॉ. राव ने सख्त लहजे में कहा — “कॉलेज शुरू होने में अभी समय है। तब तक यह अस्पताल ही मरीजों की जिम्मेदारी संभालेगा। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” निरीक्षण में प्रसव कक्ष, ओटी, किचन, डायलिसिस यूनिट और फार्मेसी की स्थिति “असंतोषजनक” पाई गई। अस्पताल परिसर में गंदगी, टूटी टाइलें, अधूरे अभिलेख और खराब शौचालय व्यवस्था देखकर टीम ने तीखी नाराजगी जताई। एडीजी बोले- टीम की खबर पहले से थी डॉ. राव ने कहा कि जिस तेजी से अस्पताल में सफाई और रंगाई-पुताई दिखाई दे रही है, उससे लगता है कि टीम के आने की सूचना पहले ही मिल चुकी थी। उन्होंने कहा — “दिखावे के सुधार से मरीजों को राहत नहीं मिलेगी। स्थायी बदलाव ही असली सुधार है।” निरीक्षण के दौरान सीएमओ डॉ. मुकेश कुमार रस्तोगी, सीएमएस डॉ. राजकुमार, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. राजेश चतुर्वेदी और डॉ. ए.के. यादव सहित कई अधिकारी मौजूद रहे। टीम का एक हिस्सा जब जिला महिला चिकित्सालय पहुंचा, तो वहां की व्यवस्थाएं भी अव्यवस्थित मिलीं।एसएनसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में अधूरे रजिस्टर, गलत फॉर्मेट और अपूर्ण रिकॉर्ड मिले। उपचाराधीन बच्चों की स्थिति पर सवाल किए जाने पर बाल रोग विशेषज्ञों के उत्तर भी असंतोषजनक पाए गए। टीम ने सीएमएस डॉ. सुमन दत्त गौतम को तत्काल सुधार के निर्देश दिए और चेतावनी दी कि अगली जांच में खामियां दोहराई गईं तो कार्रवाई तय है। 7 घंटे चली योजनाओं की समीक्षा बैठक निरीक्षण से पहले टीम ने श्रावस्ती स्थित एक होटल में करीब सात घंटे लंबी समीक्षा बैठक की।इस दौरान जिले के सभी स्वास्थ्य अधिकारियों से सरकारी योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट मांगी गई।टीम ने कहा कि “कोई भी पात्र व्यक्ति सरकारी योजना के लाभ से वंचित न रहे”, और यह भी पूछा कि आवंटित बजट का उपयोग किस तरह किया गया है। बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए कई दिशा-निर्देश और सुझाव दिए गए।
बलरामपुर में सीआरएम टीम ने जिला अस्पतालों का किया निरीक्षण:अव्यवस्था देख भड़के अधिकारी, एडीजी बोले- दिखावा नहीं, सुधार चाहिए
बलरामपुर में केंद्रीय कॉमन रिव्यू मिशन (सीआरएम) की टीम ने सोमवार को बलरामपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। टीम के निरीक्षण में जिला अस्पतालों की दशा चिंताजनक पाई गई। मशीनें खराब, रिकॉर्ड अधूरे और सफाई व्यवस्था लचर। निरीक्षण के दौरान टीम के अधिकारी स्पष्ट रूप से असंतुष्ट दिखाई दिए। निरीक्षण दल का नेतृत्व एडीजी (टीबी) डॉ. रघुराम राव कर रहे थे। उन्होंने कहा कि “मेडिकल कॉलेज शुरू होने से पहले जिला अस्पताल की सभी सेवाएं मानक स्तर पर होनी चाहिए। मरीजों को किसी भी स्थिति में परेशानी नहीं होनी चाहिए।” ओपीडी बंद होने के बाद भी चला निरीक्षण शाम करीब 4:15 बजे टीम संयुक्त जिला चिकित्सालय पहुंची, जब ओपीडी का समय समाप्त हो चुका था। इसके बावजूद अधिकारियों ने एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, ओटी और डायलिसिस यूनिट जैसे विभागों का गहन निरीक्षण किया।टीम को कई मशीनें बंद या मानक से नीचे हालत में मिलीं। रिकॉर्ड अधूरे पाए गए, और आयुष्मान भारत वार्ड को अलग से संचालित करने पर आपत्ति जताई गई। मेडिकल कॉलेज का बहाना नहीं चलेगा- एडीजी जांच के दौरान जब स्थानीय अधिकारियों ने यह कहकर पल्ला झाड़ा कि “अस्पताल अब मेडिकल कॉलेज के अधीन है”, तो डॉ. राव ने सख्त लहजे में कहा — “कॉलेज शुरू होने में अभी समय है। तब तक यह अस्पताल ही मरीजों की जिम्मेदारी संभालेगा। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” निरीक्षण में प्रसव कक्ष, ओटी, किचन, डायलिसिस यूनिट और फार्मेसी की स्थिति “असंतोषजनक” पाई गई। अस्पताल परिसर में गंदगी, टूटी टाइलें, अधूरे अभिलेख और खराब शौचालय व्यवस्था देखकर टीम ने तीखी नाराजगी जताई। एडीजी बोले- टीम की खबर पहले से थी डॉ. राव ने कहा कि जिस तेजी से अस्पताल में सफाई और रंगाई-पुताई दिखाई दे रही है, उससे लगता है कि टीम के आने की सूचना पहले ही मिल चुकी थी। उन्होंने कहा — “दिखावे के सुधार से मरीजों को राहत नहीं मिलेगी। स्थायी बदलाव ही असली सुधार है।” निरीक्षण के दौरान सीएमओ डॉ. मुकेश कुमार रस्तोगी, सीएमएस डॉ. राजकुमार, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. राजेश चतुर्वेदी और डॉ. ए.के. यादव सहित कई अधिकारी मौजूद रहे। टीम का एक हिस्सा जब जिला महिला चिकित्सालय पहुंचा, तो वहां की व्यवस्थाएं भी अव्यवस्थित मिलीं।एसएनसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में अधूरे रजिस्टर, गलत फॉर्मेट और अपूर्ण रिकॉर्ड मिले। उपचाराधीन बच्चों की स्थिति पर सवाल किए जाने पर बाल रोग विशेषज्ञों के उत्तर भी असंतोषजनक पाए गए। टीम ने सीएमएस डॉ. सुमन दत्त गौतम को तत्काल सुधार के निर्देश दिए और चेतावनी दी कि अगली जांच में खामियां दोहराई गईं तो कार्रवाई तय है। 7 घंटे चली योजनाओं की समीक्षा बैठक निरीक्षण से पहले टीम ने श्रावस्ती स्थित एक होटल में करीब सात घंटे लंबी समीक्षा बैठक की।इस दौरान जिले के सभी स्वास्थ्य अधिकारियों से सरकारी योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट मांगी गई।टीम ने कहा कि “कोई भी पात्र व्यक्ति सरकारी योजना के लाभ से वंचित न रहे”, और यह भी पूछा कि आवंटित बजट का उपयोग किस तरह किया गया है। बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए कई दिशा-निर्देश और सुझाव दिए गए।









































