श्रावस्ती में सीताद्वार मेला आज से शुरू:पांच दिवसीय मेले की तैयारियां पूरी, वाल्मीकि आश्रम और सीता मंदिर सजाए गए

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इकौना स्थित पौराणिक स्थली सीताद्वार में कार्तिक पूर्णिमा मेला आज रात 12 बजे से शुरू होगा। पांच दिवसीय इस मेले के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। वाल्मीकि आश्रम और माता सीता के मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है। मेले में व्यापारियों ने अपनी दुकानें लगा ली हैं, जिनमें मिठाई, होटल, जनरल स्टोर, खिलौने और मनोरंजन के लिए चरखी-झूले शामिल हैं। पुलिस विभाग ने मेले को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री राम द्वारा परित्याग किए जाने के बाद माता सीता को उनके अनुज लक्ष्मण ने उत्तर दिशा के इसी जंगल में स्थित वाल्मीकि आश्रम में छोड़ा था। यहीं पर गर्भवती माता सीता ने अपने पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया और उनका पालन-पोषण किया। बाद में, जब भगवान श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा छोड़ा, तो उस पर एक तख्ती लटकी थी जिसमें लिखा था कि जो इसे पकड़ेगा उसे भगवान श्री राम से युद्ध करना होगा। लव ने कम उम्र में ही उस घोड़े को पकड़ लिया और भगवान श्री राम को युद्ध के लिए चुनौती दी। भगवान श्री राम के अनुज भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न ने अपनी सेनाओं के साथ घोड़े को छुड़ाने का प्रयास किया, लेकिन वे सभी परास्त हो गए। हनुमान जी भी लव-कुश द्वारा बांध दिए गए। अंततः भगवान श्री राम के आने पर, वाल्मीकि जी और माता सीता ने पिता-पुत्र की पहचान कराई और युद्ध समाप्त हुआ। तभी से यह पौराणिक स्थली हजारों वर्षों से कार्तिक पूर्णिमा मेले के दौरान श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनी हुई है। मान्यता है कि इस झील में स्नान करने और माता सीता के दर्शन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

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