फखरपुर थाना क्षेत्र में स्थित पारले चीनी मिल को गन्ना पहुंचाने वाली कई ट्रॉलियां रात के समय बिना रिफ्लेक्टर के सड़कों पर चलती हैं। इन ट्रॉलियों में सुरक्षा चिह्नों का अभाव गंभीर सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है। इन ट्रॉलियों की संरचना केवल एंगल पर आधारित है, जिससे हेडलाइट की रोशनी में भी ये स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देतीं। यह स्थिति सड़क पर एक ‘अदृश्य खतरे’ जैसी बन जाती है, खासकर रात या कम दृश्यता के दौरान। स्थानीय निवासियों के अनुसार, वाहन चालकों को अक्सर आखिरी क्षण में ही इन ट्रॉलियों का आभास होता है, जिससे नियंत्रण खोने या टक्कर होने का खतरा बढ़ जाता है। रात में चलती एक ट्रॉली के वीडियो में बिना रिफ्लेक्टर के उसके खतरनाक ढंग से ‘गायब’ प्रतीत होने को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। फखरपुर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि गन्ना लाने वाले किसानों की मेहनत के बावजूद, ट्रॉलियों पर सुरक्षा के इंतजाम सुनिश्चित करना मिल प्रशासन का कर्तव्य है। यदि मिल गेट पर वाहनों की जांच और रिफ्लेक्टर लगाने जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं लागू की जाएं, तो दुर्घटनाओं की आशंका काफी हद तक कम हो सकती है। स्थानीय नागरिक अजय प्रताप सिंह (सचिव), दिनेश वर्मा, शैलेन्द्र वर्मा, अमित, निरंकार वर्मा, सुनील वर्मा (प्रधान), रोमी मेहरोत्रा (पूर्व प्रधान), रोहित गुप्ता, ओम प्रकाश पोरवाल, त्रिलोकी सिंह और भवानी मिश्रा (सचिव) ने पारले चीनी मिल प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनकी मांगों में ट्रॉलियों पर मानक रिफ्लेक्टर और सुरक्षा चिह्न लगवाना, गन्ना लाने वाले वाहनों की एंट्री के समय सुरक्षा जांच सुनिश्चित करना, तथा सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाना शामिल है। नागरिकों का कहना है कि यदि पारले चीनी मिल प्रशासन समय रहते उचित कदम उठाता है, तो आने वाले दिनों में भयंकर कोहरे और खराब मौसम के दौरान इस प्रकार की ट्रॉलियों से होने वाली दुर्घटनाओं में बड़ी कमी लाई जा सकती है।
पारले चीनी मिल की ट्रॉलियों में रिफ्लेक्टर नहीं: फखरपुर क्षेत्र में रात में बिना सुरक्षा चिह्न चल रहीं, दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ा – Fakharpur(Bahraich) News
फखरपुर थाना क्षेत्र में स्थित पारले चीनी मिल को गन्ना पहुंचाने वाली कई ट्रॉलियां रात के समय बिना रिफ्लेक्टर के सड़कों पर चलती हैं। इन ट्रॉलियों में सुरक्षा चिह्नों का अभाव गंभीर सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है। इन ट्रॉलियों की संरचना केवल एंगल पर आधारित है, जिससे हेडलाइट की रोशनी में भी ये स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देतीं। यह स्थिति सड़क पर एक ‘अदृश्य खतरे’ जैसी बन जाती है, खासकर रात या कम दृश्यता के दौरान। स्थानीय निवासियों के अनुसार, वाहन चालकों को अक्सर आखिरी क्षण में ही इन ट्रॉलियों का आभास होता है, जिससे नियंत्रण खोने या टक्कर होने का खतरा बढ़ जाता है। रात में चलती एक ट्रॉली के वीडियो में बिना रिफ्लेक्टर के उसके खतरनाक ढंग से ‘गायब’ प्रतीत होने को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। फखरपुर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि गन्ना लाने वाले किसानों की मेहनत के बावजूद, ट्रॉलियों पर सुरक्षा के इंतजाम सुनिश्चित करना मिल प्रशासन का कर्तव्य है। यदि मिल गेट पर वाहनों की जांच और रिफ्लेक्टर लगाने जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं लागू की जाएं, तो दुर्घटनाओं की आशंका काफी हद तक कम हो सकती है। स्थानीय नागरिक अजय प्रताप सिंह (सचिव), दिनेश वर्मा, शैलेन्द्र वर्मा, अमित, निरंकार वर्मा, सुनील वर्मा (प्रधान), रोमी मेहरोत्रा (पूर्व प्रधान), रोहित गुप्ता, ओम प्रकाश पोरवाल, त्रिलोकी सिंह और भवानी मिश्रा (सचिव) ने पारले चीनी मिल प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनकी मांगों में ट्रॉलियों पर मानक रिफ्लेक्टर और सुरक्षा चिह्न लगवाना, गन्ना लाने वाले वाहनों की एंट्री के समय सुरक्षा जांच सुनिश्चित करना, तथा सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाना शामिल है। नागरिकों का कहना है कि यदि पारले चीनी मिल प्रशासन समय रहते उचित कदम उठाता है, तो आने वाले दिनों में भयंकर कोहरे और खराब मौसम के दौरान इस प्रकार की ट्रॉलियों से होने वाली दुर्घटनाओं में बड़ी कमी लाई जा सकती है।









































