सत्ताधारी विधायक की चिट्ठी से खुली अफसरशाही की पोल:सत्ता में होते हुए भी अफसर नहीं सुन रहे बात- आखिर सिस्टम में दिक्कत कहां है?

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सिद्धार्थ नगर में शोहरतगढ़ से अपना दल (एस) विधायक विनय वर्मा ने लोक निर्माण विभाग, बस्ती मंडल के मुख्य अभियंता को पत्र लिखकर शिकायत की है कि उनके क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी के अफसर काम में लापरवाही बरत रहे हैं और विकास कार्यों की रफ्तार ठप पड़ी है। विधायक वर्मा ने चिट्ठी में साफ लिखा है कि शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड के सहायक अभियंता की कार्यशैली बेहद असंतोषजनक है। न तो निर्माण की गुणवत्ता ठीक है, न मॉनिटरिंग हो रही है। उन्होंने मुख्य अभियंता से मांग की है कि इस अधिकारी का तत्काल स्थानांतरण किया जाए और किसी सक्षम अधिकारी को तैनात किया जाए ताकि काम की रफ्तार बढ़ सके। विधायक ने उठाए 7 अहम मुद्दे विनय वर्मा ने अपने पत्र में विभागीय कामकाज की पूरी पोल खोल दी है। उन्होंने मांग की है कि—विधानसभा क्षेत्र के तहत वर्ष 2025-26 में स्वीकृत व लंबित निर्माण प्रस्तावों की सूची उपलब्ध कराई जाए। ओपन बाईपास, पलटा देवी मार्ग और भिरण्डा रोड के एस्टीमेट की स्थिति स्पष्ट की जाए। शोहरतगढ़ गैंगहट और तहसील क्षेत्र के पास खाली जमीन पर गेस्ट हाउस निर्माण कराया जाए। चिल्हिया–परौवा–बर्डपुर मार्ग की जर्जर हालत को देखते हुए तत्काल मरम्मत कराई जाए। एनएच 730 (जो एनएचएआई में नहीं है) की बाईपास सड़क की मरम्मत सुनिश्चित की जाए। शोहरतगढ़–पलटा देवी मार्ग पर चोड़ार ग्राम के पास पोखरी किनारे कट रही सड़क पर रिटेनिंग वॉल बनाई जाए। सहायक अभियंता का तत्काल स्थानांतरण किया जाए। विधायक के इस पत्र ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब सत्ताधारी दल का विधायक ही अफसरों की अनसुनी की शिकायत करने को मजबूर हो जाए, तो आम जनता की स्थिति का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है।विनय वर्मा ने अपने पत्र में लिखा है कि वे चाहते हैं कि इन सभी बिंदुओं की जांच कर तत्काल कार्रवाई की जाए। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अफसरशाही इतनी ताकतवर हो चुकी है कि जनप्रतिनिधियों को भी नोटिस लेने के लिए लिखित में गुहार लगानी पड़े? एक पर कार्रवाई, बाकी फाइलों में धूल पत्र में उठाए गए 7 बिंदुओं में से सिर्फ एक बिंदु — सहायक अभियंता के स्थानांतरण पर कार्रवाई हुई है। बाकी छह मांगें अब भी कागजों में दबी पड़ी हैं।अब सिद्धार्थ नगर जिले की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि मुख्य अभियंता इस चिट्ठी पर आगे क्या कदम उठाते हैं। विधायक की यह चिट्ठी सिर्फ शिकायत नहीं, बल्कि अफसरशाही की सुस्ती और सिस्टम की अनसुनी पर सीधा वार है। आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि प्रशासन सुधरेगा या फिर सिस्टम का अहंकार एक बार फिर जनता और जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाने की कोशिश करेगा।
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