इमलिया में किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण मिला:जलवायु परिवर्तन और पराली प्रबंधन पर भी जागरूक किया गया

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सिद्धार्थनगर के ग्राम इमलिया में बुधवार को कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों को जलवायु परिवर्तन और पराली प्रबंधन पर जागरूक किया। यह कार्यक्रम किसान राजकुमार द्विवेदी के आवास पर आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया। कृषि विज्ञान केंद्र सिद्धार्थनगर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शेषनारायण सिंह, डॉ. प्रवेश कुमार और डॉ. प्रवीण मिश्रा ने किसानों को बदलते मौसम के प्रभाव, फसल अवशेष प्रबंधन और प्राकृतिक खेती के लाभों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है और प्रदूषण बढ़ता है, इसलिए किसानों को पराली प्रबंधन के वैकल्पिक तरीके अपनाने चाहिए। इस अवसर पर लगभग 30 किसानों को आर.एच. 725 सरसों का बीज निःशुल्क वितरित किया गया। इसी तरह, ग्राम टिकरी पकड़िया में भी 45 किसानों को सरसों का बीज मुफ्त दिया गया। कृषि विभाग द्वारा ग्राम इमिलिया में बायो रिसर्च सेंटर स्थापित किया गया है। यहां किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान कृषि सखी महिलाओं को जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, वर्मी कंपोस्ट और प्राकृतिक काला नमक धान, आलू, लहसुन की खेती का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया। वैज्ञानिकों ने किसानों से रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम करके प्राकृतिक तरीकों से खेती करने की अपील की, ताकि मिट्टी का स्वास्थ्य बना रहे और उत्पादन में भी वृद्धि हो। ग्रामीणों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण से खेती को नई दिशा मिलेगी।
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