बलरामपुर के ललिया थाना क्षेत्र में वर्ष 2024 में हुई नाबालिग से दुष्कर्म मामले में न्याय की मांग कर रहे पीड़िता और उसके पिता को ही पुलिस द्वारा कटघरे में खड़ा किए जाने का आरोप सामने आया है। दो बार बयान दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने पीड़िता और पिता के पॉलिग्राफ टेस्ट के लिए हाईकोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर दिया, जिसे बाद में कोर्ट ने खारिज कर दिया। अधिवक्ता स्वतंत्र कुमार मिश्र के अनुसार उस समय के विवेचक अमर सिंह ने आरोपित को बचाने के लिए पीड़िता और उसके पिता पर दबाव बनाया। बरामदगी के समय डरी हुई नाबालिग ने पुलिस के कहे अनुसार बयान दे दिया था, लेकिन बाद में उसने पूरी घटना अपनी मां को बताई। मेडिकल जांच ने भी उसके कथन की पुष्टि की। पिता को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा पिता जब थाने में न्याय की गुहार लगाने गए तो पुलिस ने कार्रवाई से इनकार कर उन्हें वापस भेज दिया। मजबूर होकर पिता कोर्ट पहुंचे। पॉक्सो कोर्ट ने मामले में फिर से बयान दर्ज कराने और आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत की सख्ती और अवमानना कार्रवाई के बाद बयान तो दर्ज हुआ, लेकिन इसी बीच विवेचक का तबादला कर दिया गया। नव नियुक्त विवेचक और पॉलिग्राफ टेस्ट नव नियुक्त विवेचक प्रतीक पांडेय ने भी पीड़िता और उसके पिता के पॉलिग्राफ टेस्ट की मांग करते हुए अदालत में अर्जी लगाई, जिसे हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। आरोप है कि इसके बाद भी पुलिस की ओर से एसपी के जरिए तथ्य छिपाते हुए हलफनामा दाखिल किया गया। पुलिस ने कहा—कोर्ट का सम्मान करेंगे एसपी विकास कुमार ने कहा कि अदालत के आदेश का पूरा सम्मान किया जाएगा और पुलिस कोर्ट में अपना पक्ष विधिवत प्रस्तुत करेगी।
नाबालिग और पिता को कटघरे में खड़ा करने का आरोप:हाईकोर्ट ने पॉलिग्राफ अर्जी खारिज की, विवेचक पर दबाव डालने का आरोप
बलरामपुर के ललिया थाना क्षेत्र में वर्ष 2024 में हुई नाबालिग से दुष्कर्म मामले में न्याय की मांग कर रहे पीड़िता और उसके पिता को ही पुलिस द्वारा कटघरे में खड़ा किए जाने का आरोप सामने आया है। दो बार बयान दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने पीड़िता और पिता के पॉलिग्राफ टेस्ट के लिए हाईकोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर दिया, जिसे बाद में कोर्ट ने खारिज कर दिया। अधिवक्ता स्वतंत्र कुमार मिश्र के अनुसार उस समय के विवेचक अमर सिंह ने आरोपित को बचाने के लिए पीड़िता और उसके पिता पर दबाव बनाया। बरामदगी के समय डरी हुई नाबालिग ने पुलिस के कहे अनुसार बयान दे दिया था, लेकिन बाद में उसने पूरी घटना अपनी मां को बताई। मेडिकल जांच ने भी उसके कथन की पुष्टि की। पिता को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा पिता जब थाने में न्याय की गुहार लगाने गए तो पुलिस ने कार्रवाई से इनकार कर उन्हें वापस भेज दिया। मजबूर होकर पिता कोर्ट पहुंचे। पॉक्सो कोर्ट ने मामले में फिर से बयान दर्ज कराने और आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत की सख्ती और अवमानना कार्रवाई के बाद बयान तो दर्ज हुआ, लेकिन इसी बीच विवेचक का तबादला कर दिया गया। नव नियुक्त विवेचक और पॉलिग्राफ टेस्ट नव नियुक्त विवेचक प्रतीक पांडेय ने भी पीड़िता और उसके पिता के पॉलिग्राफ टेस्ट की मांग करते हुए अदालत में अर्जी लगाई, जिसे हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। आरोप है कि इसके बाद भी पुलिस की ओर से एसपी के जरिए तथ्य छिपाते हुए हलफनामा दाखिल किया गया। पुलिस ने कहा—कोर्ट का सम्मान करेंगे एसपी विकास कुमार ने कहा कि अदालत के आदेश का पूरा सम्मान किया जाएगा और पुलिस कोर्ट में अपना पक्ष विधिवत प्रस्तुत करेगी।








































