बस्ती के मखौड़ा धाम में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को देव दीपावली महोत्सव मनाया गया। माता प्रसाद पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित इस महोत्सव में 5100 मिट्टी के दीयों से पूरे धाम को सजाया गया। मनोरमा नदी के तट से लेकर मंदिर की सीढ़ियों, प्रवेश द्वार और गर्भगृह तक दीपों की कतारों ने अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया। सुबह से ही हजारों श्रद्धालु मखौड़ा धाम पहुंचने लगे थे। भक्तों ने सर्वप्रथम मनोरमा नदी में पवित्र स्नान किया, जिसके बाद प्रभु श्रीराम, माता सीता और भगवान शंकर का पूजन-अर्चन किया। संध्याकाल में घंटे-घड़ियाल की ध्वनि के साथ माता प्रसाद पांडेय ने दीप प्रज्वलित कर देव दीपावली का शुभारंभ किया। पूरा धाम दीपों की रोशनी से जगमगा उठा। इस वर्ष दीयों से बनाई गई रंगोली और ‘ॐ’ तथा ‘स्वास्तिक’ की भव्य आकृतियां विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। श्रद्धालुओं ने इन पवित्र प्रतीकों के बीच दीप जलाकर अपने परिवार और समाज की सुख-समृद्धि की कामना की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया था, जिसके फलस्वरूप भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इसलिए यह स्थल ‘राम जन्म की भूमिका भूमि’ के रूप में भी जाना जाता है। सनातन संस्कृति में देव दीपावली का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन देवता भी गंगा स्नान कर दीपदान करते हैं, जिससे दान-पुण्य का अक्षय फल प्राप्त होता है। कार्यक्रम में राम कोटि दशरथ महल अयोध्या के महंत विंदुगद्दाचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ माता प्रसाद पांडेय, विकास पांडेय, निखिल, राम किशन, गुलशन मौर्य, पुजारी सूर्य नारायण दास वैदिक और अभिजीत दास सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु और भक्तगण मौजूद थे। महंत विंदुगद्दाचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया कि यह वही पवित्र स्थल है जहां राजा दशरथ ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराया था, जिसके बाद अयोध्या में भगवान राम का अवतार हुआ। उन्होंने कहा कि आज भी लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं और वे पूर्ण होती हैं। पूरे कार्यक्रम के दौरान भक्ति गीतों की मधुर गूंज और दीपों की झिलमिलाहट से वातावरण भक्तिमय बना रहा।









































