डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के परानपुर, मरवटिया, संगवार, बनगाई, सुकरौली, सोनबरसा और कमहरिया सहित कई गांवों में धान की कटाई शुरू हो गई है। इस वर्ष धान की पैदावार में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है, जिससे किसान अपनी लागत निकालने को लेकर चिंतित हैं। धान की फसल के लिए पर्याप्त पानी आवश्यक होता है। जुलाई में नाममात्र की बारिश हुई, जिससे फसलें प्रभावित हुईं। ऊंचे स्थानों पर किसानों ने निजी संसाधनों से सिंचाई कर फसलों को बचाने का प्रयास किया। अगस्त माह में भी बारिश की कमी बनी रही। सितंबर के अंतिम सप्ताह में हुई बारिश से धान की फसलों को कुछ राहत मिली और बालियां विकसित हुईं। निचले स्थानों पर पैदावार अपेक्षाकृत बेहतर रही, लेकिन कुल मिलाकर कम बारिश को ही कम पैदावार का मुख्य कारण माना जा रहा है। किसान अब तेजी से कटाई कर रहे हैं ताकि अगली फसलों की बुवाई समय पर हो सके। कृषि तकनीक सहायक ने बताया कि कुछ स्थानों पर पैदावार कम हुई है। तहसील प्रशासन द्वारा फसल सर्वेक्षण (क्रॉप सर्वे) किया जा रहा है, जिससे नुकसान का आकलन किया जा सके। क्षेत्र के किसानों, जिनमें सूर्य प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. ओंकार, अज्जू सिंह और विमला त्रिपाठी शामिल हैं, ने बताया कि इस वर्ष धान की पैदावार बहुत कम हुई है।
सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज में धान की पैदावार में कमी:किसान चिंतित, लागत निकालना मुश्किल
डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के परानपुर, मरवटिया, संगवार, बनगाई, सुकरौली, सोनबरसा और कमहरिया सहित कई गांवों में धान की कटाई शुरू हो गई है। इस वर्ष धान की पैदावार में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है, जिससे किसान अपनी लागत निकालने को लेकर चिंतित हैं। धान की फसल के लिए पर्याप्त पानी आवश्यक होता है। जुलाई में नाममात्र की बारिश हुई, जिससे फसलें प्रभावित हुईं। ऊंचे स्थानों पर किसानों ने निजी संसाधनों से सिंचाई कर फसलों को बचाने का प्रयास किया। अगस्त माह में भी बारिश की कमी बनी रही। सितंबर के अंतिम सप्ताह में हुई बारिश से धान की फसलों को कुछ राहत मिली और बालियां विकसित हुईं। निचले स्थानों पर पैदावार अपेक्षाकृत बेहतर रही, लेकिन कुल मिलाकर कम बारिश को ही कम पैदावार का मुख्य कारण माना जा रहा है। किसान अब तेजी से कटाई कर रहे हैं ताकि अगली फसलों की बुवाई समय पर हो सके। कृषि तकनीक सहायक ने बताया कि कुछ स्थानों पर पैदावार कम हुई है। तहसील प्रशासन द्वारा फसल सर्वेक्षण (क्रॉप सर्वे) किया जा रहा है, जिससे नुकसान का आकलन किया जा सके। क्षेत्र के किसानों, जिनमें सूर्य प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. ओंकार, अज्जू सिंह और विमला त्रिपाठी शामिल हैं, ने बताया कि इस वर्ष धान की पैदावार बहुत कम हुई है।



































