हरैया सतघरवा के मथुरा बाजार स्थित वनकसिहा गांव में सात दिवसीय श्रीराम कथा एवं संत सम्मेलन का शुभारंभ हुआ है। यह आयोजन गांव के मंदिर परिसर में चल रहा है। अयोध्या धाम से पधारे कथावाचक संत सर्वेश महाराज ने गृहस्थ आश्रम में जीवन यापन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भगवान की भक्ति, माता-पिता, गुरु और गो सेवा करनी चाहिए। गो सेवा से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। संत सर्वेश महाराज ने आगे कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब भगवान अवतार लेते हैं। भगवान की कथा सुनने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास महाराज द्वारा रचित रामचरितमानस का उल्लेख करते हुए कहा कि “बड़े भाग्य मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ यह ग्रन्थहि गावा”, जिसका अर्थ है कि मानव शरीर बड़े भाग्य से मिलता है और देवता भी धरती पर मानव रूप में जन्म लेने के लिए आतुर रहते हैं। इस शतचंडी महायज्ञ एवं संत सम्मेलन में अयोध्या धाम से शिवराम, संत राम दास, वंदना, अशोकानंद महाराज, संत बजरंगी दास, साहब दास, जमुना दास, सूरदास, भंडारी दास, महंत सत्य प्रकाश दास, महंत शांति दास, संत पूनम दासी, राकेश, दीनबंधु, विपुल मिश्रा, कल्लू दास और गोविंद पाठक सहित कई संत व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
मथुरा बाजार के वनकसिहा में श्रीराम कथा, संत सम्मेलन शुरू:अयोध्या धाम से आए संत सर्वेश महाराज ने गृहस्थी चलाने पर दिया प्रवचन
हरैया सतघरवा के मथुरा बाजार स्थित वनकसिहा गांव में सात दिवसीय श्रीराम कथा एवं संत सम्मेलन का शुभारंभ हुआ है। यह आयोजन गांव के मंदिर परिसर में चल रहा है। अयोध्या धाम से पधारे कथावाचक संत सर्वेश महाराज ने गृहस्थ आश्रम में जीवन यापन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भगवान की भक्ति, माता-पिता, गुरु और गो सेवा करनी चाहिए। गो सेवा से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। संत सर्वेश महाराज ने आगे कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब भगवान अवतार लेते हैं। भगवान की कथा सुनने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास महाराज द्वारा रचित रामचरितमानस का उल्लेख करते हुए कहा कि “बड़े भाग्य मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ यह ग्रन्थहि गावा”, जिसका अर्थ है कि मानव शरीर बड़े भाग्य से मिलता है और देवता भी धरती पर मानव रूप में जन्म लेने के लिए आतुर रहते हैं। इस शतचंडी महायज्ञ एवं संत सम्मेलन में अयोध्या धाम से शिवराम, संत राम दास, वंदना, अशोकानंद महाराज, संत बजरंगी दास, साहब दास, जमुना दास, सूरदास, भंडारी दास, महंत सत्य प्रकाश दास, महंत शांति दास, संत पूनम दासी, राकेश, दीनबंधु, विपुल मिश्रा, कल्लू दास और गोविंद पाठक सहित कई संत व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।









































