कुसौरा गन्ना क्रय केंद्र पर किसानों का शोषण:आयुक्त के सख़्त निर्देश के बावजूद वसूली जारी

6
Advertisement

रूधौली चीनीमिल के अंतर्गत कुसौरा गन्ना क्रय केंद्र पर किसानों में भारी आक्रोश है। किसानों का आरोप है कि गन्ना आयुक्त के सख्त निर्देशों के बावजूद केंद्र पर उनसे अवैध वसूली की जा रही है और गन्ने की तौल में भी गड़बड़ी की जा रही है। किसानों के अनुसार, क्रय केंद्र पर तैनात कांटा बाबू प्रत्येक ट्रॉली से 50 किलोग्राम गन्ना काट लेते हैं। इसके अतिरिक्त, लेबर चार्ज के नाम पर किसानों से जबरन 100 रुपये वसूले जाते हैं। किसानों का कहना है कि यदि वे पैसे देने से इनकार करते हैं, तो उनकी तौल कम कर दी जाती है या उनकी ट्रॉली को रोक दिया जाता है। किसानों ने बताया कि कुसौरा क्रय केंद्र लंबे समय से भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। कई बार शिकायतें करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे उनमें निराशा है। एक स्थानीय किसान ने नाम न छापने की शर्त पर तौल में गड़बड़ी और अवैध वसूली के साथ-साथ गन्ना भुगतान में देरी को भी एक बड़ी समस्या बताया। शिवदास चौधरी ने कहा कि रूधौली चीनी मिल समय पर भुगतान नहीं करती, जिससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। किसान अब्दुर रहीम ने बताया कि केवल कुसौरा ही नहीं, बल्कि कई अन्य क्रय केंद्रों पर भी किसानों का शोषण हो रहा है। रामकुमार ने योगी सरकार के अवैध वसूली के खिलाफ अभियान को ‘हवा हवाई’ बताया। दूसरी ओर, कुसौरा क्रय केंद्र के कांटा बाबू सदाशिव उपाध्याय ने किसानों के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने 50 किलोग्राम गन्ना काटने के आरोप को गलत बताया। हालांकि, उन्होंने 100 रुपये लेबर चार्ज लेने की बात स्वीकार की, लेकिन दावा किया कि यह राशि किसान अपनी इच्छा से देते हैं। चीनीमिल गेट और गन्ना क्रय केंद्रों पर किसानों से लोडिंग-अनलोडिंग शुल्क वसूले जाने की लगातार शिकायतें शासन तक पहुंची थीं। किसानों के हित को देखते हुए गन्ना आयुक्त मिनिस्ती एस. ने कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी हाल में किसानों से कोई शुल्क न लिया जाए। किसानों ने मांग की है कि कुसौरा गन्ना क्रय केंद्र की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

यहां भी पढ़े:  सिद्धार्थनगर में वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ मनी:सांसद, जनप्रतिनिधि, अधिकारी और छात्र पीएम लाइव से जुड़े, किया सामूहिक गान
Advertisement