सिद्धार्थनगर के बढ़नी ब्लॉक स्थित कम्पोजिट स्कूल धनौरा में ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ के तहत 100 दिवसीय जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया गया। इस पहल का उद्देश्य बच्चों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना है। कार्यक्रम में विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ प्रधानाचार्य दिनेश, शिक्षकगण, एसएसबी हेड कांस्टेबल अमल राजभर और उनके साथ चार जवान उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, MSEMVS संस्था से रोहित दुबे और विजय शंकर यादव भी इस अवसर पर मौजूद थे। अभियान के दौरान बच्चों को बाल विवाह के गंभीर दुष्परिणामों, इससे संबंधित कानूनी प्रावधानों, बाल अधिकारों, शिक्षा के अधिकार और 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर एसएसबी के एक उप निरीक्षक ने अपने संबोधन में कहा कि बाल विवाह को पूरी तरह समाप्त करने के लिए केवल बच्चों को ही नहीं, बल्कि माताओं को भी जागरूक और शिक्षित करना अत्यंत आवश्यक है। इस जागरूकता कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य बच्चों को एक सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त भविष्य की दिशा में प्रेरित करना है, ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें और बाल विवाह जैसी कुरीतियों का विरोध कर सकें।
धनौरा में बाल विवाह जागरूकता अभियान शुरू:मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ
सिद्धार्थनगर के बढ़नी ब्लॉक स्थित कम्पोजिट स्कूल धनौरा में ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ के तहत 100 दिवसीय जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया गया। इस पहल का उद्देश्य बच्चों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना है। कार्यक्रम में विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ प्रधानाचार्य दिनेश, शिक्षकगण, एसएसबी हेड कांस्टेबल अमल राजभर और उनके साथ चार जवान उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, MSEMVS संस्था से रोहित दुबे और विजय शंकर यादव भी इस अवसर पर मौजूद थे। अभियान के दौरान बच्चों को बाल विवाह के गंभीर दुष्परिणामों, इससे संबंधित कानूनी प्रावधानों, बाल अधिकारों, शिक्षा के अधिकार और 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर एसएसबी के एक उप निरीक्षक ने अपने संबोधन में कहा कि बाल विवाह को पूरी तरह समाप्त करने के लिए केवल बच्चों को ही नहीं, बल्कि माताओं को भी जागरूक और शिक्षित करना अत्यंत आवश्यक है। इस जागरूकता कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य बच्चों को एक सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त भविष्य की दिशा में प्रेरित करना है, ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें और बाल विवाह जैसी कुरीतियों का विरोध कर सकें।








































