बलरामपुर के पचपेड़वा विकास खंड स्थित मानपुर भाभर गांव में आठ दिवसीय रामलीला का समापन हो गया। अंतिम दिन मंच पर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान द्वारा रावण वध का मंचन किया गया। इस दृश्य को देखने के लिए क्षेत्र के विभिन्न गांवों से हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। कार्यक्रम का शुभारंभ रामधुन और आरती के साथ हुआ। कलाकारों ने भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े प्रसंगों का मंचन किया। इनमें अहिल्या उद्धार, सीता स्वयंवर, वन गमन, रावण वध और अयोध्या वापसी जैसे दृश्य शामिल थे। पूरे आयोजन के दौरान “जय श्रीराम” के नारे गूंजते रहे। रामलीला के समापन समारोह में क्षेत्र के गणमान्य नागरिक, समाजसेवी और जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी रामलीला के माध्यम से लोगों को धर्म, सत्य और आदर्श जीवन का संदेश देने का प्रयास किया गया। राजपुर बकौली, धवाई, सोनबरसा सहित दर्जनों गांवों से आए ग्रामीणों ने रामलीला का आनंद लिया और कलाकारों के अभिनय की सराहना की। समापन के अवसर पर आतिशबाजी और भजन-संध्या का भी आयोजन किया गया। स्थानीय लोगों ने आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजन ग्रामीण एकता, संस्कृति और परंपरा को मजबूत करते हैं।
मानपुर भाभर में आठ दिवसीय रामलीला का समापन:हजारों श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम के जयघोष किए
बलरामपुर के पचपेड़वा विकास खंड स्थित मानपुर भाभर गांव में आठ दिवसीय रामलीला का समापन हो गया। अंतिम दिन मंच पर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान द्वारा रावण वध का मंचन किया गया। इस दृश्य को देखने के लिए क्षेत्र के विभिन्न गांवों से हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। कार्यक्रम का शुभारंभ रामधुन और आरती के साथ हुआ। कलाकारों ने भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े प्रसंगों का मंचन किया। इनमें अहिल्या उद्धार, सीता स्वयंवर, वन गमन, रावण वध और अयोध्या वापसी जैसे दृश्य शामिल थे। पूरे आयोजन के दौरान “जय श्रीराम” के नारे गूंजते रहे। रामलीला के समापन समारोह में क्षेत्र के गणमान्य नागरिक, समाजसेवी और जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी रामलीला के माध्यम से लोगों को धर्म, सत्य और आदर्श जीवन का संदेश देने का प्रयास किया गया। राजपुर बकौली, धवाई, सोनबरसा सहित दर्जनों गांवों से आए ग्रामीणों ने रामलीला का आनंद लिया और कलाकारों के अभिनय की सराहना की। समापन के अवसर पर आतिशबाजी और भजन-संध्या का भी आयोजन किया गया। स्थानीय लोगों ने आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजन ग्रामीण एकता, संस्कृति और परंपरा को मजबूत करते हैं।








