डुमरियागंज में साजिदा अस्पताल ने आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता की 780 ग्राम की नवजात बच्ची को नया जीवन दिया है। अस्पताल ने बच्ची का 40 दिनों तक निःशुल्क इलाज किया, जिसके बाद उसका वजन बढ़कर 1 किलो 485 ग्राम हो गया और उसे स्वस्थ अवस्था में डिस्चार्ज कर दिया गया। महाराजा अग्रसेन नगर निवासी प्रियंका देवी और राजेश कुमार के घर 30 अक्टूबर को साजिदा अस्पताल में एक प्री-मैच्योर बच्ची का जन्म हुआ था। जन्म के समय बच्ची का वजन मात्र 780 ग्राम था, जो अत्यंत चिंताजनक स्थिति थी। एनआईसीयू इंचार्ज डॉ. योगेश कुमार ने बच्ची की नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा के लिए पहले बस्ती और फिर गोरखपुर रेफर किया। हालांकि, आर्थिक तंगी के कारण माता-पिता बच्ची को लेकर वापस साजिदा अस्पताल लौट आए और डॉक्टरों से यहीं इलाज करने की गुहार लगाई। माता-पिता की दयनीय आर्थिक स्थिति को देखते हुए, साजिदा अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. रफीउल्लाह खान ने बच्ची को निःशुल्क इलाज के लिए अपने एनआईसीयू में भर्ती करने का निर्णय लिया। डॉ. योगेश कुमार की देखरेख में बच्ची का इलाज लगातार 40 दिनों तक चला। इस दौरान बच्ची के स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ। 7 दिसंबर को बच्ची का वजन बढ़कर 1 किलो 485 ग्राम हो गया। स्वास्थ्य में सुधार के बाद, 7 दिसंबर को बच्ची को स्वस्थ अवस्था में माता-पिता को सौंप दिया गया। डॉ. रफीउल्लाह खान ने बताया कि उनकी हमेशा यह सोच रहती है कि आर्थिक रूप से कमजोर और असहाय लोगों की मदद की जाए, और इसी मानवीय भावना के तहत बच्ची का पूरा इलाज निःशुल्क किया गया। अस्पताल के इस कदम की क्षेत्र में व्यापक सराहना हो रही है।
साजिदा अस्पताल ने 780 ग्राम की बच्ची को बचाया:डुमरियागंज में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार का निःशुल्क इलाज कर नया जीवन दिया
डुमरियागंज में साजिदा अस्पताल ने आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता की 780 ग्राम की नवजात बच्ची को नया जीवन दिया है। अस्पताल ने बच्ची का 40 दिनों तक निःशुल्क इलाज किया, जिसके बाद उसका वजन बढ़कर 1 किलो 485 ग्राम हो गया और उसे स्वस्थ अवस्था में डिस्चार्ज कर दिया गया। महाराजा अग्रसेन नगर निवासी प्रियंका देवी और राजेश कुमार के घर 30 अक्टूबर को साजिदा अस्पताल में एक प्री-मैच्योर बच्ची का जन्म हुआ था। जन्म के समय बच्ची का वजन मात्र 780 ग्राम था, जो अत्यंत चिंताजनक स्थिति थी। एनआईसीयू इंचार्ज डॉ. योगेश कुमार ने बच्ची की नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा के लिए पहले बस्ती और फिर गोरखपुर रेफर किया। हालांकि, आर्थिक तंगी के कारण माता-पिता बच्ची को लेकर वापस साजिदा अस्पताल लौट आए और डॉक्टरों से यहीं इलाज करने की गुहार लगाई। माता-पिता की दयनीय आर्थिक स्थिति को देखते हुए, साजिदा अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. रफीउल्लाह खान ने बच्ची को निःशुल्क इलाज के लिए अपने एनआईसीयू में भर्ती करने का निर्णय लिया। डॉ. योगेश कुमार की देखरेख में बच्ची का इलाज लगातार 40 दिनों तक चला। इस दौरान बच्ची के स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ। 7 दिसंबर को बच्ची का वजन बढ़कर 1 किलो 485 ग्राम हो गया। स्वास्थ्य में सुधार के बाद, 7 दिसंबर को बच्ची को स्वस्थ अवस्था में माता-पिता को सौंप दिया गया। डॉ. रफीउल्लाह खान ने बताया कि उनकी हमेशा यह सोच रहती है कि आर्थिक रूप से कमजोर और असहाय लोगों की मदद की जाए, और इसी मानवीय भावना के तहत बच्ची का पूरा इलाज निःशुल्क किया गया। अस्पताल के इस कदम की क्षेत्र में व्यापक सराहना हो रही है।









































