बलरामपुर जिले में जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य अभी अधूरा है। 900 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2026 तक सभी 629 ग्राम पंचायतों में पानी की टंकियां स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक केवल 177 गांवों में ही निर्माण कार्य पूरा हो पाया है। विभाग को लगभग 700 करोड़ रुपये प्राप्त होने के बावजूद अधिकांश कार्य लंबित हैं। अधिकांश गांवों में बने जल स्टोरेज टैंक अभी तक संचालित नहीं हो सके हैं। इसका परिणाम यह है कि जिला मुख्यालय के कई मोहल्लों में पाइपलाइन तो बिछा दी गई है, लेकिन घरों तक नल नहीं पहुंच पाए हैं। दिन-रात पानी के बेवजह बहाव से जल की बर्बादी हो रही है। वहीं, जंगल से सटे इलाकों में रहने वाले लोग अब भी हैंडपंप, पहाड़ी झरनों और कुओं के असुरक्षित पानी पर निर्भर हैं। विकासखंड बलरामपुर के कोइलिहा गांव में 170.53 लाख रुपये की लागत से बन रही पानी की टंकी को 15 सितंबर 2024 तक चालू होना था, लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जलापूर्ति शुरू नहीं हो सकी है। इसी तरह, सेखुईकलां गांव में 289.11 लाख रुपये की परियोजना 17 जुलाई 2024 तक पूरी होनी थी, लेकिन यह कार्य भी रुका हुआ है। ग्रामीण दद्दन, पिंटू, निशेष और भानू का कहना है कि कार्यदायी संस्था बजट की कमी का हवाला देकर काम रोक चुकी है, जिससे गांव में शुद्ध पेयजल की सुविधा शुरू नहीं हो पा रही है। सदर ब्लॉक के बलरामपुर देहात के ग्राम रंजीतपुर में भी स्थिति अलग नहीं है; यहां नौ महीने से पानी की टंकी का निर्माण कार्य बंद पड़ा है। भूमिगत पाइपलाइन तो डाल दी गई है, लेकिन नल लगाने का काम शुरू नहीं हुआ है। कोइलिहा के ग्राम प्रधान अभय मिश्रा ने बताया कि लगभग तीन साल पहले शुरू हुई परियोजना आधे रास्ते में अटकी है। पाइपलाइन बिछाने के दौरान सड़कों को खोद दिया गया, लेकिन कई घरों तक पाइप नहीं पहुंची और जहां पहुंची है, वहां नलों का कोई अता-पता नहीं है। बरसात में टूटी-फूटी सड़कों पर जलभराव से लोगों की आवाजाही मुश्किल हो जाती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से कार्य शीघ्र पूरा कराने की मांग की है। इस संबंध में जल जीवन मिशन ग्रामीण के अधिशासी अभियंता संदीप सिंह का कहना है पिछले एक वर्ष से बजट स्वीकृत नहीं हुआ है। आवश्यक मांग भेजी गई है।धन उपलब्ध होते ही सभी लंबित कार्य पूरे कराए जाएंगे। नियमित रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है। ग्रामीण अब भी उसी दिन का इंतजार कर रहे हैं जब उनके घरों तक वादों के अनुरूप नल से स्वच्छ पानी पहुँचेगा।
बलरामपुर में 'हर घर जल' योजना अधर में अटकी:900 करोड़ की योजना धीमी, 629 में से 177 गांवों में ही टंकियां बनीं
बलरामपुर जिले में जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य अभी अधूरा है। 900 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2026 तक सभी 629 ग्राम पंचायतों में पानी की टंकियां स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक केवल 177 गांवों में ही निर्माण कार्य पूरा हो पाया है। विभाग को लगभग 700 करोड़ रुपये प्राप्त होने के बावजूद अधिकांश कार्य लंबित हैं। अधिकांश गांवों में बने जल स्टोरेज टैंक अभी तक संचालित नहीं हो सके हैं। इसका परिणाम यह है कि जिला मुख्यालय के कई मोहल्लों में पाइपलाइन तो बिछा दी गई है, लेकिन घरों तक नल नहीं पहुंच पाए हैं। दिन-रात पानी के बेवजह बहाव से जल की बर्बादी हो रही है। वहीं, जंगल से सटे इलाकों में रहने वाले लोग अब भी हैंडपंप, पहाड़ी झरनों और कुओं के असुरक्षित पानी पर निर्भर हैं। विकासखंड बलरामपुर के कोइलिहा गांव में 170.53 लाख रुपये की लागत से बन रही पानी की टंकी को 15 सितंबर 2024 तक चालू होना था, लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जलापूर्ति शुरू नहीं हो सकी है। इसी तरह, सेखुईकलां गांव में 289.11 लाख रुपये की परियोजना 17 जुलाई 2024 तक पूरी होनी थी, लेकिन यह कार्य भी रुका हुआ है। ग्रामीण दद्दन, पिंटू, निशेष और भानू का कहना है कि कार्यदायी संस्था बजट की कमी का हवाला देकर काम रोक चुकी है, जिससे गांव में शुद्ध पेयजल की सुविधा शुरू नहीं हो पा रही है। सदर ब्लॉक के बलरामपुर देहात के ग्राम रंजीतपुर में भी स्थिति अलग नहीं है; यहां नौ महीने से पानी की टंकी का निर्माण कार्य बंद पड़ा है। भूमिगत पाइपलाइन तो डाल दी गई है, लेकिन नल लगाने का काम शुरू नहीं हुआ है। कोइलिहा के ग्राम प्रधान अभय मिश्रा ने बताया कि लगभग तीन साल पहले शुरू हुई परियोजना आधे रास्ते में अटकी है। पाइपलाइन बिछाने के दौरान सड़कों को खोद दिया गया, लेकिन कई घरों तक पाइप नहीं पहुंची और जहां पहुंची है, वहां नलों का कोई अता-पता नहीं है। बरसात में टूटी-फूटी सड़कों पर जलभराव से लोगों की आवाजाही मुश्किल हो जाती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से कार्य शीघ्र पूरा कराने की मांग की है। इस संबंध में जल जीवन मिशन ग्रामीण के अधिशासी अभियंता संदीप सिंह का कहना है पिछले एक वर्ष से बजट स्वीकृत नहीं हुआ है। आवश्यक मांग भेजी गई है।धन उपलब्ध होते ही सभी लंबित कार्य पूरे कराए जाएंगे। नियमित रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है। ग्रामीण अब भी उसी दिन का इंतजार कर रहे हैं जब उनके घरों तक वादों के अनुरूप नल से स्वच्छ पानी पहुँचेगा।








































