बहराइच के नानपारा स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में ‘सप्तशक्ति संगम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम शिशु वाटिका प्रमुख श्रीमती कुसुम, श्रीमती शशि, श्रीमती पूनम, श्रीमती सुमन और श्रीमती कल्पना के साथ विद्यालय के प्रधानाचार्य राम शंकर मिश्रा के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्षा डॉ. वीरांगना श्रीवास्तव (पूर्व प्रधानाचार्य), विशिष्ट अतिथि श्रीमती शालिनी पाण्डेय, मुख्य वक्ता श्रीमती गीता पाठक और श्रीमती प्रिंसी गांधी ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्चन कर किया। श्रीमती कुसुम ने मंचस्थ अतिथियों का परिचय और स्वागत किया, जिसके बाद श्रीमती कल्पना ने प्रस्तावकी प्रस्तुत करते हुए नारीशक्ति के गुणों और सामंजस्य के महत्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि श्रीमती शालिनी पाण्डेय ने बताया कि ‘सप्तशक्ति संगम’ नारीशक्ति के सात गुणों के माध्यम से समाज को नई दिशा देने का प्रयास है, जो एक संस्कारित, सशक्त और समृद्ध भारत की नींव रखेगा। उन्होंने कहा कि जब नारी कीर्ति (सम्मान), समृद्धि, वाक् (वाणी), स्मृति (ज्ञान), मेधा (बुद्धि), धृति (धैर्य) और क्षमा (करुणा) जैसे सात गुणों को आत्मसात करती है, तो वह न केवल परिवार, बल्कि पूरे राष्ट्र को प्रगति की ओर ले जाती है। मुख्य वक्ता श्रीमती गीता पाठक ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा, ‘मातृ देवो भव’ केवल एक श्लोक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है। मातृशक्ति ही परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की धुरी है। एक अन्य मुख्य वक्ता श्रीमती शालिनी पाठक ने कुटुम्ब प्रबोधन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज की नारी केवल करुणा की प्रतीक नहीं, बल्कि ज्ञान, साहस और नेतृत्व की भी प्रतीक है। उन्होंने नारी की अंतर्निहित शक्तियों का विश्लेषण करते हुए परिवार और समाज में उसकी केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया और एक कविता भी सुनाई: ‘नारी है नारायणी शप्त शक्ति का रूप। अविचल है अविराम है छाया हो या धूप।’ कार्यक्रम में विशिष्ट माताओं श्रीमती संगीता श्रीवास्तव, श्रीमती शालिनी पाण्डेय और डॉ. वीरांगना कान्त को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समस्त आचार्या एवं आचार्य उपस्थित रहे।
बहराइच के स्कूल में ‘सप्तशक्ति संगम’ कार्यक्रम: मुख्य वक्ता बोलीं- मातृशक्ति ही परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की धुरी है – Balha(Bahraich) News
बहराइच के नानपारा स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में ‘सप्तशक्ति संगम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम शिशु वाटिका प्रमुख श्रीमती कुसुम, श्रीमती शशि, श्रीमती पूनम, श्रीमती सुमन और श्रीमती कल्पना के साथ विद्यालय के प्रधानाचार्य राम शंकर मिश्रा के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्षा डॉ. वीरांगना श्रीवास्तव (पूर्व प्रधानाचार्य), विशिष्ट अतिथि श्रीमती शालिनी पाण्डेय, मुख्य वक्ता श्रीमती गीता पाठक और श्रीमती प्रिंसी गांधी ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्चन कर किया। श्रीमती कुसुम ने मंचस्थ अतिथियों का परिचय और स्वागत किया, जिसके बाद श्रीमती कल्पना ने प्रस्तावकी प्रस्तुत करते हुए नारीशक्ति के गुणों और सामंजस्य के महत्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि श्रीमती शालिनी पाण्डेय ने बताया कि ‘सप्तशक्ति संगम’ नारीशक्ति के सात गुणों के माध्यम से समाज को नई दिशा देने का प्रयास है, जो एक संस्कारित, सशक्त और समृद्ध भारत की नींव रखेगा। उन्होंने कहा कि जब नारी कीर्ति (सम्मान), समृद्धि, वाक् (वाणी), स्मृति (ज्ञान), मेधा (बुद्धि), धृति (धैर्य) और क्षमा (करुणा) जैसे सात गुणों को आत्मसात करती है, तो वह न केवल परिवार, बल्कि पूरे राष्ट्र को प्रगति की ओर ले जाती है। मुख्य वक्ता श्रीमती गीता पाठक ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा, ‘मातृ देवो भव’ केवल एक श्लोक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है। मातृशक्ति ही परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण की धुरी है। एक अन्य मुख्य वक्ता श्रीमती शालिनी पाठक ने कुटुम्ब प्रबोधन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज की नारी केवल करुणा की प्रतीक नहीं, बल्कि ज्ञान, साहस और नेतृत्व की भी प्रतीक है। उन्होंने नारी की अंतर्निहित शक्तियों का विश्लेषण करते हुए परिवार और समाज में उसकी केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया और एक कविता भी सुनाई: ‘नारी है नारायणी शप्त शक्ति का रूप। अविचल है अविराम है छाया हो या धूप।’ कार्यक्रम में विशिष्ट माताओं श्रीमती संगीता श्रीवास्तव, श्रीमती शालिनी पाण्डेय और डॉ. वीरांगना कान्त को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समस्त आचार्या एवं आचार्य उपस्थित रहे।








