श्रीमद्भागवत कथा में गोवर्धन पर्वत धारण प्रसंग:आचार्य प्रदीप शास्त्री ने सुनाई इंद्र का अहंकार तोड़ने की कथा

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नगर पंचायत नगर बाजार के फुलवरिया पाण्डेय में चल रही नवदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक आचार्य प्रदीप शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत धारण करने की कथा का वर्णन किया। आचार्य शास्त्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अहंकार को समाप्त करने और ब्रजवासियों की सुरक्षा के लिए अपनी छोटी उंगली पर संपूर्ण गोवर्धन पर्वत धारण किया था। इस प्रसंग को सुनकर उपस्थित श्रद्धालुओं ने “गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण भगवान की जय” के जयकारे लगाए। उन्होंने गोवर्धन पूजा और छप्पन भोग के महत्व पर भी प्रकाश डाला। आचार्य शास्त्री ने कहा कि गोवर्धन पूजा केवल पर्वत की आराधना नहीं, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। इस अवसर पर भगवान को छप्पन भोग अर्पित किया गया, जिसे भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। कार्यक्रम के मुख्य यजमान गायत्री देवी और रामदास पांडेय ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। मंच पर भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने “गोवर्धनधारी लाल की जय” के जयघोष किए। कथा स्थल को आकर्षक पुष्प सज्जा और दीपमालाओं से सजाया गया था, और भक्तिमय संगीत का भी प्रबंध था।

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