बस्ती। कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के मार्गदर्शन में आर्या (एट्रैक्टिंग एंड रिटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्चर) परियोजना के तहत सात दिवसीय बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल समापन हुआ। यह प्रशिक्षण 01 से 07 दिसंबर 2025 तक आयोजित किया गया, जिसमें जनपद के 25 ग्रामीण युवाओं और किसानों ने भाग लिया। समापन समारोह में प्रभारी अधिकारी डॉ. पी.के. मिश्रा ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बकरी पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह कम लागत, कम जोखिम और त्वरित लाभ देने वाली आजीविका गतिविधि है, जो युवाओं के लिए एक उत्कृष्ट रोजगार विकल्प बन रही है। डॉ. मिश्रा ने प्रशिक्षित युवाओं से वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर उन्नत और व्यावसायिक बकरी पालन करने का आग्रह किया। केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. प्रेम शंकर ने बताया कि बकरी को ‘गरीबों की गाय’ कहा जाता है। यह दूध, मांस, खाद और बच्चों के उत्पादन से ग्रामीण परिवारों की आय में तेजी से वृद्धि करती है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशिक्षित युवा इसे एक उद्यम के रूप में अपनाते हैं, तो वे न केवल स्वयं को बल्कि दूसरों को भी रोजगार प्रदान कर सकते हैं। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. वी.बी. सिंह ने प्रतिभागियों को आश्वस्त किया कि कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती युवाओं को कृषि आधारित उद्यमों की ओर आकर्षित करने के लिए ऐसे कौशल-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार आयोजित करता रहेगा। गृह विज्ञान वैज्ञानिक डॉ. अंजलि वर्मा ने व्यावहारिक प्रशिक्षण के दौरान बकरियों की पहचान, टीकाकरण, डीवॉर्मिंग, संतुलित आहार तैयार करने और वैज्ञानिक तरीके से उनके रख-रखाव की तकनीकें प्रदर्शित कीं। शस्य वैज्ञानिक हरिओम मिश्रा ने उन्नत नस्लों (जैसे जमुनापारी, बरबरी, सिरोही, बीटल) के चयन, शेड निर्माण के वैज्ञानिक मानकों, वेंटिलेशन, फर्श डिजाइन, सफाई और समूह आधारित बकरी पालन की उपयोगिता पर जानकारी दी। समापन सत्र में वैज्ञानिकों द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।









































