बलरामपुर के सादुल्लानगर में कुआनो नदी पर चोरघटा घाट पर 13 साल के लंबे इंतजार के बाद पुल बनकर तैयार हो गया है। रेहराबाजार ब्लॉक के रामपुर गिरंट में स्थित यह पुल वर्ष 2025 तक पूरा हो गया था, लेकिन संपर्क मार्ग के अभाव में आज भी इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2012 में शुरू हुआ था। शुरुआत में वन विभाग की आपत्तियों के कारण काम रोक दिया गया। इसके बाद धन की कमी ने परियोजना को कई वर्षों तक लंबित रखा। स्थानीय निवासी राजू वर्मा, सगीर मोहम्मद और विनोद कुमार ने बताया कि पुल से संबंधित फाइलें विभिन्न विभागों के बीच वर्षों तक अटकी रहीं, जिससे निर्माण कार्य में लगातार देरी हुई। लंबी जद्दोजहद के बाद पुल का निर्माण तो पूरा हो गया है और ग्रामीणों ने अनौपचारिक रूप से आवाजाही भी शुरू कर दी है। हालांकि, अब तक इसका औपचारिक लोकार्पण नहीं हुआ है। सबसे बड़ी समस्या सिद्धार्थनगर जिले की सीमा में एप्रोच रोड का निर्माण न होना है, जिसके कारण यह पुल पूरी तरह से उपयोगी नहीं बन पाया है। ग्रामीणों ने बताया कि कच्चे रास्ते बरसात या नमी के मौसम में कीचड़ में बदल जाते हैं। इस दौरान दोपहिया से लेकर चार पहिया वाहन तक धंस जाते हैं, जिससे यात्रियों को धक्का लगाकर वाहनों को निकालना पड़ता है। लोगों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद संपर्क मार्ग न होने से पुल का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। उतरौला विधायक राम प्रताप वर्मा ने इस संबंध में बताया कि पुल के एप्रोच मार्ग के निर्माण का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर दोनों ओर सड़क निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति दिलाने की बात रखी जाएगी।
कुआनो नदी पर चोरघटा घाट पुल 13 साल बाद बना:संपर्क मार्ग न होने से आज भी अनुपयोगी, करोड़ों खर्च बेकार
बलरामपुर के सादुल्लानगर में कुआनो नदी पर चोरघटा घाट पर 13 साल के लंबे इंतजार के बाद पुल बनकर तैयार हो गया है। रेहराबाजार ब्लॉक के रामपुर गिरंट में स्थित यह पुल वर्ष 2025 तक पूरा हो गया था, लेकिन संपर्क मार्ग के अभाव में आज भी इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2012 में शुरू हुआ था। शुरुआत में वन विभाग की आपत्तियों के कारण काम रोक दिया गया। इसके बाद धन की कमी ने परियोजना को कई वर्षों तक लंबित रखा। स्थानीय निवासी राजू वर्मा, सगीर मोहम्मद और विनोद कुमार ने बताया कि पुल से संबंधित फाइलें विभिन्न विभागों के बीच वर्षों तक अटकी रहीं, जिससे निर्माण कार्य में लगातार देरी हुई। लंबी जद्दोजहद के बाद पुल का निर्माण तो पूरा हो गया है और ग्रामीणों ने अनौपचारिक रूप से आवाजाही भी शुरू कर दी है। हालांकि, अब तक इसका औपचारिक लोकार्पण नहीं हुआ है। सबसे बड़ी समस्या सिद्धार्थनगर जिले की सीमा में एप्रोच रोड का निर्माण न होना है, जिसके कारण यह पुल पूरी तरह से उपयोगी नहीं बन पाया है। ग्रामीणों ने बताया कि कच्चे रास्ते बरसात या नमी के मौसम में कीचड़ में बदल जाते हैं। इस दौरान दोपहिया से लेकर चार पहिया वाहन तक धंस जाते हैं, जिससे यात्रियों को धक्का लगाकर वाहनों को निकालना पड़ता है। लोगों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद संपर्क मार्ग न होने से पुल का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। उतरौला विधायक राम प्रताप वर्मा ने इस संबंध में बताया कि पुल के एप्रोच मार्ग के निर्माण का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर दोनों ओर सड़क निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति दिलाने की बात रखी जाएगी।









































