नगर पंचायत भारत भारी और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सुविधाओं के अभाव से पशुपालक परेशान हैं। यहां कोई सरकारी पशु चिकित्सालय उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण बीमार मवेशियों के इलाज के लिए उन्हें लगभग आठ किलोमीटर दूर डुमरियागंज जाना पड़ता है। पशुपालकों को मवेशियों के उपचार, टीकाकरण और गर्भाधान जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए भी डुमरियागंज पर निर्भर रहना पड़ता है। यह स्थिति पशुपालकों के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी कर रही है। भारत भारी की भौगोलिक स्थिति भी इस समस्या को बढ़ाती है। यह नगर पंचायत सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले की सीमा पर स्थित है, लेकिन इसके बावजूद यहां आज तक पशु अस्पताल स्थापित नहीं हो सका है। ग्रामीणों का मानना है कि दो जिलों की सीमा पर होने के कारण यह क्षेत्र अक्सर सरकारी योजनाओं में उपेक्षित रह जाता है। पशुपालक राजेश कुमार, महीबुल्लाह, मंगरे, लालजी, महेश कुमार और अदालत ने बताया कि पशु अस्पताल न होने से मवेशियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है और उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। बीमार या गर्भवती पशुओं को दूर ले जाना जोखिम भरा होता है, जिससे कई बार समय पर इलाज न मिलने से मवेशियों की जान भी खतरे में पड़ जाती है। ग्रामीणों ने इस समस्या को कई बार अधिकारियों के सामने उठाया है, लेकिन उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पशु चिकित्सा सेवाओं के अभाव से दूध उत्पादक पशुपालक, किसान और गरीब परिवार सबसे अधिक प्रभावित हैं, क्योंकि मवेशी उनकी आजीविका का मुख्य आधार हैं। पशुपालकों ने एक बार फिर प्रशासन से भारत भारी में जल्द से जल्द एक पशु अस्पताल स्थापित करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि यह सुविधा हजारों पशुओं को समय पर उपचार प्रदान करेगी और पशुपालकों को लंबी यात्रा की मजबूरी से राहत मिलेगी, साथ ही क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए भी यह अत्यंत आवश्यक है। इस संबंध में सीएचसी बेवा के अधीक्षक डॉ. विकास चौधरी ने बताया कि उक्त समस्या काफी गंभीर है, जल्द ही इसके बारे में स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों से बात करके समस्या का हल निकालने का प्रयास किया जाएगा।
भारत भारी में पशु अस्पताल का अभाव, पशुपालक परेशान:पशुओं के इलाज के लिए पशुपालकों को जाना पड़ता आठ किमी दूर
नगर पंचायत भारत भारी और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सुविधाओं के अभाव से पशुपालक परेशान हैं। यहां कोई सरकारी पशु चिकित्सालय उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण बीमार मवेशियों के इलाज के लिए उन्हें लगभग आठ किलोमीटर दूर डुमरियागंज जाना पड़ता है। पशुपालकों को मवेशियों के उपचार, टीकाकरण और गर्भाधान जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए भी डुमरियागंज पर निर्भर रहना पड़ता है। यह स्थिति पशुपालकों के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी कर रही है। भारत भारी की भौगोलिक स्थिति भी इस समस्या को बढ़ाती है। यह नगर पंचायत सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले की सीमा पर स्थित है, लेकिन इसके बावजूद यहां आज तक पशु अस्पताल स्थापित नहीं हो सका है। ग्रामीणों का मानना है कि दो जिलों की सीमा पर होने के कारण यह क्षेत्र अक्सर सरकारी योजनाओं में उपेक्षित रह जाता है। पशुपालक राजेश कुमार, महीबुल्लाह, मंगरे, लालजी, महेश कुमार और अदालत ने बताया कि पशु अस्पताल न होने से मवेशियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है और उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। बीमार या गर्भवती पशुओं को दूर ले जाना जोखिम भरा होता है, जिससे कई बार समय पर इलाज न मिलने से मवेशियों की जान भी खतरे में पड़ जाती है। ग्रामीणों ने इस समस्या को कई बार अधिकारियों के सामने उठाया है, लेकिन उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पशु चिकित्सा सेवाओं के अभाव से दूध उत्पादक पशुपालक, किसान और गरीब परिवार सबसे अधिक प्रभावित हैं, क्योंकि मवेशी उनकी आजीविका का मुख्य आधार हैं। पशुपालकों ने एक बार फिर प्रशासन से भारत भारी में जल्द से जल्द एक पशु अस्पताल स्थापित करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि यह सुविधा हजारों पशुओं को समय पर उपचार प्रदान करेगी और पशुपालकों को लंबी यात्रा की मजबूरी से राहत मिलेगी, साथ ही क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए भी यह अत्यंत आवश्यक है। इस संबंध में सीएचसी बेवा के अधीक्षक डॉ. विकास चौधरी ने बताया कि उक्त समस्या काफी गंभीर है, जल्द ही इसके बारे में स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों से बात करके समस्या का हल निकालने का प्रयास किया जाएगा।









































