9वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने गुरु नाका के अंतर्गत कंपोजिट विद्यालय, नैकिनिया में एक दिवसीय चिकित्सा शिविर का आयोजन किया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच और दवाइयाँ उपलब्ध कराना था। शिविर में डॉ. आर. के. थोर, फार्मासिस्ट जीवन कुमार यादव, कांस्टेबल (मेडिक्स) मिथुन कुमार और सुधीर कुमार ने अपनी सेवाएँ दीं। टीम ने कुल 96 मरीजों की स्वास्थ्य जाँच की, जिनमें 40 पुरुष, 38 महिलाएँ और 29 बच्चे शामिल थे। मरीजों को बुखार, सर्दी-जुकाम, त्वचा रोग, एनीमिया और बच्चों में पोषण संबंधी समस्याओं के बारे में परामर्श दिया गया। एसएसबी कर्मियों ने ग्रामीणों को स्वच्छता, संतुलित आहार, नियमित स्वास्थ्य जाँच और मौसमी सावधानियों के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर कंपनी कमांडर रमेश कुमार गुर्जर ने बताया कि एसएसबी केवल सीमा सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए भी निरंतर कार्य करती है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे चिकित्सा शिविरों का आयोजन भविष्य में भी जारी रहेगा, ताकि ग्रामीणों को उनके गाँव के पास ही स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकें।
एसएसबी ने कंपोजिट विद्यालय में चिकित्सा शिविर लगाया:सीमावर्ती ग्रामीणों को मिली निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ
9वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने गुरु नाका के अंतर्गत कंपोजिट विद्यालय, नैकिनिया में एक दिवसीय चिकित्सा शिविर का आयोजन किया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच और दवाइयाँ उपलब्ध कराना था। शिविर में डॉ. आर. के. थोर, फार्मासिस्ट जीवन कुमार यादव, कांस्टेबल (मेडिक्स) मिथुन कुमार और सुधीर कुमार ने अपनी सेवाएँ दीं। टीम ने कुल 96 मरीजों की स्वास्थ्य जाँच की, जिनमें 40 पुरुष, 38 महिलाएँ और 29 बच्चे शामिल थे। मरीजों को बुखार, सर्दी-जुकाम, त्वचा रोग, एनीमिया और बच्चों में पोषण संबंधी समस्याओं के बारे में परामर्श दिया गया। एसएसबी कर्मियों ने ग्रामीणों को स्वच्छता, संतुलित आहार, नियमित स्वास्थ्य जाँच और मौसमी सावधानियों के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर कंपनी कमांडर रमेश कुमार गुर्जर ने बताया कि एसएसबी केवल सीमा सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए भी निरंतर कार्य करती है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे चिकित्सा शिविरों का आयोजन भविष्य में भी जारी रहेगा, ताकि ग्रामीणों को उनके गाँव के पास ही स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकें।



































