बलरामपुर के फरेंदा खुर्द गांव में रविवार को एक दुर्लभ प्रजाति का काला गिद्ध घायल अवस्था में मिला। वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू कर गोरखपुर प्राणी उद्यान केंद्र भेजा, जहां उसका उपचार जारी है। ग्रामीणों ने देखा कि कौवों का एक झुंड घायल गिद्ध पर हमला कर रहा था। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने तत्काल वन विभाग को सूचित किया। सूचना मिलते ही सादुल्लाहनगर वन रेंज की टीम, वन दरोगा बहुश्रुत यादव के नेतृत्व में मौके पर पहुंची और गिद्ध को सुरक्षित पकड़कर प्राथमिक उपचार दिया। वन दरोगा बहुश्रुत यादव ने बताया कि ग्रामीणों की जागरूकता और त्वरित सूचना के कारण इस संकटग्रस्त प्रजाति के गिद्ध को बचाया जा सका। प्रारंभिक उपचार के बाद उसे फॉरेस्ट सेंटर ले जाया गया, जहां उसके स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा था। वन अधिकारी वीरेंद्र तिवारी के अनुसार, बलरामपुर में तीन डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा गिद्ध का इलाज किया जा रहा था। उपचार के दौरान गिद्ध ने खाना-पीना शुरू कर दिया था और वह चलने-फिरने में सक्षम हो गया था। हालांकि, उसे अभी भी उड़ान भरने में कठिनाई हो रही थी। बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए गिद्ध को गोरखपुर प्राणी उद्यान केंद्र भेजा गया है। वहां विशेषज्ञ टीम उसकी देखरेख कर रही है। डॉक्टरों ने बताया कि गिद्ध अब स्वस्थ है और उसकी लगातार निगरानी की जा रही है। स्थानीय ग्रामीणों ने वन विभाग की त्वरित कार्रवाई और संवेदनशीलता की सराहना की। उल्लेखनीय है कि गिद्ध वर्तमान में संकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में शामिल हैं। पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए इनका संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
बलरामपुर में घायल अवस्था में मिला दुर्लभ काला गिद्ध:वन विभाग ने किया रेस्क्यू, गोरखपुर प्राणी उद्यान में इलाज जारी
बलरामपुर के फरेंदा खुर्द गांव में रविवार को एक दुर्लभ प्रजाति का काला गिद्ध घायल अवस्था में मिला। वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू कर गोरखपुर प्राणी उद्यान केंद्र भेजा, जहां उसका उपचार जारी है। ग्रामीणों ने देखा कि कौवों का एक झुंड घायल गिद्ध पर हमला कर रहा था। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने तत्काल वन विभाग को सूचित किया। सूचना मिलते ही सादुल्लाहनगर वन रेंज की टीम, वन दरोगा बहुश्रुत यादव के नेतृत्व में मौके पर पहुंची और गिद्ध को सुरक्षित पकड़कर प्राथमिक उपचार दिया। वन दरोगा बहुश्रुत यादव ने बताया कि ग्रामीणों की जागरूकता और त्वरित सूचना के कारण इस संकटग्रस्त प्रजाति के गिद्ध को बचाया जा सका। प्रारंभिक उपचार के बाद उसे फॉरेस्ट सेंटर ले जाया गया, जहां उसके स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा था। वन अधिकारी वीरेंद्र तिवारी के अनुसार, बलरामपुर में तीन डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा गिद्ध का इलाज किया जा रहा था। उपचार के दौरान गिद्ध ने खाना-पीना शुरू कर दिया था और वह चलने-फिरने में सक्षम हो गया था। हालांकि, उसे अभी भी उड़ान भरने में कठिनाई हो रही थी। बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए गिद्ध को गोरखपुर प्राणी उद्यान केंद्र भेजा गया है। वहां विशेषज्ञ टीम उसकी देखरेख कर रही है। डॉक्टरों ने बताया कि गिद्ध अब स्वस्थ है और उसकी लगातार निगरानी की जा रही है। स्थानीय ग्रामीणों ने वन विभाग की त्वरित कार्रवाई और संवेदनशीलता की सराहना की। उल्लेखनीय है कि गिद्ध वर्तमान में संकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में शामिल हैं। पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए इनका संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।









































