चित्तौड़गढ़ जलाशय से निकलने वाली माइनर में पिछले दो वर्षों से पानी नहीं आने के कारण क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसान गंभीर सिंचाई संकट का सामना कर रहे हैं। रबी सीजन की प्रमुख फसलें जैसे गेहूं, लाही और मसूर इस समय अपने महत्वपूर्ण विकास चरण में हैं, जिन्हें समय पर सिंचाई की सख्त आवश्यकता है। पानी की कमी से किसानों की चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। यह माइनर चित्तौड़गढ़ जलाशय से शुरू होकर मदरहवा, गिरधरडीह, मनकौरा होते हुए गनवरिया तक जाती है। नहर के किनारे बसे गांवों के किसानों का कहना है कि दो साल से पानी न छोड़े जाने के कारण सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है। हजारों एकड़ कृषि भूमि इसी नहर के पानी पर निर्भर करती है। ग्रामीणों में अलखराम, विजय, रामबाबू और संजय जैसे कई किसानों ने बताया कि नहर चालू न होने के कारण उन्हें निजी ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है। ट्यूबवेल चलाने में 300 रुपए प्रति घंटे का खर्च आता है, जो ग्रामीण किसानों के लिए काफी महंगा है। किसानों को आर्थिक नुकसान कुछ किसान पहाड़ी नदी ‘नकटी’ से मोटर लगाकर सिंचाई कर रहे हैं, जिसमें मेहनत और लागत दोनों अधिक लगती है। किसानों का कहना है कि यदि नहर में पानी छोड़ दिया जाए तो फसल को समय पर सिंचाई मिल सकेगी और लागत भी कम होगी। दो वर्षों से माइनर बंद रहने के कारण कई किसानों को आर्थिक नुकसान भी हुआ है। ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग से तुरंत माइनर में पानी छोड़ने की मांग की है। इस मामले पर सिंचाई विभाग के संबंधित अधिकारी अरुण ने जानकारी दी कि माइनर की सफाई का काम पूरा हो चुका है और आवश्यक तैयारियां भी कर ली गई हैं। सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही जलाशय से नहर में पानी छोड़ा जाएगा। जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। अब किसानों को विभागीय कार्रवाई पूरी होने और माइनर में पानी छोड़े जाने का बेसब्री से इंतजार है, ताकि उनकी फसलें सूखने से बच सकें और उन्हें राहत मिल सके।
तुलसीपुर में दो साल से पानी बंद, फसलों को नुकसान:दर्जनों गांवों के किसान सिंचाई संकट से परेशान
चित्तौड़गढ़ जलाशय से निकलने वाली माइनर में पिछले दो वर्षों से पानी नहीं आने के कारण क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसान गंभीर सिंचाई संकट का सामना कर रहे हैं। रबी सीजन की प्रमुख फसलें जैसे गेहूं, लाही और मसूर इस समय अपने महत्वपूर्ण विकास चरण में हैं, जिन्हें समय पर सिंचाई की सख्त आवश्यकता है। पानी की कमी से किसानों की चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। यह माइनर चित्तौड़गढ़ जलाशय से शुरू होकर मदरहवा, गिरधरडीह, मनकौरा होते हुए गनवरिया तक जाती है। नहर के किनारे बसे गांवों के किसानों का कहना है कि दो साल से पानी न छोड़े जाने के कारण सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है। हजारों एकड़ कृषि भूमि इसी नहर के पानी पर निर्भर करती है। ग्रामीणों में अलखराम, विजय, रामबाबू और संजय जैसे कई किसानों ने बताया कि नहर चालू न होने के कारण उन्हें निजी ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है। ट्यूबवेल चलाने में 300 रुपए प्रति घंटे का खर्च आता है, जो ग्रामीण किसानों के लिए काफी महंगा है। किसानों को आर्थिक नुकसान कुछ किसान पहाड़ी नदी ‘नकटी’ से मोटर लगाकर सिंचाई कर रहे हैं, जिसमें मेहनत और लागत दोनों अधिक लगती है। किसानों का कहना है कि यदि नहर में पानी छोड़ दिया जाए तो फसल को समय पर सिंचाई मिल सकेगी और लागत भी कम होगी। दो वर्षों से माइनर बंद रहने के कारण कई किसानों को आर्थिक नुकसान भी हुआ है। ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग से तुरंत माइनर में पानी छोड़ने की मांग की है। इस मामले पर सिंचाई विभाग के संबंधित अधिकारी अरुण ने जानकारी दी कि माइनर की सफाई का काम पूरा हो चुका है और आवश्यक तैयारियां भी कर ली गई हैं। सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही जलाशय से नहर में पानी छोड़ा जाएगा। जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। अब किसानों को विभागीय कार्रवाई पूरी होने और माइनर में पानी छोड़े जाने का बेसब्री से इंतजार है, ताकि उनकी फसलें सूखने से बच सकें और उन्हें राहत मिल सके।









































