बस्ती में इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी द्वारा 12 नवंबर को जिला महिला अस्पताल में निमोनिया जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान पंपलेट वितरित किए गए और आम जनता को निमोनिया के कारणों एवं बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दी गई। सोसाइटी के सचिव रंजीत श्रीवास्तव ने बताया कि निमोनिया एक गंभीर और संक्रामक बीमारी है जो फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह विशेष रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक हो सकती है। उन्होंने जोर दिया कि यह बीमारी रोकथाम योग्य और इलाज योग्य है। संस्था के सभापति डॉ. प्रमोद चौधरी ने बताया कि विश्व निमोनिया दिवस की शुरुआत 2009 में बाल निमोनिया के खिलाफ ग्लोबल कोएलिशन द्वारा की गई थी। इसमें यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ और सेव द चिल्ड्रन जैसे प्रमुख संगठन शामिल थे। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में निमोनिया के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसकी रोकथाम के उपायों को प्राथमिकता देना है। उपसभापति एल.के. पाण्डेय ने निमोनिया को एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बताया, खासकर विकासशील देशों में बच्चों के लिए। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ जागरूकता फैलाना और आवश्यक निवारक कदम उठाना बेहद जरूरी है। कोषाध्यक्ष राजेश कुमार ओझा ने निमोनिया से बचाव के लिए टीकाकरण, उचित पोषण और स्वच्छ हवा के महत्व पर प्रकाश डाला। इस जागरूकता कार्यक्रम में डॉ. आशुतोष शर्मा, डॉ. पंकज शुक्ला, सतेंद्र दुबे, डॉ. बबीता रानी, डॉ. पी.एल. गुप्ता, सिस्टर बबीता, अनीश, शैलेंद्र, एस.आर. हॉस्पिटल एंड मेडिकल इंस्टीट्यूट की नर्सिंग ट्यूटर श्रीमती अर्चना और अर्चना प्रजापति, तथा नर्सिंग के छात्रों सहित कई लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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