बस्ती के बहादुरपुर क्षेत्र में मनोरमा नदी सूखने की कगार पर है। कभी माता मरही मंदिर के उत्तरी तट पर बहने वाली यह नदी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र थी, लेकिन अब इसका अस्तित्व संकट में है। स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, एक समय था जब मनोरमा नदी के सुंदर और स्वच्छ घाट हुआ करते थे। श्रद्धालु सुबह नदी में स्नान कर माता मरही का दर्शन करते थे। हालांकि, पिछले कई वर्षों से नदी का जलस्तर लगातार गिर रहा है। बारिश के बाद भी नदी में पानी नहीं टिक पाता है और इसके कई हिस्से पूरी तरह सूख चुके हैं। नदी का प्राकृतिक प्रवाह लगभग समाप्त हो गया है, जिससे इसके किनारे बसे धार्मिक स्थलों पर भी संकट गहरा गया है। मंदिर के महंत बब्बू ओझा ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि उनका परिवार लगभग चार पीढ़ियों से इस मंदिर की सेवा कर रहा है। महंत ओझा ने कहा, “पहले भक्त मनोरमा में स्नान कर माता मरही का अभिषेक करते थे, लेकिन आज नदी लगभग खत्म हो चुकी है। यदि सरकार ने शीघ्र ध्यान नहीं दिया, तो मनोरमा का केवल नाम भर रह जाएगा और यह ऐतिहासिक स्थल अपना मूल स्वरूप खो देगा।” पंडित राकेश शास्त्री, ग्रामीण अजय ओझा, राजेश सोनी, पुनीत मिश्र प्रधान प्रतिनिधि राजदेव ने बताया कि नदी की दुर्दशा के कारण मंदिर परिसर में होने वाले कई पारंपरिक अनुष्ठान भी प्रभावित हुए हैं। माता मरही मंदिर परिसर केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण धार्मिक केंद्र है। यहां मां दुर्गा मंदिर, हनुमान मंदिर, भगवान विष्णु मंदिर, ज्वाला माता मंदिर और शनि देव मंदिर भी स्थित हैं, जहां प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं। शिव मंदिर को महाभारत कालीन मान्यता प्राप्त है। विशेष अवसरों पर यहां भारी भीड़ उमड़ती है। वर्ष 2022-23 में तत्कालीन जिलाधिकारी बस्ती प्रियंका निरंजन ने मनरेगा के तहत मनोरमा नदी की सफाई करवाई थी। इस प्रयास से करीब एक साल तक नदी साफ-सुथरी रही। हालांकि, नदी से सिल्ट न निकाले जाने के कारण इसकी स्थिति पुनः खराब हो गई है।









































