उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास परिषद निगम लिमिटेड द्वारा संचालित मुंडेरवा चीनी मिल से जुड़े गन्ना किसान इन दिनों गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि उन्हें गन्ना आपूर्ति के लिए सप्लाई टिकट नहीं मिल पा रहे हैं और गन्ना समिति मुंडेरवा द्वारा किए गए सर्वे में लापरवाही बरती गई है। सहकारी गन्ना समिति मुंडेरवा में कुल 42,000 किसान पंजीकृत हैं, जो 418 गांवों से संबंधित हैं। हालांकि, इनमें से केवल 416 गांवों की ही मैपिंग की गई है। इस कारण केवल 17,000 किसान ही गन्ना आपूर्ति कर पा रहे हैं। समिति में 348 नए सदस्यों ने भी सदस्यता ली है। चीनी मिल पर गन्ना लेकर आए किसानों ने अपनी असंतुष्टि व्यक्त की। उनका आरोप है कि मुंडेरवा गन्ना सहकारी समिति के कर्मचारियों द्वारा गन्ना सर्वे में लापरवाही बरती जाती है, जिससे उन्हें सप्लाई टिकट मिलने में काफी असुविधा होती है। लहरी निवासी किसान जियालाल ने बताया कि उनके पास लगभग आठ बीघा गन्ना है और उनका 68 गाड़ी का कोटा बना है। हालांकि, दो पक्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें मात्र छह पर्चियां ही मिल पाई हैं। इसी तरह, मंगेरवा निवासी किसान राजेश कुमार यादव को 48 गाड़ी के कोटे में केवल चार पर्चियां मिली हैं, जबकि बघाड़ी निवासी अर्जुन प्रसाद को सिर्फ एक पर्ची मिली है। किसानों का कहना है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो फरवरी-मार्च तक पेड़ी गन्ना भी नहीं बिक पाएगा। सजना खोर निवासी सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि उनके छह बीघा गन्ने का समिति द्वारा पड़ताल ही नहीं किया गया। इस स्थिति में उन्हें दूसरे के सहारे ही गन्ना बेचना पड़ेगा। किसानों ने गन्ना समिति द्वारा सर्वे न किए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि जो व्यक्ति पैसा देता है, उसका सट्टा ज्यादा बन जाता है। चीनी मिल के प्रधानप्रबंधक महेंद्र श्रीवास्तव ने किसानों के आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि गन्ना सट्टा सही करवाने के लिए सहकारी समिति द्वारा 10 दिवसीय सट्टा प्रदर्शन मेला लगाया जाता है। इसमें आकर किसान अपनी समस्याओं का समाधान करवा सकते हैं। यदि किसी का सट्टा नहीं बना है, तो इसमें कर्मचारी दोषी नहीं हैं।







































