विक्रमजोत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में जन्म प्रमाण पत्र बनवाना एक जटिल प्रक्रिया बन गया है। यहां जन्म प्रमाण पत्र जारी करने में कथित तौर पर मनमानी और देरी का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, यदि बच्चे के जन्म के 21 दिनों के भीतर आवेदन जमा किया जाता है और कथित तौर पर 200 से 500 रुपए का अवैध भुगतान किया जाता है, तो प्रमाण पत्र चार-पांच महीने में बन सकता है। हालांकि, यदि यह भुगतान नहीं किया जाता है, तो संबंधित अधिकारी द्वारा सर्वर डाउन होने या मीटिंग में व्यस्तता का बहाना बनाया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, 21 दिन की समय-सीमा पूरी होने के बाद प्रमाण पत्र एक वर्ष बाद ही जारी करने की बात कही जाती है, जिसका कारण सरकार का नया आदेश बताया जाता है। अमोढ़ा निवासी बबीता (पत्नी रामअवतार, जन्म तिथि 16 जनवरी 2024), पुष्पा देवी (पत्नी राम, जन्म तिथि 15 नवंबर 2024), रीता (पत्नी शिववचन, जन्म तिथि 16 अक्टूबर 2024) और दीपमाला (पत्नी बृजेश कुमार चौहान, जन्म तिथि 8 जनवरी 2025) जैसे कई लोगों ने अपने बच्चों को सीएचसी विक्रमजोत या संबंधित डिलीवरी पॉइंट पर जन्म दिया है। इन सभी ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विक्रमजोत में तैनात जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार (सीएचओ) को आवेदन पत्र जमा किए थे। आरोप है कि अवैध भुगतान न करने के कारण उनके आवेदनों के लिए भी सर्वर डाउन होने और मीटिंग में व्यस्तता का बहाना बनाया गया, जिसके चलते उन्हें अब एक वर्ष तक इंतजार करने को कहा जा रहा है। इस संबंध में चिकित्सा अधिकारी डॉ. आसिफ फारुकी ने बताया कि जन्म प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर कोई नई गाइडलाइन आई है। उन्होंने कहा कि 21 दिन पूरे होने के बाद प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। डॉ. फारुकी ने अपने घर के बच्चे का उदाहरण देते हुए बताया कि डुमरियागंज में उसका भी प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। पहले एसडीएम के आदेश से बन जाता था, लेकिन अब किसी नए नियम के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।









































