सिद्धार्थनगर। पेंशनरों के अधिकारों पर हो रहे अन्याय के विरोध में सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय परिसर पेंशनरों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय राज्य पेंशनर महासंघ के आह्वान पर आयोजित इस विशाल आंदोलन का नेतृत्व जिला अध्यक्ष अवधेश यादव ने किया। 20 की संख्या में कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनर एकजुट होकर आमसभा एवं धरना प्रदर्शन में शामिल हुए। धरना उपरांत जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया। आंदोलनकारियों ने वित्त विधेयक 2025 में पेंशनरों के बीच तिथि के आधार पर किए गए भेदभाव को असंवैधानिक बताते हुए इसे तत्काल समाप्त करने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि जीवन का बड़ा हिस्सा देश और समाज की सेवा में लगाने वाले कर्मचारियों व शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद अलग-अलग श्रेणियों में बांटना सरासर अन्याय है। पेंशन को दया या अनुग्रह नहीं बल्कि सेवाकाल का लंबित वेतन बताते हुए कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक डी० एस० नाकरा निर्णय में भी तिथि के आधार पर भेदभाव को संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध बताया गया है। धरना स्थल से सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा गया कि आठवें वेतन आयोग के गठन से संबंधित जारी अधिसूचना के संदर्भ बिंदुओं में पेंशन पुनरीक्षण एवं अन्य पेंशनरी लाभों को शामिल न करना पेंशनरों के साथ विश्वासघात है। साथ ही पेंशन को गैर अंशदायी एवं गैर वित्त पोषित बताने वाले प्रावधान को पूरी तरह समाप्त करने की मांग की गई। आंदोलनकारियों ने स्पष्ट किया कि पेंशन अंशदायी भी है और वित्त पोषित भी, क्योंकि सेवाकाल के दौरान जो वेतन लंबित रखा गया, वही सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के रूप में दिया जाता है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार के बजट में वेतन और पेंशन को प्रतिबद्ध व्यय की श्रेणी में रखा जाता है, ऐसे में पेंशन को गैर वित्त पोषित कहना वास्तविकता के विपरीत है। इस प्रकार के प्रावधानों से सेवानिवृत्त कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेंशनरों में गहरा असंतोष व्याप्त है। धरना प्रदर्शन के दौरान सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में मांग की गई कि वित्त विधेयक 2025 के विवादित प्रावधानों को हटाया जाए, आठवें वेतन आयोग के दायरे में पेंशन पुनरीक्षण एवं समस्त पेंशनरी लाभों को शामिल किया जाए तथा पेंशन को गैर अंशदायी और गैर वित्त पोषित बताने वाले प्रावधान को समाप्त किया जाए। इस अवसर पर सतीश चन्द्र तिवारी, राधेरमण तिवारी, रामविलास यादव, मशहूर अली, अजय गुप्ता, जगनारायण, राजेश श्रीवास्तव, संजय दूबे सहित बड़ी संख्या में पेंशनर, कर्मचारी और शिक्षक उपस्थित रहे। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो यह संयुक्त आंदोलन और अधिक व्यापक रूप लेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन की होगी।
सिद्धार्थनगर में पेंशनरों का DM कार्यालय पर प्रदर्शन:वित्त विधेयक 2025 और आठवें वेतन आयोग के खिलाफ सौंपा ज्ञापन
सिद्धार्थनगर। पेंशनरों के अधिकारों पर हो रहे अन्याय के विरोध में सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय परिसर पेंशनरों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय राज्य पेंशनर महासंघ के आह्वान पर आयोजित इस विशाल आंदोलन का नेतृत्व जिला अध्यक्ष अवधेश यादव ने किया। 20 की संख्या में कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनर एकजुट होकर आमसभा एवं धरना प्रदर्शन में शामिल हुए। धरना उपरांत जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया। आंदोलनकारियों ने वित्त विधेयक 2025 में पेंशनरों के बीच तिथि के आधार पर किए गए भेदभाव को असंवैधानिक बताते हुए इसे तत्काल समाप्त करने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि जीवन का बड़ा हिस्सा देश और समाज की सेवा में लगाने वाले कर्मचारियों व शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद अलग-अलग श्रेणियों में बांटना सरासर अन्याय है। पेंशन को दया या अनुग्रह नहीं बल्कि सेवाकाल का लंबित वेतन बताते हुए कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक डी० एस० नाकरा निर्णय में भी तिथि के आधार पर भेदभाव को संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध बताया गया है। धरना स्थल से सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा गया कि आठवें वेतन आयोग के गठन से संबंधित जारी अधिसूचना के संदर्भ बिंदुओं में पेंशन पुनरीक्षण एवं अन्य पेंशनरी लाभों को शामिल न करना पेंशनरों के साथ विश्वासघात है। साथ ही पेंशन को गैर अंशदायी एवं गैर वित्त पोषित बताने वाले प्रावधान को पूरी तरह समाप्त करने की मांग की गई। आंदोलनकारियों ने स्पष्ट किया कि पेंशन अंशदायी भी है और वित्त पोषित भी, क्योंकि सेवाकाल के दौरान जो वेतन लंबित रखा गया, वही सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के रूप में दिया जाता है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार के बजट में वेतन और पेंशन को प्रतिबद्ध व्यय की श्रेणी में रखा जाता है, ऐसे में पेंशन को गैर वित्त पोषित कहना वास्तविकता के विपरीत है। इस प्रकार के प्रावधानों से सेवानिवृत्त कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेंशनरों में गहरा असंतोष व्याप्त है। धरना प्रदर्शन के दौरान सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में मांग की गई कि वित्त विधेयक 2025 के विवादित प्रावधानों को हटाया जाए, आठवें वेतन आयोग के दायरे में पेंशन पुनरीक्षण एवं समस्त पेंशनरी लाभों को शामिल किया जाए तथा पेंशन को गैर अंशदायी और गैर वित्त पोषित बताने वाले प्रावधान को समाप्त किया जाए। इस अवसर पर सतीश चन्द्र तिवारी, राधेरमण तिवारी, रामविलास यादव, मशहूर अली, अजय गुप्ता, जगनारायण, राजेश श्रीवास्तव, संजय दूबे सहित बड़ी संख्या में पेंशनर, कर्मचारी और शिक्षक उपस्थित रहे। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो यह संयुक्त आंदोलन और अधिक व्यापक रूप लेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन की होगी।









































