बलरामपुर की पहचान सिर्फ ऐतिहासिक इमारतों तक सीमित नहीं है,बल्कि यहां की घास पर खेली जाने वाली हॉकी ने भी इसे देशभर में विशिष्ट पहचान दिलाई है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए महाराजा सर भगवती प्रसाद सिंह अखिल भारतीय प्राइजमनी हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन 19 से 23 दिसंबर तक किया जा रहा है। यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट वर्ष 1938 से निरंतर आयोजित हो रहा है। इसकी गुणवत्ता और लोकप्रियता का प्रमाण है कि इसे अब ‘बी’ ग्रेड में उच्चीकृत कर दिया गया है।इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट की नींव तत्कालीन महाराजा सर पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने अपने पिता महाराजा सर भगवती प्रसाद सिंह की स्मृति में रखी थी। जमींदारी उन्मूलन से पहले यह टूर्नामेंट बलरामपुर राज के संरक्षण में चलता था। बाद में नगर के गणमान्य नागरिकों और फिर महारानी लाल कुंवरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय ने इसकी जिम्मेदारी संभाली। आज भी यह महाविद्यालय नगरवासियों के सहयोग से टूर्नामेंट को सफलतापूर्वक आयोजित कर रहा है। यह टूर्नामेंट सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि भारतीय हॉकी के इतिहास का एक जीवंत दस्तावेज है। मेजर ध्यानचंद, के.डी. सिंह ‘बाबू’ और अशोक कुमार जैसे दिग्गज ओलंपियन यहां खेलकर इसकी गरिमा बढ़ा चुके हैं। टूर्नामेंट सचिव एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जनार्दन प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि घास के मैदान पर खेले जाने वाले टूर्नामेंटों में बलरामपुर का यह आयोजन देश में विशिष्ट स्थान रखता है। आयोजन को सुव्यवस्थित बनाने के लिए डॉ. आलोक शुक्ल, डॉ. राजीव रंजन और डॉ. बी.एल. गुप्ता को आयोजन सचिव नियुक्त किया गया है। प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी लेफ्टिनेंट (डॉ.) देवेंद्र कुमार चौहान को सौंपी गई है। मैदान की तैयारी अंतिम चरण में है। इस वर्ष कुल 14 टीमों को टूर्नामेंट में खेलने की स्वीकृति मिली है, जिनमें 7 नई और 7 पुरानी टीमें शामिल हैं। विजेता टीम को 75,000 रुपये और उपविजेता को 51,000 रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। हॉकी इंडिया द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है। बलरामपुर में हॉकी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक जुनून है। यही कारण है कि हर वर्ष यहां दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ती है और 87 वर्षों पुरानी यह परंपरा आज भी पूरी शान के साथ जीवित है।
बलरामपुर में 19 दिसंबर से हॉकी महाकुंभ का आयोजन:87 साल पुरानी घास पर हॉकी की विरासत जारी
बलरामपुर की पहचान सिर्फ ऐतिहासिक इमारतों तक सीमित नहीं है,बल्कि यहां की घास पर खेली जाने वाली हॉकी ने भी इसे देशभर में विशिष्ट पहचान दिलाई है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए महाराजा सर भगवती प्रसाद सिंह अखिल भारतीय प्राइजमनी हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन 19 से 23 दिसंबर तक किया जा रहा है। यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट वर्ष 1938 से निरंतर आयोजित हो रहा है। इसकी गुणवत्ता और लोकप्रियता का प्रमाण है कि इसे अब ‘बी’ ग्रेड में उच्चीकृत कर दिया गया है।इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट की नींव तत्कालीन महाराजा सर पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने अपने पिता महाराजा सर भगवती प्रसाद सिंह की स्मृति में रखी थी। जमींदारी उन्मूलन से पहले यह टूर्नामेंट बलरामपुर राज के संरक्षण में चलता था। बाद में नगर के गणमान्य नागरिकों और फिर महारानी लाल कुंवरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय ने इसकी जिम्मेदारी संभाली। आज भी यह महाविद्यालय नगरवासियों के सहयोग से टूर्नामेंट को सफलतापूर्वक आयोजित कर रहा है। यह टूर्नामेंट सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि भारतीय हॉकी के इतिहास का एक जीवंत दस्तावेज है। मेजर ध्यानचंद, के.डी. सिंह ‘बाबू’ और अशोक कुमार जैसे दिग्गज ओलंपियन यहां खेलकर इसकी गरिमा बढ़ा चुके हैं। टूर्नामेंट सचिव एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जनार्दन प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि घास के मैदान पर खेले जाने वाले टूर्नामेंटों में बलरामपुर का यह आयोजन देश में विशिष्ट स्थान रखता है। आयोजन को सुव्यवस्थित बनाने के लिए डॉ. आलोक शुक्ल, डॉ. राजीव रंजन और डॉ. बी.एल. गुप्ता को आयोजन सचिव नियुक्त किया गया है। प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी लेफ्टिनेंट (डॉ.) देवेंद्र कुमार चौहान को सौंपी गई है। मैदान की तैयारी अंतिम चरण में है। इस वर्ष कुल 14 टीमों को टूर्नामेंट में खेलने की स्वीकृति मिली है, जिनमें 7 नई और 7 पुरानी टीमें शामिल हैं। विजेता टीम को 75,000 रुपये और उपविजेता को 51,000 रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। हॉकी इंडिया द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है। बलरामपुर में हॉकी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक जुनून है। यही कारण है कि हर वर्ष यहां दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ती है और 87 वर्षों पुरानी यह परंपरा आज भी पूरी शान के साथ जीवित है।









































