जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, महराजगंज के सचिव सुनील कुमार नागर ने बुधवार को जिला कारागार, महराजगंज का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य कारागार में बंदियों को दी जा रही निःशुल्क विधिक सहायता, मूलभूत सुविधाओं, प्रशासनिक व्यवस्थाओं और न्यायालय में उनकी पेशी की समीक्षा करना था। निरीक्षण के दौरान सचिव के साथ लीगल एड डिफेन्स सिस्टम के डिप्टी चीफ आशुतोष पाण्डेय, असिस्टेंट नौशाद आलम और ज्ञानेन्द्र मिश्रा भी उपस्थित थे। टीम ने कारागार में संचालित जेल लीगल एड क्लीनिक, बंदियों के मामलों की स्थिति, निःशुल्क विधिक सहायता से संबंधित अभिलेखों और कार्यप्रणाली का गहन अवलोकन किया। सचिव ने बंदियों से सीधे संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं। बंदियों ने बताया कि कई बार न्यायालय में सुनवाई की तिथि निर्धारित होने के बावजूद उन्हें समय पर पेश नहीं किया जाता है। इस पर सचिव ने जिला कारागार अधीक्षक को निर्देश दिया कि ऐसे बंदियों की पहचान की जाए जिन्हें नियत तिथि पर पेश नहीं किया जा सका, और इसके कारणों सहित संबंधित न्यायालय व प्राधिकरण को सूचित किया जाए। बंदियों को जेल लीगल एड क्लीनिक के माध्यम से विधिक सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी गई और शिकायतों के त्वरित निस्तारण का आश्वासन दिया गया। लीगल एड डिफेन्स सिस्टम के अधिवक्ताओं ने जमानत, अपील और अन्य वैधानिक अधिकारों के बारे में भी जानकारी प्रदान की। सचिव ने सभी पात्र बंदियों को समयबद्ध और प्रभावी विधिक सहायता सुनिश्चित करने तथा विधिक सेवाओं की गुणवत्ता व पारदर्शिता बनाए रखने के निर्देश दिए। उन्होंने दोहराया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का लक्ष्य समाज के वंचित और असहाय वर्ग तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना है।
महराजगंज जेल का औचक निरीक्षण: बंदियों को समयबद्ध निःशुल्क विधिक सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश – Pipra Khem(Maharajganj sadar) News
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, महराजगंज के सचिव सुनील कुमार नागर ने बुधवार को जिला कारागार, महराजगंज का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य कारागार में बंदियों को दी जा रही निःशुल्क विधिक सहायता, मूलभूत सुविधाओं, प्रशासनिक व्यवस्थाओं और न्यायालय में उनकी पेशी की समीक्षा करना था। निरीक्षण के दौरान सचिव के साथ लीगल एड डिफेन्स सिस्टम के डिप्टी चीफ आशुतोष पाण्डेय, असिस्टेंट नौशाद आलम और ज्ञानेन्द्र मिश्रा भी उपस्थित थे। टीम ने कारागार में संचालित जेल लीगल एड क्लीनिक, बंदियों के मामलों की स्थिति, निःशुल्क विधिक सहायता से संबंधित अभिलेखों और कार्यप्रणाली का गहन अवलोकन किया। सचिव ने बंदियों से सीधे संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं। बंदियों ने बताया कि कई बार न्यायालय में सुनवाई की तिथि निर्धारित होने के बावजूद उन्हें समय पर पेश नहीं किया जाता है। इस पर सचिव ने जिला कारागार अधीक्षक को निर्देश दिया कि ऐसे बंदियों की पहचान की जाए जिन्हें नियत तिथि पर पेश नहीं किया जा सका, और इसके कारणों सहित संबंधित न्यायालय व प्राधिकरण को सूचित किया जाए। बंदियों को जेल लीगल एड क्लीनिक के माध्यम से विधिक सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी गई और शिकायतों के त्वरित निस्तारण का आश्वासन दिया गया। लीगल एड डिफेन्स सिस्टम के अधिवक्ताओं ने जमानत, अपील और अन्य वैधानिक अधिकारों के बारे में भी जानकारी प्रदान की। सचिव ने सभी पात्र बंदियों को समयबद्ध और प्रभावी विधिक सहायता सुनिश्चित करने तथा विधिक सेवाओं की गुणवत्ता व पारदर्शिता बनाए रखने के निर्देश दिए। उन्होंने दोहराया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का लक्ष्य समाज के वंचित और असहाय वर्ग तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना है।









































