काकोरी क्रांति…'शहादत से शहादत तक' प्रोग्राम शुरू:रामप्रसाद बिस्मिल स्मारक पर तीन दिनों तक चलेगा, दस्तावेजों की प्रदर्शन लगी

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बस्ती में काकोरी ट्रेन एक्शन के महान क्रांतिकारियों की स्मृति को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से महुआ डाबर संग्रहालय द्वारा ‘शहादत से शहादत तक’ तीन दिवसीय आयोजन का शुभारंभ गोरखपुर स्थित रामप्रसाद बिस्मिल स्मारक स्थल से हुआ। यह कार्यक्रम राजेंद्रनाथ लाहिड़ी के बलिदान दिवस से ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान दिवस तक आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन जेलर अरुण कुमार कुशवाहा ने शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया। इसके बाद काकोरी ट्रेन एक्शन से जुड़े दुर्लभ ऐतिहासिक दस्तावेजों की प्रदर्शनी का अवलोकन कराया गया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अरुण कुमार कुशवाहा ने कहा कि क्रांतिकारियों का बलिदान केवल इतिहास का अध्याय नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रेरक शक्ति है, जिसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना हम सभी का दायित्व है। इस अवसर पर जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पांडेय, नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य व पार्षद विजेंद्र अग्रही मंगल सहित अनेक गणमान्य नागरिक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे। चर्चा सत्र में वक्ताओं ने काकोरी क्रांति के ऐतिहासिक महत्व और उसके प्रभाव पर विस्तार से विचार रखे। महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक एवं भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के विद्वान डॉ. शाह आलम राणा ने रामप्रसाद बिस्मिल के जीवन, वंशावली और क्रांतिकारी योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बिस्मिल केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि लेखक, कवि और रणनीतिकार भी थे, जिनकी विचारधारा आज भी प्रासंगिक है। संयोजक अविनाश कुमार गुप्ता ने बताया कि आयोजन के दूसरे और तीसरे दिन 18 व 19 दिसंबर को प्रयागराज में ठाकुर रोशन सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित होंगे। उन्होंने कहा कि काकोरी क्रांति का वास्तविक इतिहास जानना नई पीढ़ी का अधिकार है, ताकि वे समझ सकें कि आज़ादी कितने अनमोल बलिदानों से प्राप्त हुई है।

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